वाराणसीः दृश्य कला संकाय, प्लास्टिक आर्ट विभाग में रिपोसे कार्यशाला के दूसरे दिन ५1 प्रतिभागियों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई । इनमें तृतीय वर्ष के 25%, चतुर्थ वर्ष के 25%, स्नातकोत्तर के 20% छात्रों व छात्राएं हैं शेष पीएचडी स्कॉलर पास आउट छात्रों के साथ-साथ वास्तुकला के स्नातकोत्तर छात्रों ने भी रुचि दिखाई है। बनारस रिपोसे आर्ट के विशेषज्ञ एवं परंपरागत कसेरा परिवार से जुड़े श्री संजय कसेरा ने तांबा के चादर पर किस प्रकार से डिजाइन करना चाहिए, इस रहस्य को छात्र व छात्राओं से साझा किया। उनके डिजाइन को उन्नत करने के लिए कल्पनाशीलता के महत्व को बताया। इनमें प्रयोग होने वाले उपकरणों को कैसे बनाया जाए इसकी जानकारी दी।
इनमें प्रयुक्त होने वाले उपकरण बाजार में नहीं मिलते हैं इसलिए डिजाइन के अनुसार उपकरण बनाया जाता है और उसका प्रयोग किया जाता है। अतः इस कार्य के लिए उपकरणों की उपयोगिता के महत्व की चर्चा की। कार्यशाला के संयोजक डॉ अमरेश कुमार ने सभी प्रतिभागियों को तांबे की चादर का वितरण किया और कार्यशाला के महत्व की जानकारी साझा की।
संकाय प्रमुख प्रोफेसर उत्तमा दीक्षित ने छात्र छात्राओं को उपस्थित देख उनका उत्साहवर्धन किया और सभी तरह की समस्याओं का निदान करते हुए हर संभव सहायता करने का आश्वासन दिया। कला- जीवन की चुनौती, विशेषकर महिला कलाकार पर उन्होंने चर्चा की। इससे कैसे निदान किया जाए इस पर सुझाव दिया। उनके उज्जवल भविष्य की कामना करते हुए आज का कार्यक्रम संपन्न हुआ।
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