वाराणसीः नेशनल हेल्थ मिशन तथा ममता हेल्थ इंस्टीटयूट फॉर मदर एंड चाइल्ड के संयुक्त सहयोग से स्थापित सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर एडोलसेंट हेल्थ एंड डेवलपमेंट (साथिया केंद्र) कमरा न. 104 , सर सुन्दरलाल चिकित्सालय, बी.एच.यू. वाराणसी में “विश्व थैलेसीमिया दिवस” (World Thalassaemia Day, 2024)” स्वास्थ्य जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन सेंटर की नोडल अधिकारी प्रोफेसर डॉ. संगीता राय तथा चिकित्सालय के चिकित्सा अधीक्षक के निर्देशन में किया गया| इस वर्ष विश्व थैलेसीमिया दिवस का थीम “”Empowering Lives, Embracing Progress: Equitable and Accessible Thalassaemia Treatment for All.” था।
कार्यक्रम की शुरुआत साथिया केंद्र तथा स्त्री व प्रसूति तंत्र विभाग की डॉ शुचि जैन ने किशोरों को जागरूक करते हुए बताया कि 8 मई को विश्वभर में “विश्व थैलेसीमिया दिवस” मनाया जाता हैं। थैलेसीमिया एक खून की अनुवांशिक (Hereditary) असामान्यता है जिसमें प्रभावित लोगों को खून की कमी रहती हैं। 8 मई विश्व थैलेसीमिया दिवस इस खतरनाक रक्त विकार के बारे में जागरूकता बढ़ाने और इस बीमारी से प्रभावित लोगों के प्रति संवेदना व समर्थन दिखाने के लिए मनाया जाता हैं। भारत में लगभग 4% लोगों में इस बीमारी का आनुवंशिक गुण मौजूद होता है। जब माता-पिता दोनों इसके वाहक (carrier) होते हैं, तो उनके बच्चों में इस बीमारी के साथ पैदा होने की 25% संभावना होती है, जिसे “थैलेसीमिया मेजर” भी कहा जाता है। इस प्रकार, हमारे देश में हर साल लगभग 10 हजार बच्चे थैलेसीमिया मेजर के साथ पैदा होते हैं। अफसोस की बात है कि किसी भी समय भारत में लगभग एक लाख मरीज़ को नियमित बाहर से रक्त चढाने की जरुरत पड़ती हैं। लेकिन इन सभी से बचा जा सकता है, जैसा कि दुनिया के कई अन्य देशों ने काफी सफलतापूर्वक किया है।
साथिया केंद्र तथा स्त्री व प्रसूति तंत्र विभाग की डॉ. ममता ने बताया कि हमारी प्राथमिक भूमिका उस बीमारी की प्रभावी रोकथाम में रहती है जो हीमोग्लोबिन के उत्पादन को प्रभावित करती है, जिसके लिए आजीवन उपचार और देखभाल की आवश्यकता होती है। हम सभी गर्भवती महिलाओं की प्रारंभिक गर्भावस्था में थैलेसीमिया की जांच करने की प्रथा का दृढ़ता से समर्थन करते हैं, यदि ऐसा पहले नहीं किया गया हो। यदि दोनों साथी इस स्थिति के वाहक हैं तो भ्रूण का भी सही समय पर परीक्षण किया जाना चाहिए। आगे उन्होंने बताया हम थैलेसीमिया मुक्त भविष्य को प्राप्त करने के लक्ष्य के साथ सभी अच्छे प्रयासों के लिए एकजुट हैं।
कार्यक्रम को सफल बनाने में साथिया केन्द्र के काउंसलर नवीन पाण्डेय तथा नेहा चौधरी, प्रोग्राम असिस्टेंट श्री मज़ाहिर अब्बास हैदरी, देवेन्द्र यादव तथा प्रशिक्षु शुभम, रक्ष्मी, युगल, नंदिनी, सौम्या, नीतिका, प्रीती आदि की भूमिका बहुत ही अहम रही |
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