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अलीगढ़ 14 मार्चः अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के जे.एन. मेडिकल कॉलेज में कार्डियोथोरेसिक सर्जनों की एक टीम द्वारा, जिसमें डॉ. मोहम्मद आजम हसीन, डॉ. सैयद शमायल रब्बानी और डॉ. गजनफर शामिल थे। महराजगंज, यूपी के रहने वाले एक बालक अवनी पर एक दुर्लभ प्रक्रिया को सफलतापूर्वक अंजाम दिया, जो एक जटिल हृदय विकार के कारण जन्म से ही नीला दिखाई दे रहा था और जिसके शरीर में ऑक्सीजन का स्तर बरकरार नहीं रह पा रहा था।

अवनि को पहले वाराणसी और लखनऊ के विभिन्न मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों में उसके परिजनों द्वारा दिखाया गया। बाद में, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, नई दिल्ली के डॉक्टरों ने उसकी बीमारी का पता लगाया कि बच्चे की बड़ी धमनियाँ विपरीत कक्षों से जुड़ी हुई हैं, साथ ही उसके हृदय में एक बड़ा छेद है और हृदय से फेफड़ों तक का मार्ग संकुचित है।

आखिरकार मरीज को जे.एन. मेडिकल कॉलेज लाया गया जहां बाल हृदय रोग विशेषज्ञ और अंतर्विभागीय बाल कार्डियक सेंटर के नोडल अधिकारी, डॉ. शाद अबकरी और डॉ. मोआज किदवई ने उसे देखा और सर्जरी के लिए कार्डियोथोरेसिक सर्जरी विभाग में रेफर कर दिया।

सर्जरी प्रक्रिया में, दोषों को ठीक करने और उसके दिल में छेद को बंद करने के लिए हृदय और फेफड़ों को 180 मिनट के लिए रोक दिया गया था। इस अवधि के दौरान, हृदय और फेफड़ों के कार्यों का प्रबंधन क्लिनिकल परफ्यूजनिस्ट, डॉ. साबिर अली खान और श्री इरशाद कुरैशी द्वारा किया गया, जबकि एनेस्थीसिया टीम में डॉ. दीप्ति चन्ना, निदा, मनीष, सलमान, कामरान और असलम शामिल थे। डॉ. अभिनव, डॉ. शिवराम, डॉ. आशा, डॉ. निर्मल, डॉ. सद्दाम, डॉ. अनस और डॉ. अविनाश के साथ-साथ सुहैल-उर रहमान और अमीर खान के नेतृत्व वाली नर्सिंग टीम ने ऑपरेशन से पहले और बाद की देखभाल में मदद की।

कार्डियोथोरेसिक सर्जरी विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर मोहम्मद आजम हसीन ने कहा कि इस दुर्लभ सर्जरी को अंजाम देना जेएनएमसी और एएमयू के लिए गर्व का क्षण है।

डॉ. शाद अबकारी ने कहा कि बच्चे में एक बहुत ही जटिल दोष था और भारत में केवल कुछ ही सरकारी केंद्रों में ऐसी सर्जरी करने की क्षमता है।

कार्डियोथोरेसिक सर्जरी विभाग में सहायक प्रोफेसर डॉ. शमायल रब्बानी ने कहा कि डबल रूट ट्रांसफर एक अत्यधिक जटिल सर्जरी है और भारत में केवल 5-6 केंद्र ही इस प्रकार की सर्जरी करते हैं और ऐसा करने में सक्षम होना विभाग के लिए गर्व का क्षण है। .

एएमयू के कुलपति प्रो. मोहम्मद गुलरेज ने अपने प्रशंसात्मक संदेश में कहा कि जे.एन. मेडिकल कॉलेज में जीवन रक्षक सर्जरी नियमित रूप से की जा रही हैं। और विभाग में पिछले कुछ वर्षों के दौरान 5 हजार से अधिक कार्डियोथोरेसिक और वैस्कुलर सर्जरी की गई हैं।

मेडिसिन संकाय की डीन और जेएनएमसी की प्रिंसिपल और सीएमएस, प्रोफेसर वीणा महेश्वरी एवं चिकित्सा अधीक्षक प्रो. वसीम रिज़्वी ने सर्जरी में शामिल डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ के प्रयासों की सराहना की।

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