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मज़दूर दिवस पर दिली जज़्बात
“हूं मैं मज़दूर मेहनतकश किसान”
हूं मैं मेहनतकश मज़दूर किसान
मेरी झोली में है
हिरा, मोती, लाल सभी
तुम क्या जानों
हूं मैं मेहनतकश मज़दूर किसान
मैं रूखी सूखी खाता
भूक अपनी मिटाता
औरों को देता हूँ सब
हूं मैं मज़दूर मेहनतकश किसान
नहीं लालच ,नहीं निराशा
बस ये रहती है आशा
मालिक ही दे हमको
हूं मैं मेहनतकश मज़दूर किसान
हथों में चट्टानों सी ताक़त
जो भी काम करवाओ
बस झूठ ना बोलवाओ
हूं मैं मेहनतकश मज़दूर किसान
जो भी कमाता हूं
शाम को अपने बसेरे पर
लेकर लौट आता हूँ
हूं मैं मेहनतकश मज़दूर किसान
बच्चों के संग खाता हुं
ये है मेरी छोटी सी दुनिया
टूटी खाट बिछाकर सो जाता हूं
हूं मैं मेहनतकश मज़दूर किसान
हर वो सपना पूरा करना
हो जिसमें इंसानियत की भलाई
भारत के सच्चे सपूत हम
हूं मैं मेहनतकश मज़दूर किसान
हर सांस पे जयकार
भारत माँ की रहती
हर क़तरा लहू का निछावर माँ पर
हूं मै मेहनतकश मज़दूर किसान
इन हड्डियों में
अब भी लहूं बहता है
नूर आँखों में मेरी
महान भारत का सपना है
हूं मैं मज़दूर मेहनतकश,किसानहूं मैं मज़दूर मेहनतकश,किसान
हूं मैं मज़दूर मेहनतकश,किसान महनतकश,किसान मेहनतकश,किसान
डाॅ. नूर फ़ात्मा
मुगलसराय-वाराणसी
01/05/2024