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संपादकीय टिप्पणीः बृजेश पाठक हेल्थ मिनिस्टर होने से पहले भाजपाई हैं और मैं घोषित कम्युनिस्ट। काफी पहले मेरठ मेडिकल कालेज में दिए गए इनके एक भाषण की वीडियो क्लिप मुझे मिली थी, जिसे सुनकर मैं मंत्रमुग्ध हो गया था। उत्तर प्रदेश के जनजीवन और उद्योग-धंधों की बड़ी महीन जानकारी रखते हैं पाठक जी, जो उनके मनुष्यों से उत्कट प्रेम का परिचायक है।
उनके खिलाफ मैं ज्यादा से ज्यादा यही कह सकता हूँ कि मिश्रा जी को लाल झंडा उठाना चाहिए था। उन्हें तहेदिल से लाल सलाम।

प्रेस विज्ञप्ति

27 अगस्त 2024

लखनऊ, उत्तर प्रदेश

वैद्यकीय विद्यार्थियों को चिकित्सा को भगवान मानकर काम करने की आवश्यकता है — बृजेश पाठक

मेडिविजन के 2 दिवसीय सम्मेलन का केजीएमयू में हुआ उद्घाटन

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के चिकित्सकीय एवं डेंटल विद्यार्थियों के आयाम मेडिविजन के दो दिवसीय, 7वीं ऑल इंडिया मेडिकल एंड डेंटल स्टूडेंट सम्मेलन का शुभारंभ मंगलवार के दिन लखनऊ के प्रसिद्ध किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय में हुआ। कार्यक्रम का उद्घाटन ऊ०प्र० सरकार के उप मुख्यमंत्री बृजेश पाठक,अभाविप के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ० राज शरण शाही,राष्ट्रीय मंत्री डॉ० वीरेंद्र सिंह सोलंकी एवं मेडिविजन के राष्ट्रीय संयोजक डॉ०अभिनंदन बोकरिया ने केजीएमयू के अटल कन्वेंशन सेंटर में माता सरस्वती एवं स्वामी विवेकानन्द जी चित्र के समक्ष पुस्पार्चन एवं दीप प्रज्वलन के साथ तथा कोलकाता के आर. जी.कर मेडिकल कॉलेज की स्नातकोत्तर की छात्रा के चित्र के समक्ष श्रद्धांजलि अर्पित कर किया गया।

कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप उपस्थित उ.प्र. सरकार के उप मुख्यमंत्री बृजेश पाठक ने मेडिविजन के कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि वैद्यकीय विद्यार्थियों को चिकित्सा को भगवान मानकर काम करने की आवश्यकता है, उप मुख्यमंत्री ने आगे अपने संबोधन में कहा की शिक्षा के स्वरूप का उद्वेश्य केंद्रित होना एवं उच्चतम तकनीक की शिक्षा होना चिकित्सकीय शिक्षा के विकास के लिए बहुत ही आवश्यक है। भारत लगातार मेडिकल शिक्षा एवं तकनीक के क्षेत्र में विकास की तरफ अग्रसर है, और संपूर्ण विश्व चिकित्सा के क्षेत्र में भारत के सहयोग की अपेक्षा रखता है। कोरोना महामारी के समय भारत ने जिस वैक्सीन और अन्य दवाओं के विकास में विश्व में विश्व की सेवा की वह अद्वितीय रहा। इस प्रकार भारत के मेडिकल साइंस के विद्यार्थियों की यह बड़ी नैतिक जिम्मेदारी है कि संपूर्ण जगत में भारत का के ध्वजवाहक बने, और वसुधैव कुटुंबकम् की भावना के साथ एक स्वस्थ एवं निरोगी समाज की स्थापना कर सकें।

अभाविप के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रो. राजशरण शाही ने कहा कि भारत की शिक्षा व्यवस्था उसकी संस्कृति से जुड़ी होनी चाहिए । उन्होंने आगे कहा कि भारत एकता में विविधताओं की पहचान करने वाला देश है।


यहां हर एक भारत की एक संस्कृति एवं आत्मा होते हुए भी खानपान, पद्धतियां, विभिन्न स्थानीय ज्ञान, और विभिन्न सामाजिक पर्वों की सुंदर विविधता हमारी सांस्कृतिक परंपरा और शक्ति व्यापकता का परिचायक है। हमारे देश विभिन्न जाति और वर्ग के लोग लंबे समय से समान रूप से निवास करते आए हैं। एकता में विविधता का मतलब है, की संपूर्ण भारत की संस्कृति एक ही है वह भारतीय संस्कृति है, चाहे पश्चिम में द्वारका से लेकर पूर्व में अरुणाचल तक, उत्तर में कश्मीर लद्दाख से लेकर दक्षिण में कन्याकुमारी तक जलवायु, और संसाधनों के आधार पर भाषा, खानपान, पद्धतियों में विविधता है, जो कि शक्तिशाली व्यापकता का प्रतीक है। संभवतः समाज में धार्मिक, सांस्कृतिक, जातिगत, आस्था, भाषा, क्षेत्रीय भेद, एवं कई अन्य कारक इन विविधताओं का हिस्सा हो सकते हैं, परन्तु हमें अपनी असहमतियों से ऊपर उठकर भारत की एक सांस्कृतिक आत्मा में एकजुट रहना चाहिए। उदाहरण के लिए, एक ही बाग होते हुए, उसमें उगने वाले विविध प्रकार के फूल बाग की सुंदरता की व्यापकता को बढ़ाते हैं, इसी तरह संपूर्ण भारतीय संस्कृति जो वसुधैव कुटुंबकम् की भावना की एकीकृत संस्कृति है, रीति-रिवाज, बोली-भाषा, त्योहार, खान-पान, वेशभूषा की विविधता से शक्तिशाली व्यापकता को एक भारतीय संस्कृति में समेटे हुए है।

अभाविप के राष्ट्रीय मंत्री डॉ० वीरेंद्र सिंह सोलंकी ने कहा कि भले ही मेडिविजन की शुरुआत 2015 में हुई हो लेकिन विद्यार्थी परिषद अपने स्थापना काल से ही चिकित्सकीय छात्रों के बीच काम करते आया है । मेडिविजन के कार्यकर्ताओं ने हमेशा से ही चिकित्सा के क्षेत्र में अपना सम्पूर्ण समर्पण देकर समाज को सहायता पहुंचाकर उनके उत्तम स्वास्थ एवं सफल जीवन व्यतीत करने में उनका सहयोग किया है।

मेडिविजन के राष्ट्रीय संयोजक डॉ०अभिनंदन बोकरिया ने विश्व बंधुत्व की कामना का उद्घोष करते हुए एवं एक प्रसिद्ध गीत का उद्धरण लेते हुए कहा कि ’देश हमें देता है सब कुछ हम भी तो कुछ देना सीखें, सूरज हमें रोशनी देता, हवा नया जीवन देती है।
भूख मिटाने को हम सबकी, धरती पर होती है खेती! ’
हमने कोरोना में भी विश्व बंधुत्व की भावना को चरितार्थ करते हुए लोगों को उनकी विसंगतियों से बाहर निकाला है, हम आज भी पहले अपनों फिर अपनी परवाह करते हैं। हमने हमेशा से स्वामी विवेकानन्द जी के सपनों का भारत बनाने की कामना की है, हमने हमेशा ही विश्व की समस्त जाति एवं धर्म को स्थान देते हुए एक साथ जोड़कर उसके साथ काम करने तथा सभी को समान रूप देने का काम किया है।

कार्यक्रम का संचालन मेडिविजन केजीएमयू इकाई की प्रमुख डॉ०शिविली राठौर ने किया।
कार्यक्रम में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् के पदाधिकारी सहित भारत एवं नेपाल के मेडिकल के तमाम विद्यार्थी उपस्थित रहे।

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