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प्रधान संपादक की कलम सेः पाठक गण ध्यान से देखें एक भी मांग सेठों से नहीं की गई है, सभी मांगें नेशन-स्टेट से हैं।

दिल्ली के फैक्ट्री श्रमिकों का डिमांड चार्टर

सभी फैक्ट्रियों और प्रतिष्ठानों में :-

सरकारी न्यूनतम वेतन दर सख्ती से लागू करो। वेतन के साथ पी.एफ., ई.एस.आई. व अन्य सामाजिक सुरक्षा सुविधाएं भी लागू करो। न्यूनतम वेतन बढ़ा कर ₹26,000 प्रति माह (₹1000 प्रतिदिन) करो।
कार्यरत श्रमिकों को सभी कानूनी व जरूरी दस्तावेज, मुख्यतः i) लेटर ऑफ अपॉइंटमेंट, ii) आईडी कार्ड, iii) सैलरी स्लिप, मुहैया कराओ।
8 घंटा कार्य दिवस कानून लागू हो। 8 घंटा से अधिक तथा अवकाश के दिन भी काम करने पर दोगुना ओवरटाइम वेतन दर लागू हो।
स्थाई काम पर स्थाई रोजगार के सिद्धांत के अनुसार सभी श्रमिकों की नौकरी पक्की और नियमित करो। ठेकेदारी प्रथा बंद करो।
हफ्ते में एक दिन (सामान्यतः रविवार) को सवेतन अवकाश (paid leave) का नियम लागू हो। इसके अतिरिक्त साल में 12 दिन सवेतन अवकाश तथा 12 दिन सवेतन मेडिकल अवकाश (sick leave) का प्रावधान भी लागू हो।
सभी श्रम कानून (वेतन, सुरक्षा, सामाजिक सुरक्षा, यूनियन आदि संबंधित) सख्ती से लागू हों। नए मजदूर-विरोधी लेबर कोड के प्रावधानों को अनौपचारिक रूप से लागू करने की प्रथा पर तुरंत रोक लगे।
समान काम के लिए समान वेतन के सिद्धांत के अनुसार महिला और पुरुष श्रमिकों को बराबर वेतन दो। कार्यस्थल और औद्योगिक क्षेत्र में महिला श्रमिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करो। महिला श्रमिकों के लिए क्रेच और मातृत्व अवकाश (मेटरनिटी बेनिफिट) की सुविधा भी सुनिश्चित करो।
सभी श्रमिकों का बकाया वेतन फैक्ट्री प्रबंधन अविलंब बहाल करे। श्रमिकों को पहचान पत्र उपलब्ध नहीं कराने वाली फैक्ट्रियों में बकाया वेतन का मामला साबित करने का भार प्रबंधन पर हो, ना कि श्रमिक पर।
श्रमिकों की सुरक्षा के सभी इंतजाम करो। औद्योगिक दुर्घटनाओं में तत्काल प्रशासनिक कार्रवाई व तहकीकात की जाए। दोषी प्रबंधन पर उचित त्वरित कार्रवाई की जाए। दुर्घटना में घायल श्रमिकों के पर्याप्त इलाज और मुआवजा की जिम्मेदारी प्रबंधन की हो। दुर्घटना के कारण मृत तथा अपंग हुए श्रमिकों के परिवार को उचित मुआवजा तथा एक सदस्य को रोजगार प्रबंधन की ओर से मिले।
प्रबंधन व मालिक द्वारा श्रमिकों के साथ मारपीट व अभद्र व्यवहार पर तत्काल रोक लगे तथा ऐसा करने वाले प्रबंधन पर कानूनी कार्रवाई हो। श्रमिकों की न्यायसंगत मांगों पर औद्योगिक क्षेत्र तथा प्रशासन/अधिकारियों के समक्ष प्रदर्शन करने के संवैधानिक अधिकार पर किसी भी प्रकार के हनन को रोका जाए।
उपरोक्त प्रावधानों के सख्त कार्यान्वयन हेतु सरकारी श्रम विभाग को और सक्रिय व ज़िम्मेवार बनाया जाए। सभी औद्योगिक क्षेत्रों में नियमित रूप से आम निरीक्षण किए जाएं। फैक्ट्रियों में बिना नोटिस सुओ-मोटो निरीक्षण नियमित रूप से किया जाए। निरीक्षण रिपोर्ट को सार्वजनिक किया जाए। श्रम कानून का उल्लंघन करने वाले प्रबंधन पर तत्काल सख्त और उदाहरणात्मक कार्रवाई की जाए।
सभी अपंजीकृत व गैर कानूनी फैक्ट्रियों को नियमित करो। इस प्रक्रिया में किसी भी श्रमिक का रोजगार प्रभावित न हो, यह सुनिश्चित हो।
आंगनवाड़ी कर्मियों, सहायकों, रसोइयों, ASHA कर्मियों को भी “श्रमिक” मानते हुए वेतन, सामाजिक सुरक्षा आदि श्रम कानूनों की सुरक्षा दो।
झुग्गी–बस्ती संबंधित मांगें

“जहां झुग्गी वहीं मकान” के तमाम चुनावी वादों और मानवीय नीति के अनुसार झुग्गियों की जगह पर ही सभी निवासियों को पक्का मकान मुहैया कराओ।
तत्काल सभी झुग्गियों को नियमित करो और अतिक्रमण, सफाई, सौंदर्यीकरण आदि के नाम पर झुग्गियों को उजाड़ना बंद करो।
बस्ती में आबादी अनुसार पर्याप्त संख्या में नए स्वच्छ शौचालयों और स्नानघरों का निर्माण करो। उपस्थित शौचालयों की प्रतिदिन सफाई हो तथा उनमें साबुन, सैनिटाइजर, सैनिटरी पैड जैसी सुविधाएं उपलब्ध हों।
झुग्गी बस्ती में जलनिकास (ड्रेनेज) व सीवर प्रणाली को ठीक करो, ताकि गंदे पानी का जमाव व बारिश में जलजमाव और इससे होने वाली बीमारियों को रोका जा सके।
बस्ती में निःशुल्क स्वच्छ पेय जल की सुविधा उपलब्ध कराओ।
बस्ती में सभी सुविधा संपन्न सरकारी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों का निर्माण करो।
बस्ती में आंगनवाड़ी केंद्रों को बेहतर करो तथा उनमें सारी जरूरी सुविधाएं मुहैया कराओ।

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