टीबी का संक्रमण महिलाओं के प्रजनन तंत्र एवं अंगों जैसे फैलोपियन ट्यूब्स, अण्डाशय एवं गर्भाशय को प्रभावित कर गंभीर क्षति पहुंचा सकता है जिससे आगे चलकर गर्भधारण में उत्पन्न हो सकती है समस्याः डॉ. संगीता राय
वाराणसीः बीएचयू में नेशनल हेल्थ मिशन तथा ममता हेल्थ इंस्टीटयूट फॉर मदर एंड चाइल्ड के संयुक्त सहयोग से स्थापित सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर एडोलसेंट हेल्थ एंड डेवलपमेंट (साथिया केंद्र) “विश्व क्षयरोग दिवस (World Tuberculosis Day, 2024)” की पूर्व संध्या पर स्वास्थ्य जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन सेंटर की नोडल अधिकारी प्रोफेसर संगीता राय तथा चिकित्सालय के चिकित्सा अधीक्षक के निर्देशन में किया गया। इस वर्ष विश्व क्षयरोग दिवस का थीम “यस! वी कैन एंड टी.बी.” थी।
कार्यक्रम की शुरुआत साथिया केंद्र तथा जनरल मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर दीपक गौतम ने किशोरों को जागरूक करते हुए बताया कि शरीर में टीबी की बीमारी की शुरुआत माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस नामक बैक्टीरिया के संक्रमण के कारण होती है। शुरुआत में तो शरीर में कोई लक्षण नहीं दिखते हैं, लेकिन जैसे-जैसे यह संक्रमण बढ़ता जाता है, मरीज की परेशानियां भी बढ़ने लगती हैं। जिन लोगों के शरीर की इम्यूनिटी कमजोर होती है, उन्हें टीबी का खतरा ज्यादा रहता है। टी.बी. एक गंभीर संक्रामक रोग है जो मुख्य रूप से फेफड़ो को प्रभावित करती है।
साथिया केंद्र की नोडल अधिकारी डॉ. संगीता राय ने बताया कि में यह संक्रमण महिलाओं के प्रजनन तंत्र एवं अंगों जैसे फैलोपियन ट्यूब्स, अण्डाशय एवं गर्भाशय को प्रभावित कर गंभीर क्षति पहुंचा सकता है जिससे आगे चलकर गर्भधारण में समस्या उत्पन्न हो सकती है। महिलाओं में टी. बी. के कारण गर्भाशय की परत (एण्डोमेट्रियम) में खराबी व ट्यूब बंद अथवा खराब होने की समस्या हो सकती है।
साथिया केंद्र तथा स्त्री व प्रसूति तंत्र विभाग की डॉ. साक्षी अग्रवाल ने टी. बी. से मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में किशोरों को जागरूक किया।
कार्यक्रम को सफल बनाने में साथिया केन्द्र के काउंसलर नवीन पाण्डेय, प्रोग्राम असिस्टेंट श्री मज़ाहिर अब्बास हैदरी, देवेन्द्र यादव तथा प्रशिक्षु रोहित, विपुल, शिवांगी, युगल, नंदिनी, रवि, लक्ष्मी आदि की भूमिका बहुत ही अहम रही।