अपस्मार (मिर्गी): एक आम बीमारी, न कि अंधविश्वास
डॉ. श्रद्धा उमर
*1(प्रभारी चिकित्साधिकारी, राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय, लालपुर-वाराणसी, क्षेत्रीय आयुर्वेदिक और यूनानी कार्यालय, वाराणसी, उत्तर प्रदेश, shraddhaumar91@gmail.com
भूमिका:
मिर्गीक्याहै?
आयुर्वेद में मिर्गी को “अपस्मार” कहा गया है, जो मन, स्मृति (Memory) और चेतना (Consciousness) पर प्रभाव डालती है। मिर्गी (Epilepsy) एक तंत्रिका तंत्र विकार (Neurological Disorder) है, जो बार-बार होने वाले दौरे (Seizures) से जुड़ा होता है। यह रोग मस्तिष्क की असामान्य विद्युत गतिविधियों के कारण होता है, जिससे व्यक्ति को अचानक बेहोशी, झटके (कंपन), और चेतना में अस्थायी कमी हो सकती है। भारत में मिर्गी को लेकर कई अंधविश्वास और भ्रांतियां हैं, जिससे रोगियों को समाज में भेदभाव और मानसिक तनाव का सामना करना पड़ता है। आयुर्वेद, योग और आधुनिक चिकित्सा के माध्यम से इस विकार को नियंत्रित किया जा सकता है, जिससे रोगी स्वस्थ और संतुलित जीवन जी सकता है।
मिर्गी से जुड़े सामान्य मिथक और वास्तविकता:
- मिथक 1: मिर्गी कोई भूत-प्रेत या टोना-टोटका से होने वाली बीमारी है।
सत्य: आयुर्वेद के अनुसार, यह मनःदोषजन्य विकार (Neuropsychological Disorder) है, जो वात-पित्त-कफ दोष (Tridosha Imbalance) और मनोगुणों (Rajas-Tamas) की वृद्धि के कारण उत्पन्न होता है। इसका भूत-प्रेत से कोई संबंध नहीं है।
- मिथक 2: मिर्गी छूने से फैलती है।
सत्य: अपस्मार संक्रामक (Infectious) नहीं है। यह स्पर्श, वायु, या भोजन के माध्यम से नहीं फैलता।
- मिथक 3: दौरे के दौरान मरीज को लोहे की चाबी या जूता सूंघाने से दौरा रुक जाता है।
सत्य: यह पूर्णतः ग़लत धारणा है। ऐसा करने से प्राणवह स्रोतस (Respiratory Pathway) में अवरोध हो सकता है, जिससे स्थिति बिगड़ सकती है।
- मिथक 4: मिर्गी होने पर शादी नहीं करनी चाहिए, यह अनुवांशिक (Genetic) रोग है।
सच: मिर्गी से ग्रसित व्यक्ति सामान्य जीवन जी सकते हैं, शादी कर सकते हैं और बच्चे भी कर सकते हैं। सभी मामलों में यह आनुवंशिक नहीं होती।
- मिथक 5: मिर्गी का इलाज संभव नहीं है, यह जीवनभर बनी रहती है।
सत्य: आयुर्वेदिक चिकित्सा, पंचकर्म, योग, और सत्त्वावजय चिकित्सा (Psychotherapy) के माध्यम से मिर्गी का संपूर्ण प्रबंधन (Holistic Management) किया जा सकता है।
मिर्गी का सही इलाज और आयुर्वेदिक प्रबंधन:
आयुर्वेद में मिर्गी (अपस्मार) को वातज, पित्तज, कफज और सन्निपातज अपस्मार में वर्गीकृत किया गया है। यह रोग वात-पित्त-कफ दोषों के असंतुलन और मनोगुणों (रजस-तमस) की वृद्धि के कारण होती है।
आयुर्वेदिकचिकित्सा
- ब्रह्मी(Bacopa Monnieri): मस्तिष्क को शांत और मजबूत बनाती है।
- शंखपुष्पी(Convolvulus Pluricaulis): तनाव और चिंता को कम करती है।
- जटामांसी(Nardostachys Jatamansi): तंत्रिका तंत्र को स्थिर रखती है।
- स्मृतिसागररसएवंब्राह्मीघृत: अपस्मार नाशक और मस्तिष्क की स्मरण शक्ति को बढ़ाते हैं।
- पंचकर्मचिकित्सा – वमन, विरेचन, बस्ती और नस्य मस्तिष्क की गतिविधियों को संतुलित करने में सहायक हैं।
योगऔरप्राणायामकालाभ
- अनुलोम–विलोमऔरभ्रामरीप्राणायाम – मस्तिष्क को शांत करते हैं और तंत्रिका तंत्र को मजबूत बनाते हैं।
- ध्यान(Meditation) – मानसिक तनाव को कम करता है और एकाग्रता बढ़ाता है।
- योगासन:
- सर्वांगासनऔरमत्स्यासन – मस्तिष्क में रक्त संचार को बेहतर बनाते हैं।
- शशकासन – मानसिक शांति प्रदान करता है।
मिर्गीकेदौरानक्याकरेंऔरक्यानकरें?
क्याकरें:
- मरीज को सुरक्षित जगह पर लिटाएं और सिर के नीचे तकिया रखें।
- मरीज के कपड़े ढीले करें, ताकि उसे सांस लेने में कोई दिक्कत न हो।
- अगर दौरा 5 मिनट से ज्यादा चले, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
क्यानकरें:
- मरीज के मुंह में पानी, दवा, चाबी या कोई अन्य वस्तु न डालें।
- मरीज को जबर्दस्ती पकड़ने या हिलाने की कोशिश न करें।
- मिर्गी के दौरान अंधविश्वासों पर भरोसा न करें, सही इलाज कराएं।
निष्कर्ष:
मिर्गी कोई अशुभ प्रभाव या छूने से फैलने वाली बीमारी नहीं है, बल्कि यह एक सामान्य तंत्रिका संबंधी विकार है, जिसका इलाज संभव है। योग, आयुर्वेद और आधुनिक चिकित्सा की मदद से इसे नियंत्रित किया जा सकता है। अंधविश्वासों से बचें, जागरूक बनें और सही समय पर इलाज कराएं।
मिर्गी के रोगियों को सहानुभूति दें, न कि भेदभाव। सही जानकारी ही इसका सबसे बड़ा समाधान है।