वाराणसीः सिने जगत के प्रतिष्ठित निर्देशक, अभिनेता एवं साहित्यकार श्री ऋत्विक घटक के जन्मशतवर्ष के अवसर पर काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के बांगला विभाग द्वारा दो-दिवसीय ( 28th February  & 1st March) अन्तरराष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। शुभारंभ मंगलाचरण, जिसकी प्रस्तुति अभिषेक त्रिपाठी और स्वप्ना मिश्र(संस्कृत विभाग) ने किया। तत्पश्चात अतिथि द्वारा मालवीयजी के मूर्ति पर माल्यार्पण कर दीप प्रज्ज्वलित किया गया। कुलगीत पायेल मुखोपाध्याय और पलक ने प्रस्तुत किया। अतिथियों का स्वागत विभागाध्यक्ष एंव आयोजक सचिव ड. सुमिता चटर्जी द्वारा किया गया। इस संगोष्ठी के संयोजक ड. अंतरा दास ने ऋत्विक घटक के आज के सन्दर्भ मे प्रासंगिकता के बारे मे बताते हुये कहा कान फिल्म फेस्टिवल मे ऋत्विक जी की फिल्म का रेसटोरेशन तथा २०१७ से भारतीय सिने जगत ने भी उनकी कार्य का संरक्षण करना शुरू किया है। मुख्य अतिथि प्रो. आशीष त्रिपाठी, हिन्दी विभाग ‘मेघे ढाका तारा’, ‘सुवर्ण रेखा’ इत्यादि फिल्मों के माध्यम से ऋत्विक जी के सिनेमा के विभिन्न पहलुओं पर विचार करते हुये उन्हें काव्यिक साहित्यिक निर्देशक के रुप में परिभाषित किया। मुख्य वक्ता ड. गौतम चटर्जी ने  ऋत्विक दा के सिनेमा से जुड़े विभिन्न तकनीकी बारिकीयों का विश्लेषण किया।  लाइट बाउन्सींग का सर्वप्रथम उन्होंने ही प्रयोग किया। सिनेमेटोग्राफी आदि का विभिन्न सिनेमा मे प्रयोग पर  प्रकाश डाला। विशिष्ट अतिथि, छात्र सलाहकर ड. बिनायक दुबे ऋत्विक घटक पर अपने विचार व्यक्त किये। भोजन उपरान्त द्वितीय सत्र में प्रो. सुतपा दास ने ऋत्विक घटक की सिनेमाई उत्कृष्टता के माध्यम से मध्यवर्गीय बंगाली शरणार्थी महिलाओं के अस्तित्व सबंधी कुछ विचार प्रस्तुत किये। आमेरिका से शुभंकर मुखोपाध्याय “ऋत्विक घटक: उद्योग की अराजकता” विषय पर अपना वक्तव्य प्रस्तुत किया। ड. विपिन क. करावत ने “ऋत्विक घटक की सिनेमाई कला के कुछ पहलू” पर अपना वक्तव्य प्रस्तुत किया। इस सत्र की अध्यक्षता प्रो. बिन्दु लाहिड़ी ने किया। ड. सोमा दत्त, ड. स्वप्ना बन्दोपाध्याय, ड.अशोक कु. ज्योति, ड. गीतांजली सिंह, प्रो. सि एस रामाचन्द्र मुर्ति, ड. एहशान हसन, प्रो. उषा राणी आदि उपस्थित रहे। विभिन्न विभागों तथा कॉलेजों से आए लगभग पचास शोध-पत्र प्रस्तुत किया गया। संचालन ऋषभ, उत्तरा तथा इशिता ने किया।