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वाराणसीः उर्दू विभाग, बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी के तत्वाधान में “फ़िराक़ गोरखपुरी: जीवन और साहित्यिक योगदान” के विषय पर 13 नवंबर से 14 नवंबर तक दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया जा जा रहा है। इस आयोजन में विभिन्न विश्वविद्यालयों से उर्दू, हिंदी और अंग्रेज़ी के नामचीन आलोचक और विद्वान सम्मिलित हो रहे हैं।

ज्ञात हो कि उर्दू के के प्रख्यात शायर रघुपति सहाय “फ़िराक़” गोरखपुरी ने उर्दू शायरी की परंपरा को समृद्ध करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की।

मशहूर काव्य संग्रह “गुल-ए-नगमा” पर फ़िराक़ गोरखपुरी को ज्ञानपीठ अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। उर्दू विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर आफताब अहमद आफाकी ने जानकारी देते हुए बताया कि फ़िराक़ गोरखपुरी जैसे महान साहित्यकार को याद करना हिंदुस्तान की सांझी सांस्कृतिक विरासत को याद करना है। फ़िराक़ गोरखपुरी ने अपनी शायरी के माध्यम से समाज को गंगा जमुनी तहज़ीब का खूबसूरत संदेश दिया है। उन की शायरी कलात्मक और रचनात्मक रूप से भी अपनी मिसाल आप है। उन्होंने ने अपनी ग़ज़लों में अनोखे डिक्शन और अनूठे शिल्प का प्रयोग किया है।

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