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अलीगढ़ 11 जनवरीः अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्वालय के भारतीय भाषा विभाग द्वारा उत्तर प्रदेश पंजाबी अकादमी लखनऊ के सहयोग से पंजाबी कवि और लेखक पदमश्री सुरजीत पातर जी की स्मृति में एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया।

कार्यक्रम के आयोजन सचिव और पंजाबी अनुभाग के प्रमुख प्रो. क्रांतीपाल ने पंजाबी के प्रसिद्व कवि सुरजीत पातर के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि पातर न सिर्फ पंजाबी भाषा के कवि हैं बल्कि वह एक संपूर्ण भारतीय कवि भी हैं।

मुख्य अतिथि अंग्रेजी विभाग के प्रो. मोहम्मद आसिम सिद्दीकी ने सुरजीत पातर की रचनाओं के बारे में प्रकाश डालते हुए कहा कि उनकी रचनाऐं आज की सामाजिक, राजनीतिक, धार्मिक और सांस्कृतिक स्थिति के बारे में बताती हैं।

प्रोफेसर आसिम सिद्दीकी ने सुरजीत पातर की कविताओं इतिहास की व्याख्या की और इतिहास की प्रकृति और विभाजन पर कार्य पर बहस के संदर्भ में पचुआ और पुरबिया का पाठ किया। उन्होंने पातर की कविताओं के अनूठे स्वर पर भी बात की, जिसे चमनलाल द्वारा पातर की कविताओं के हिंदी अनुवाद में बखूबी सामने लाया गया है। उन्होंने पातर की कुछ कविताओं के स्वर की तुलना फैज अहमद फैज, हबीब जालिब, पाब्लो नेरुदा और मंटो की सियाह हाशिये और जोगिंदर पॉल की अफसांचे से करते हुए उनकी कई कविताओं के स्वरूप पर भी चर्चा की।

मानद् अतिथि हिन्दी विभाग के वरिष्ठ शिक्षक अजय बिसारिया ने हिंदी कविता के संदर्भ में सुरजीत पातर की रचनाओं पर चर्चा की। अजय बिसारिया का विचार था कि पातर को केवल पंजाबी तक ही सीमित नहीं रखा जा सकता, वे एक भारतीय कवि थे। उन्होंने कहा कि पातर की कविताएं एक व्यक्ति की मां की संस्कृति के अंदर के इतिहास और भाषा में उसके अहसास और पंजाब के बाहर कई पंजाबियों के प्रवास और गैर पंजाबियों के पंजाब में प्रवास के मुद्दों को प्रस्तुत करती हैं।

मानद् अतिथि शायर और गज़ल गायक जाॅनी फोस्टर ने सुरजीत पातर से अपनी मुलाकात की यादों को साझा़ किया और उन्हें एक महान कवि बताया।

कला संकाय के अधिष्ठाता और आधुनिक भारतीय भाषा विभाग के अध्यक्ष प्रो. टीएन सतीशन ने कहा कि सुरजीत पातर की कविताऐं भाषाओं से परे जाकर पूरे देश का प्रतिनिधित्व करती हैं। उन्होंने विभाग द्वारा संगोष्ठी के आयोजन की प्रशंसा करते हुए सुरजीत पातर को एक महान कवि बताया।

इस अवसर पर विभाग के शोध छात्र और पंजाबी कवि मनप्रीत टिवाणा की गीतों की पुस्तक ‘काफिले वाले’ का भी अतिथियों ने विमोचन किया और टिवाणा ने पातर की कुछ चुनिंदा रचनाओं को भी प्रस्तुत किया।

अतिथियों को वरिष्ठ अधिवक्ता एचएन सिंह ने प्रतीक चिन्ह भेंट कर और शाल ओढ़ा कर सम्मानित किया।

इस अवसर पर प्रो. मोहम्मद शरीफ, प्रो. एम आशिक अली, प्रो. वेद प्रकाश, प्रो. शंभूनाथ, प्रो. नजूम, डा. आमना खातून और डा. कासम पठान सहित विभाग के शोध छात्र भी मौजूद रहे।

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