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हिसार: चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कीट विज्ञान विभाग में मधुमक्खी पालन पर 7 दिवसीय विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन एवं शहद मिशन (एनबीएचएम) व राष्ट्रीय मधुमक्खी बोर्ड (एनबीबी) द्वारा प्रायोजित परियोजना के तहत इस कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बी.आर. काम्बोज बतौर मुख्यातिथि उपस्थित रहे। इस प्रशिक्षण में भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) व केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के 28 अधिकारी एवं जवान भाग ले रहे हैं।
कुलपति प्रो. बी.आर. काम्बोज ने कहा कि मधुमक्खी पालन कृषि क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण व्यवसाय के रूप में विकसित हो रहा है। मधुमक्खी पालन कृषि उत्पादन बढ़ाने के साथ-साथ रोजगार सृजन में भी अहम भूमिका निभा रहा है। उन्होंने कहा कि छोटे व सीमांत किसान, भूमिहीन और बेरोजगार युवक मधुमक्खी पालन को एक वैकल्पिक व्यवसाय के तौर पर अपना सकते हैं। हरियाणा मधुमक्खी पालन के क्षेत्र में अग्रणी प्रदेश है। भारत दुनिया के प्रमुख शहद निर्यातक देशों में से एक है। हमारे देश में शहद उत्पादन का 50 प्रतिशत से अधिक अन्य देशों में निर्यात किया जा रहा है। देश को श्वेत क्रांति, हरित क्रांति और नीली क्रांति के बाद अब ‘मीठी क्रांति‘ की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि मधुमक्खी अनाज उत्पादन की बढ़ोतरी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। लेकिन कीटनाशकों का अंधाधुंध प्रयोग करने से मधुमक्खियों को नुकसान होता है। इसलिए किसान कीटनाशकों का प्रयोग सीमित मात्रा में करें।
कुलपति ने कहा कि हमारा देश अपनी विशेष भौगोलिक स्थिति के कारण जैव विविधता से समृद्ध है। विश्व में सबसे अधिक जैव विविधता हमारे देश में पाई जाती है। उन्होंने कहा कि मधुमक्खी पालन के माध्यम से जैव विविधता को और अधिक बढ़ावा दिया जा सकता है। चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय एवं विभिन्न संस्थाओं द्वारा मधुमक्खी पर शोध कार्य, मधुमक्खी का सरल एवं कम अवधि का प्रशिक्षण, विभिन्न प्रसार माध्यमों द्वारा इसका प्रचार व प्रसार एवं ऋण सुविधाएं/सरकारी आर्थिक सहायता उपलब्ध करवाई जा रही है। उन्होंने बताया कि कृषि एवं किसान मंत्रालय ने पहले चार कृषि इनपुट के रूप में बीज, खाद, सिंचाई व कीटनाशक को निवेश के बाद अब मधुमक्खी पालन को कृषि के पांचवे निवेश के रूप में दर्जा दिया है।
अनुसंधान निदेशक डॉ. राजबीर गर्ग ने कहा कि इस प्रशिक्षण के दौरान अनुभवी वैज्ञानिकों द्वारा मधुमक्खी पालन से संबंधित सभी प्रकार की जानकारी दी जाएगी। उन्होंने कहा कि प्रशिक्षण के माध्यम से प्रतिभागियों को मधुमक्खी पालन को स्वरोजगार से जोडक़र आमदनी को कैसे बढ़ाया जा सकता है, इसके बारे में भी बताया जाएगा। कृषि महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ. एसके पाहुजा ने कहा कि किसानों को मत्स्य पालन, मधुमक्खी पालन तथा मशरूम की खेती के बारे में जागरूक करने के लिए विश्वविद्यालय द्वारा तमाम जानकारी उपलब्ध करवाई जा रही है ताकि किसान अपनी आय में बढ़ोतरी कर सके। उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय जल्द ही सैनिकों के लिए तीन महीने का सर्टिफिकेट कोर्स शुरू करने जा रहा है जिसमें कृषि व कृषि से संबंधित सभी व्यवसायों के बारे में जानकारी दी जाएगी।
कीट विज्ञान की अध्यक्ष डॉ. सुनीता यादव ने सभी का स्वागत करते हुए प्रशिक्षण कार्यक्रम के बारे में विस्तृत जानकारी दी। धन्यवाद प्रस्ताव डॉ. मनोज कुमार ने पारित किया। मंच का संचालन डॉ. भूपेन्द्र सिंह ने किया। इस अवसर पर सभी महाविद्यालयों के अधिष्ठाता, निदेशक, अधिकारी, विभागाध्यक्ष, शिक्षक, गैर शिक्षक कर्मचारी एवं विद्यार्थी उपस्थित रहे।

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