वाराणसीः 10 दिवसीय REPOUSSE ART का समापन समारोह एवं प्रदर्शनी का उद्घाटन निदेशक, भारत कला भवन, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के द्वारा सम्पन्न हुआ।
इस समारोह में कला भवन के उप-निदेशक डा. निशांत एवं मूर्तिकला विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष श्री बिनोद कुमार सिंह तथा नागपुर फाइन आर्ट्स कालेज के संकाय प्रमुख डा. विश्वनाथ सावले उपस्थित थें।
इस कला के कार्यशाला का शुभारम्भ दीप प्रज्वल्लन एवं महामना मालवीय जी के मूर्ति पर माल्यार्पण के साथ शुरू हुआ। साथ ही विभागाध्यक्ष एवं संकाय प्रो. उत्तमा जी ने उपस्थित अतिथियों का पुष्प गुच्छ एवं माल्यार्पण कर स्वागत किया।
प्रथम वक्ता के रूप में श्री बिनोद कुमार सिंह ने कला की अवधारणा के उपर प्रकाश डालते हुए कहा कि किसी भी कलाकार की विचारधारा ही अंतिम सत्य नही है, क्योकि समय के साथ कला की अवधारणा एवं प्रासंगिकता बदलती रहती है।
द्वितीय वक्ता डा. निशांत जी ने कहा कि कलाकार को अपनी जड़ से जुड़ा होना चाहिए जिस तरह से पी. वी. जानकी राम ने इस कला माध्यम को नई उँचाइयों तक ले गए।
श्री विश्वनाथ सावलें, संकाय प्रमुख, नागपुर कला विद्यालय, ने विद्यार्थियों से अनुरोध किया की आप आपनी रिसर्च पद्धती को कला के साथ जोडनें का प्रयास करें। क्योकि हमारी जड़ों एवं विरासत को जाने बिना नए कला कि अभिव्यक्ति सार्थक नही सम्भव है।
इसके बाद विभागाध्यक्ष एवं संकाय प्रमुख प्रो. उत्तमा ने श्री संजय कुमार कसेरा जी को धन्यवाद ज्ञापन किया और छात्र-छात्राओं का मनोबल बढाया।
इस कार्यशाला के संयोजक श्री अमरेश कुमार जी ने पूरी कार्यशाला की रूपरेखा एवं इसकी प्रस्तुति का उद्देश्य रखा। वर्तमान समय में इसकी प्रासंगिकता पर बल देते हुए कहा कि इस कला के विलुप्त हो रहे कला पद्धती को शैक्षणिक पद्धति द्वारा नए पीढी के छात्रों तक हस्तांतरति कर सके।
कार्यशाला में उपस्थित सभी छात्र एवं छात्राओं का कला की इस प्रारम्परिक माध्यम को नये सिरे से आधुनिक विषय एवं दृश्य कला के परिप्रेक्ष्य में पिरोया है।
10 दिवसीय कला शिविर एवं सेमिनार सभी छात्र छात्राओं एवं कलाकारों के लिए लाभकारी एवं प्रेरणादायक रही है।
इस अवसर पर संकाय के प्रमुख प्राध्यापकों में प्रो. बह्म स्वरूप, डा. महेश सिंह, डा. राजीव मण्डल, डा. सुरेश चन्द्र जांगिड़ उपस्थित रहें। कार्यशाला में मंच संचालन श्री साहेब राम टुडू जी ने किया।