सप्ताह भर ( 15-22 अप्रैल ) तक चलने वाली इस वर्कशॉप की शुरुआत भारत रत्न महामना के मूर्ति पर माल्यार्पण और दीप प्रज्वलन के साथ अतिथियों को अंगवस्त्र और काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के प्रतिक चिन्ह देकर शुरुआत की गई।
अतिथियों का स्वागत भाषण प्रस्तुत करते हुए संकाय प्रमुख प्रो. एच. के. सिंह ने थ्योरी और प्रैक्टिकल दोनों के सामंजस और अर्थशास्त्र के जरिये अधिक से अधिक कल्याण की दृष्टि पर बात रखी, जिसमें उन्होंने गरीबों के हित और समानता के पक्षधर सिद्धांतो पर प्रकाश डाला।
वर्कशॉप के संयोजक डॉ. लाल बाबू जायसवाल ने बताया की ये वर्कशॉप GST के अलग अलग आयामों पर प्रतिष्ठित पेशेवर चार्टर्ड लेखाकार और अन्य अधिकारियो के सेशन के साथ सम्पादित की जायेगी।
अर्थशास्त्र विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. अचल कुमार गौर ने GST को ” उपभोग पर आधारित कर ” बताते हुए इसके निवेश और बचत के आयामों पर विस्तुत प्रकाश डाला।
डिप्टी कमिश्नर ( GST ) वाराणसी मंडल – उप्र सरकार, देवेश तिवारी ने व्यवसायिक तौर पर इसके सूचना संग्रह के साथ इसके अनुसूचीया, तकनीकी पक्ष और विधि के स्वरुप पर प्रकाश डालने के साथ पूर्व की विभिन्न समितियों के साथ इसके आधारभूत संरचना पर विस्तुत विचार रखे ।
प्रो. अखिल मिश्रा ने GST का असर आम जनमानस को कैसे प्रभावित कर रहा है,इसके विभिन्न आयामों पर प्रकाश डाला।
वरिष्ठ सहायक कुलसचिव डॉ. शार्दुल चौबे ने GST का सामाजिक प्रभाव पर प्रकाश डालते हुए विभिन्न देशों के कर प्रणाली, GST के भीतर पचास से अधिक बैठक होने के बावजूद किसी शिकायत के निवारण अधिकरण के मौजूद नहीं होने, नोटबन्दी और GST के बाद बढ़ी एकतरफा बहस, डिजिटल डिवाइड और जनता के बीच में बढ़ती भ्रान्तिया के साथ विश्वविद्यालय के कर्मचारियों को भी इस कर प्रणाली पर कोई प्रशिक्षण न मिलने पर चिंता जाहिर की।
चार्टर अकाउंटेंट विशाल सिंह ने कहा की ये ” कर ” सबके लिए नहीं है, छोटे व्यापारियों को इसमें सीधे तौर पर छूट मौजूद है, इसके साथ उन्होंने इसके व्यवहारिक पक्ष पर बात रखी।
संचालन डॉ. इशि मोहन और धन्यवाद ज्ञापन कार्यक्रम के समन्वयक डॉ. अवधेश सिंह ने किया।
इस दौरान प्रो. यश. पी अग्रवाल, प्रो. ओपी सिंह, प्रो. फ़तेह बहादुर सिंह, प्रो. सुंदरम, डॉ. आँचल सिंह, डॉ. राखी गुप्ता समेत 150 से अधिक विद्यार्थियों ने प्रतिभागी किया।।