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संपादकीय टिप्पणीः देश में बेरोजगारी, भुखमरी, बीमारी, अशिक्षा, बेघरी, नशाखोरी, भ्रष्टाचार-कदाचार जैसी असंख्य समस्याएं-परेशानियाँ हैं। क्या इनका हल यह है कि कोई एक व्यक्ति नैतिक प्रेरणा के वशीभूत होकर आमरण अनशन पर बैठ जाए कि जब तक ये समस्याएं हल नहीं होंगी, वह भोजन नहीं करेगा। अर्थात आत्महत्या कर लेगा। प्रस्तुत प्रकरण में प्रो. ओम शंकर को समर्थन देने वाले लोग भावुक-आदर्शवादी हो सकते हैं लेकिन कर्मवीर तो कत्तई नहीं हैं।
पाठकगण खुद सोचें किसी भी अस्पताल में भ्रष्टाचार पर लगाम कैसे लगेगी? क्या ऐसा सिर्फ मनोगत चाहत से हो सकता है? कत्तई नहीं। तो ओमशंकर का आदर्शीकरण करके, उन्हें नैतिक समर्थन देकर जो लोग उन्हें मौत के मुंह में ढकेल रहे हैं, वे नैतिक अपराध कर रहे हैं।
हाँ, उनके साथ कोई और भी आमरण अनशन पर बैठता है तो माना जा सकता है कि उसकी चिंता जेनुइन है। 
सोमवार 20 मई 2024 (वाराणसी)


स्वास्थ्य का अधिकार कानून बने 
स्वास्थ्य का अधिकार आयोग गठन हो 

हृदय विभाग  BHU में बेड की संख्या बढाई जाय 

BHU सर सुंदर लाल अस्पताल के हृदय विभाग में प्रो ओम शंकर के आमरण अनशन के दसवें दिन विभिन्न जन संगठनों ने अपना समर्थन जताया . विभाग में अपने कक्ष में ही ओपीडी चालते धुएं प्रो ओम शंकर हृदय विभाग में बेड की संख्या में बढ़ोत्तरी और अस्पताल में व्याप्त  भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने की मांग को लेकर अनशन कर रहे हैं , इस अवधि में उनका वजन लगभग 7 किलो घट गया है.
सोमवार को स्वास्थ्य का अधिकार अभियान, साझा संस्कृति मंच, काशी नागरिक समाज, संयुक्त किसान मोर्चा, भारतीय किसान यूनियन आदि संगठनों से जुड़े प्रतिनिधियों ने अनशन स्थल पर पहुंच कर समर्थन किया.
स्वास्थ्य का अधिकार अभियान के संयोजक वल्लभाचार्य पाण्डेय ने कहां कि देश में सभी को सस्ती, सुलभ और त्वरित स्वास्थ्य सेवा मिलने का अधिकार होना चाहिए और स्वास्थ्य सम्बन्धी शिकायतों के निस्तारण के लिए स्वास्थ्य अधिकार आयोग  का गठन होना चाहिए.
प्रतिनिधिमंडल में  सतीश सिंह, वल्लभाचार्य पाण्डेय,  अजय रौशन, राम जनम, धनञ्जय, जितेन्द्र तिवारी, मारुती नंदन, इंदु आदि शामिल रहे.

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