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वाराणसीः विज्ञान संस्थान, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी, यूपी, भारत के वनस्पति विज्ञान विभाग के डॉ. प्रशांत सिंह और उनकी पीएचडी छात्रा मेनका तिवारी ने एक महत्वपूर्ण अध्ययन प्रकाशित किया है जो प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय जर्नल फिजियोलॉजिकल एंड मॉलिक्यूलर प्लांट पैथोलॉजी में छपा है। इस अध्ययन का शीर्षक है “बोल्स्टरिंग व्हीट इम्युनिटी: बाबा-मीडिएटेड डिफेंस प्राइमिंग अगेंस्ट बाइपोलारिस सोरोकिनियाना अमिड कॉम्पिटिशन”।

यह शोध गेहूं की खेती में आने वाली एक बड़ी समस्या का समाधान करने पर केंद्रित है। गेहूं की फसल को नुकसान पहुंचाने वाले बाइपोलारिस सोरोकिनियाना नामक एक कवक (फंगस) के कारण होने वाले स्पॉट ब्लॉच रोग से बचाने के लिए डॉ. सिंह ने एक नया तरीका खोजा है। इस कवक से बचाव के लिए उन्होंने बीएबीए (β-एमिनोब्यूट्रिक एसिड) नामक एक यौगिक का उपयोग किया, जो गेहूं की फसल की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है।

डॉ. सिंह के अध्ययन में पाया गया कि बीएबीए का उपयोग करने से गेहूं के पौधे अधिक मजबूत होते हैं और बीमारियों से बेहतर तरीके से लड़ पाते हैं। जब पौधों को एक-दूसरे से पोषक तत्वों और जगह के लिए मुकाबला करना पड़ता है, तब भी बीएबीए-उपचारित पौधे अन्य पौधों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन करते हैं।

इस शोध से यह भी पता चला कि बीएबीए का उपयोग करने से पौधों की पैदावार में वृद्धि होती है, जो किसानों के लिए बहुत लाभदायक हो सकता है। यह तरीका कीटनाशकों के बिना फसलों की रक्षा करने का एक सुरक्षित और प्रभावी विकल्प हो सकता है।

डॉ. प्रशांत सिंह का यह शोध गेहूं की फसल को स्वस्थ और अधिक उत्पादक बनाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है, जो टिकाऊ कृषि प्रथाओं में भी मदद कर सकता है।

 

Here is the link of the study:

https://authors.elsevier.com/a/1jXin39MrQ8d4T

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