काशी तमिल संगमम 3.0 : विकसित भारत के लक्ष्य को हासिल करने में शिक्षा के योगदान पर शिक्षाविदों ने किया विचारों का आदान प्रदान
• विशेषज्ञों ने कहा कृत्रिम बुद्धिमता, इंजीनियरिंग, प्रौद्योगिकी और शिक्षा के अन्य क्षेत्रों की साझेदारी से भविष्य के नवाचार और सृजनात्मकता को मिलेगी नई दिशा












वाराणसी, 18 फरवरी 2025: कृत्रिम बुद्धिमता, प्रौद्योगिकी तथा शिक्षा के अन्य क्षेत्रों का समागम भविष्य की सृजनात्मकता एवं नवाचार को आकार देगा। काशी तमिल संगमम 3.0 के अंतर्गत काशी हिंदू विश्वविद्यालय में मंगलवार को आयोजित बौद्धिक कार्यक्रम व्यक्त विचारों का यही सार रहा। कार्यक्रम में विकसित भारत के लक्ष्य को हासिल करने हेतु शिक्षा की भूमिका पर व्यापक चर्चा हुई, जिसमें काशी और तमिल नाडू के शिक्षा जगत के प्रतिभागियों ने विचार साझा किये।
काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के मंच कला संकाय स्थित पंडित ओंकार नाथ ठाकुर सभागार में आयोजित बौद्धिक सत्र के लिए पंहुंचने पर तमिल नाडू के प्रतिनिधिमंडल का गर्मजोशी से स्वागत किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ आईआईटी बीएचयू के रसायन शास्त्र विभाग के प्रोफेसर वी. रामानाथन के स्वागत भाषण से हुआ। इसके बाद महामना पंडित मदन मोहन मालवीय की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया गया। दक्षिण बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. सी.एस. राठौर ने विशिष्ट अतिथियों का सम्मान किया। इस अवसर पर काशी और तमिलनाडु के सांस्कृतिक एवं ऐतिहासिक संबंधों पर आधारित एक वृत्तचित्र भी दिखाया गया। साथ ही साथ आईआईटी बीएचयू द्वारा शिक्षा, चरित्र निर्माण और नेतृत्व विकास के लिए किए जा रहे प्रयासों को भी एक लघु फिल्म के माध्यम से प्रदर्शित किया गया।
सम्मेलन के दौरान कई विद्वानों और विशेषज्ञों ने अपने विचार रखे। आईआईटी बीएचयू के गणितीय विज्ञान विभाग की डॉ. लावण्या ने ‘नई शिक्षा नीति 2020 और विकसित भारत @ 2047: भारत के भविष्य की रूपरेखा’ विषय पर व्याख्यान दिया। उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के उन बिंदुओं को रेखांकित किया, जो बहु-विषयक और समग्र शिक्षा, शिक्षण में प्रौद्योगिकी का समावेश, भारतीय भाषाओं को बढ़ावा देकर समानता और पहुंच सुनिश्चित करना, और शासन प्रणाली में सुधार के माध्यम से नवाचार व जवाबदेही को सुदृढ़ करने की बात कहते हैं। डॉ. लावण्या ने बताया कि आईआईटी बीएचयू एक लचीला शैक्षणिक ढांचा विकसित करने की दिशा में कार्य कर रहा है, जो रचनात्मकता, अंतःविषयक अध्ययन और नवाचार को प्रोत्साहित करता है।
बीएचयू के अंग्रेजी विभाग के प्रोफेसर संजय कुमार ने नेल्सन मंडेला के शब्दों को उद्धृत किया कि “शिक्षा सबसे शक्तिशाली हथियार है जिससे आप दुनिया को बदल सकते हैं।” प्रो. संजय कुमार ने बताया कि शिक्षा राष्ट्रीय विकास का सबसे महत्वपूर्ण माध्यम है। उन्होंने कहा कि किसी देश के विकास का पैमाना सिर्फ आर्थिक मापदंड नहीं हो सकते, बल्कि उसके लोगों की क्षमता, कल्याण एवं खुशी भी यह तय करती है कि वह देश कितना विकसित है। उन्होंने बताया कि शिक्षा में निवेश से आर्थिक प्रगति, उद्यमिता, नवाचार, गरीबी उन्मूलन, सामाजिक समानता, लैंगिक समावेशिता और जीवन स्तर में सुधार संभव है।
टीसीएस एकेडमिक एलायंस ग्रुप के प्रमुख प्रो. के.एम. सुशिंद्रन ने काशी और कांची के ऐतिहासिक व शैक्षणिक संबंधों की चर्चा की। उन्होंने कहा कि बीएचयू और आईआईटी बीएचयू जैसे संस्थानों के कारण काशी ज्ञान, नवाचार और अंतःविषय अनुसंधान का वैश्विक केंद्र बन चुका है। उन्होंने कहा कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई), इंजीनियरिंग, प्रौद्योगिकी और शिक्षा के अन्य क्षेत्रों का संगम भविष्य की रचनात्मकता और नवाचार को गति देगा। उन्होंने यह भी कहा कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता भविष्य की नौकरियों और शैक्षणिक क्षेत्रों को नया रूप देने वाली महत्वपूर्ण दक्षता बन चुकी है।
आईआईटी बीएचयू के रासायनिक अभियंत्रण विभाग की डॉ. दर्शनी जॉर्ज ने ‘निपुण भारत’ और ‘प्रधानमंत्री रिसर्च फेलोशिप (पीएमआरएफ)’ जैसी सरकारी योजनाओं की जानकारी दी, जो विद्यार्थियों के विकास में सहायक हैं। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय की छात्रा शुभांगी ने भारत के डेमोग्राफ़िक डिवीडेंड को देश की पूंजी बताया और शिक्षा की परिवर्तनकारी शक्ति को रेखांकित किया। उन्होंने नई शिक्षा नीति, डिजिटल इंडिया, स्किल इंडिया और स्वयम जैसे अभियानों की चर्चा की, जिनका उद्देश्य युवाओं को सशक्त बनाना है।
भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान (आईसीएआर-आईआईवीआर) के शोधार्थी जय सिंह ने बताया कि आईसीएआर-आईआईवीआर का उद्देश्य फसल उत्पादन बढ़ाना और पोषण मूल्य को बनाए रखते हुए भारत की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करना है। इतिहास विभाग बीएचयू के दिव्यांग शोधार्थी सत्यप्रकाश मालवीय ने अपनी उद्यमिता यात्रा साझा की और बताया कि कैसे उन्होंने अपनी कठिनाइयों पर विजय पाकर एक सफल उद्यमी के रूप में पहचान बनाई।
सम्मेलन में विभिन्न केंद्रीय विश्वविद्यालयों के विद्यार्थियों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। केंद्रीय विश्वविद्यालय, केरल की एक छात्रा ने बीएचयू द्वारा इस महत्वपूर्ण शैक्षणिक आयोजन के लिए आभार व्यक्त किया। वहीं, केंद्रीय विश्वविद्यालय, कर्नाटक की छात्रा वैष्णवी ने आईआरसीटीसी और विश्वविद्यालय प्रशासन के उत्कृष्ट प्रबंधन की सराहना की। बीएचयू के एक अन्य विद्यार्थी रतन सिंह ने भी युवाओं के योगदान पर विचार रखे।
वाणिज्य विभाग, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, के प्रोफेसर शन्मुग सुन्दरम ने धन्यवाद ज्ञापन प्रेषित करते हुए, काशी तमिल संगमम पहल के लिए माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के प्रति आभार व्यक्त किया और उत्तर प्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ के सहयोग की सराहना की। प्रो. सुन्दरम ने कहा कि शिक्षा, नवाचार, प्रौद्योगिकी और सांस्कृतिक मूल्यों पर आधारित विकास ही विकसित भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने की कुंजी है।
शैक्षणिक कार्यक्रम के पश्चात प्रतिनिधियों ने सीडीसी बिल्डिंग का दौरा किया जहां उन्हें काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में शोध व अनुसंधान के लिए उपलब्ध अत्याधुनिक ढांचागत सुविधाओं, एवं परीक्षण उपकरणों व प्रयोगशालाओं की जानकारी मिली। प्रतिनिधिमंडल ने विश्वविद्यालय परिसर का भ्रमण भी किया, जिससे उन्हें बीएचयू की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और वैज्ञानिक एवं तकनीकी अनुसंधान में हुई प्रगति को नज़दीक से देखने का अवसर प्राप्त हुआ।