वाराणसी। महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के मनोविज्ञान विभाग में स्थापित संगीत चिकित्सा प्रकोष्ठ एवं शोध केंद्र (उच्चानुशीलन केंद्र, उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा अनुदानित) एवं महिला अध्ययन संस्थान, लखनऊ विश्वविद्यालय के बीच एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया गया
संगीत सदियों से ग्रामीण परिवेश तथा छोटे कस्बों आदि में रहने वाली महिलाओं के लिए अपनी भावनाओं, अपने द्वंद्व, अपने घुटन, अपनी इच्छाओं को अभिव्यक्त करने का एकमात्र साधन रहा है। वर्त्तमान में इस क्षेत्र में हो रहे शोध कार्य ये बताते हैं कि संगीत चिकित्सा महिलाओं के सशक्तिकरण एवं कल्याण, उनकी पहचान को पुनः परिभाषित करने, उन्हें उनके तक़लीफ़ देने वाले अनुभवों से उबरने में सहायक हो सकता है। संगीत चिकित्सा पेरिमेनोपॉज़ल महिलाओं के मनोवैज्ञानिक और भावनात्मक लक्षणों में मदद कर सकती है और उपचार के लिए प्रभावी है। इन्हीं उद्देश्यों की पूर्ति के लिए दोनों सस्थानों के बीच समझौता हुआ।
संगीत चिकित्सा प्रकोष्ठ एवं शोध केंद्र के समन्वयक डॉ. दुर्गेश उपाध्याय ने बताया कि दोनों केंद्रों के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर 06 फ़रवरी 2024 में हुआ। दोनों विश्वविद्यालय इस समझौते के अंतर्गत एक दूसरे के विद्यार्थियों को कार्यशालाओं, एवं व्याख्यानों के माध्यम से प्रशिक्षित करेंगे तथा शोध कार्य में भी साझेदार होंगे। उन्होंने कहा महिला अध्ययन संस्थान, लखनऊ विश्वविद्यालय की समन्वयक डॉ. मानिनी श्रीवास्तव के सार्थक पहल से यह सम्भव हो सका। यह उत्तर प्रदेश के किसी भी राज्य अथवा केंद्रीय विश्वविद्यालय में सबसे पहले काशी विद्यापीठ के मनोविज्ञान में “संगीत चिकित्सा प्रकोष्ठ एवं शोध केंद्र” की स्थापना माननीय कुलपति प्रो. आनंद कुमार त्यागी के कुशल मार्गदर्शन, कुलसचिव डॉ. सुनीता पांडेय के सहयोग एवं विभागाध्यक्ष प्रो. रश्मि सिंह के नेतृत्त्व में हुआ है।