Total Views: 81

वाराणसीः दिनांक १७-१९ तक धन्वन्तरि भवन आयुर्वेद संकाय चिकित्सा विज्ञानं संस्थान बी एच यू में आयुष मंत्रायलय भारत सरकार के गाइड लाइन के अनुरूप संकाय प्रमुख प्रोफेसर पी के गोस्वामी के मार्गदर्शन तथा समन्वयक डॉ राशि शर्मा के सहयोग से साइंटफिक राइटिंग इंटीग्रिटी एवं पब्लिकेशन एथिक पर कार्यक्रम आयोजन किया गया।
समन्वयक डॉ. राशि शर्मा ने बताया की इस कार्यक्रम में कुल ६० प्रतिभागी शिक्षको ने १५ प्रदेश से आकर सहभगिता की जिसमे कुल २० महत्वपूर्ण लेक्चर का आयोजन किया गया।
इस कार्यक्रम के विशिस्ट अतिथि प्रोफेसर वैद्य राकेश शर्मा भारतीय चिकित्सा आयोग के अध्यक्ष ने बताया कि शिक्षकों को एनसीआईएसएम के रेगुलेशन द्वारा ताकत प्रदान किया गया है जिसका लाभ शिक्षक एवं शोध छात्र ले सकते हैं, जिससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आयुर्वेद की गरिमा एवं उपयोगिता बढ़ेग। पूर्व के समय में इस विधा में जितना देश एवं विदेश को शोध युक्त कार्य करना चाहिए था वह अभी तक नहीं हो पाया है , आप लोग जो यहां पर SCIENTIFIC WRITING, RESEARCH INTEGRITY & PUBLICATION ETHICS वर्कशॉप में सीख रहे हैं उसे अपने-अपने संस्थान में जाकर अन्य शिक्षकों एवं छात्रों को सिखाते हुए प्रोत्साहित करने का प्रयास करें।

इस कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे निदेशक चिकित्सा विज्ञान संस्थान प्रोफेसर एस एन शंखवार द्वारा अवगत कराया गया की इस वर्कशॉप जैसे और भी ज्ञानवर्धक कार्यों को प्रयोग में लाया जायेगा। जिससे शोध के क्षेत्र में पूरे देश में बढ़ावा मिलेगा। समन्वय सकारात्मक विचार एवं आधुनिक चिकित्सा के साथ कदम से कदम मिलाकर कार्य करने से शोध के क्षेत्र में उत्कृष्ट बढ़ोतरी होती है। उन्होंने बताया कि बीएचयू के द्वारा सबसे पहले शोध के क्षेत्र में कार्य आरंभ करने का प्रयास भारतरत्न महामना जी के मार्गदर्शन में शुरुवात हुई थी और आज यह विचार पुरे विश्व में अपनी विशिष्ट पहचान बनाने में सफल रहा। महामना पंडित मदन मोहन मालवीय जी की दूरदृष्टि और नेतृत्व के कारण विश्वविद्यालय ने शिक्षा और शोध के क्षेत्र में एक अद्वितीय स्थान प्राप्त किया है, जिससे देश और दुनिया को नई दिशा मिल रही है ।
कार्यक्रम के गेस्ट ऑफ़ ऑनर निदेशक प्रबंध शास्त्र संसथान प्रोफेसर आशीष बाजपयी ने बताया की आज आयुर्वेद पूरी दुनिया में परचम लहरा रहा है हम जब तक प्रकृति के अनुरूप खान पान एवं बिचार नहीं रखेंगे तब तक स्वस्थ्य लाभ नहीं मिलेगा।

आयुर्वेदा संकाय के प्रमुख प्रोफ़ेसर पी गोश्वामी ने वर्कशॉप के उपयोगिता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि ,वैज्ञानिक लेखन किसी भी शोधकर्ता या वैज्ञानिक के जीवन का एक अनिवार्य हिस्सा है। यह केवल हमारे विचारों और शोध परिणामों को कागज़ पर उतारने की प्रक्रिया नहीं है, बल्कि यह हमारे ज्ञान को सही ढंग से, स्पष्ट और सटीक रूप में व्यक्त करने का एक सशक्त माध्यम है। इस कार्यशाला का उद्देश्य आपको वैज्ञानिक लेखन की जटिलताओं से परिचित कराना था, ताकि आप अपने शोध कार्यों को बेहतर ढंग से प्रस्तुत कर सकें तथा अपने विद्यार्थियों को सही तरीके के वैज्ञानिक लेख लिख सके। हमने इस वर्कशॉप में विशेष ध्यान दिया कि किस प्रकार एक शोधपत्र या वैज्ञानिक रिपोर्ट को इस प्रकार तैयार किया जाए कि वह न केवल अकादमिक जगत में मान्य हो, बल्कि उसका प्रभाव और समझ भी व्यापक हो।
कार्यक्रम में प्रोफेसर पी इस व्यङ्गी , प्रोफेसर संगीता गहलोत वैद्य सुशील दुबे डॉ मीरा , डॉ मृदुल डॉ रामानंद तिवारी डॉ सौरभ , डॉ रागिनी डॉ नेहा ऋषिका आदि मौजद रहे।
मंच का सञ्चालन डॉ राशि शर्मा ने किया

Leave A Comment