दुनिया की आधी से अधिक आबादी अपनी पोषण और आहार संबंधी मांगों को पूरा करने के लिए चावल पर निर्भर है। चावल अपने जीवनदायी गुणों के कारण भारत में समृद्धि और उर्वरता का प्रतीक भी है। 2022-2023 फसल वर्ष में वैश्विक स्तर पर 165.04 मिलियन हेक्टेयर में अनुमानित 513.54 मिलियन मीट्रिक टन चावल का उत्पादन किया गया। आमतौर पर घरों में सफेद चावल खाया जाता है, लेकिन चावल सिर्फ सफेद नहीं बल्कि अन्य रंगों का भी होता है।
रंगबिरंगे दानों के साथ चावल की काली, भूरी, लाल, और गहरे बैंगनी रंग की किस्में पिगमेंटेड चावल की श्रेणी में आती हैं। ऐसी किस्मों में पाए जाने वाले बायोएक्टिव पदार्थों में अमिनो एसिड, फ्लेवोन, फेनोलिक्स, आवश्यक तेल स्टेरोल्स, y–ओरीज़ानॉल्स, टैनिन और टोकोफेरोल्स शामिल हैं। समृद्ध पोषक तत्व के अलावा पिगमेंटेड चावल की किस्में तनाव, मोटापा, हृदय संबंधी, ट्यूमर, कैंसर और हार्मोन असंतुलन जैसे चयापचय संबंधी विकारों को नियंत्रित करके मानव स्वास्थ्य में सुधार कर सकती हैं। हालाँकि ऐसी किस्में कुल वैश्विक चावल उपज का केवल 0.1 प्रतिशत हैं, जिसका मुख्य कारण किसानों और उपभोक्ताओं के बीच जागरूकता की कमी है, जिससे बाजार की क्षमता सीमित हो गई है। इसलिए पिगमेंटेड चावल के उत्पादन और अनुप्रयोग को बढ़ाने की आवश्यकता है। खाद्य, दवा, पैकेजिंग उद्योगों और प्रसाधन उत्पाद बनाने में रंगीन चावल का उपयोग कई अध्ययनों का विषय रहा है। पिगमेंटेड चावल में विविध प्रकार के एंथोसायनिन नामक एंटीऑक्सिडेंट होते हैं, जैसे मालविडिन 3–ग्लूकोसाइड, साइनाइडिन 3–ओ ग्लूकोसाइड, साइनाइडिन 3 – रूटीनोसाइड, और साइनाइडिन 3-5 डाइग्लूकोसाइड, पेओनिडिन 3–ओ ग्लूकोसाइड, साइनाइडिन 3 – सैम्बुबियोसाइड और साइनाइडिन 3 – जेंटियोबायोसाइड। हालाँकि ये बायोएक्टिव पदार्थ प्रकाश, पीएच, तापमान और अन्य कारकों के प्रति बेहद संवेदनशील होते हैं। इसलिए इन यौगिकों को रोकने के लिए उचित सुरक्षा उपायों का उपयोग आवश्यक है और पिगमेंटेड चावल में मौजूद इन कार्यात्मक बायोएक्टिव यौगिकों को प्राप्त करने के लिए पारंपरिक और आधुनिक तरीकों का उपयोग करके निकाला जा सकता है। काशी हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी के दुग्ध विज्ञान एवं खाद्य प्रौद्योगिकी विभाग की शोध छात्रा डॉ. सलोनी ने प्रोफेसर दिनेश चंद्र राय की मार्गदर्शन में पिगमेंटेड ब्लैक राइस (काला चावल) पर अपना शोध कार्य किया है। शोध कार्य के लिए काला चावल की किस्म (चक – हाओ) मणिपुर से मंगाया गया। काले चावल की चक-हाओ किस्म को 2019 में मणिपुर में जीआई टैग भी मिला है।
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उन्होंने कार्यात्मक डेयरी उत्पादों के निर्माण में काले चावल के महत्व को समझाया और कम कैलोरी वाली कार्यात्मक आइसक्रीम के निर्माण में काले रंग वाले चावल के अर्क का उपयोग किया एवं प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में शोध पत्र प्रकाशित किया। इसके साथ, डॉ. सलोनी सह-लेखक प्रोफेसर दिनेश चंद्र राय (वरिष्ठ प्रोफेसर बीएचयू, वाराणसी एवं वर्तमान में बाबा भीम राव अंबेडकर विश्वविद्यालय के कुलपति) डॉ. राज कुमार दुआरी (प्रोफेसर, बीएचयू, वाराणसी) और डॉ. राकेश कुमार सिंह (प्रोफेसर, जॉर्जिया विश्वविद्यालय, संयुक्त राज्य अमेरिका) के साथ जर्नल ऑफ फूड एंड बायोप्रोसेस टेक्नोलॉजी (इम्पैक्ट फैक्टर : 5.3) में पिगमेंटेड चावल में बायो-फंक्शनल कंपाउंड्स: एक्सट्रैक्शन्स, डिलीवरी मोड और खाद्य प्रणालियों में अनुप्रयोग पर आधुनिक अपडेट नामक एक समीक्षा पत्र लिखा है, जो स्प्रिंगर साइंस और बिजनेस मीडिया द्वारा प्रकाशित एक सहकर्मी-समीक्षित वैज्ञानिक पत्रिका है । समीक्षा पत्र में एक उपयुक्त वितरण प्रणाली द्वारा खाद्य मैट्रिक्स में पिगमेंटेड चावल के अर्क/संपूर्ण अर्क का निष्कर्षण, एनकैप्सुलेशन और उपयोग, पिगमेंटेड चावल में मौजूद विभिन्न बायोएक्टिव यौगिकों को स्थिरता और घुलनशीलता प्रदान करने के लिए एक स्थायी दृष्टिकोण है। इस बात का भी वर्णन है कि पिग्मेंटेड चावल की किस्में अपने समृद्ध पोषक तत्व और न्यूट्रास्यूटिकल्स के कारण विभिन्न चयापचय असामान्यताओं को विनियमित करके मानव स्वास्थ्य को बढ़ावा दे सकती हैं। पिगमेंटेड चावल से निकाले गए विभिन्न प्रकार के एनकैप्सुलेटेड न्यूट्रास्यूटिकल्स को विभिन्न तकनीकों द्वारा कैसे विकसित और वर्गीकृत किया गया है, इसका भी विस्तार से वर्णन किया गया है।
कार्यात्मक खाद्य विकास के निर्माण में उपयोग किया जा सकता है, लेकिन उनका व्यावसायिक अनुप्रयोग अभी तक प्राप्त नहीं हुआ है। इससे शोधकर्ताओं को रंगीन चावल के बायोएक्टिव अवयवों का उपयोग करने का अवसर मिलता है जिसे खाद्य रंग, खाद्य योजक, पोषक तत्व अनुपूरक और पैकेजिंग के लिए उपयोग किया जा सकता है और पिग्मेंटेड चावल का उपयोग विभिन्न खाद्य उत्पादों, जैसे बर्फी, आइसक्रीम, इडली, पोषण ऊर्जा बार, चॉकलेट, केक, पास्ता और खीर आदि को तैयार करने के लिए किया जा सकता है, जो भविष्य में मानव स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए लाभकारी प्रभाव देगा। कुलपति महोदय द्वारा यह संदेश दिया गया कि दैनिक जीवन में इस कम उपयोग किए गए पिगमेंटेड चावल का उपयोग करें और स्वास्थ्य लाभ प्राप्त करें।