वाराणसीः वैदिक विज्ञान केन्द्र, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय द्वारा “वैदिक विज्ञान : वैश्विक अनुप्रयोग (Vedic Science : Global Applications)” विषयक त्रि-दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का द्वितीय दिवस सुधर्मा सभागार में आयोजित किया गया, जिसमें चार सत्रों का संचालन हुआ। स्वीटजरलैण्ड के विद्वान् के श्री आशुतोष उर्स स्ट्रॉबेल, संस्थापक एवं न्यासी, अनामय वैदिक गुरुकुल ने योग वाशिष्ठ का सन्दर्भ देते हुए महर्षि वशिष्ठ द्वारा वैदिक संस्कृति के आलोक में श्रीराम को प्रदत्त उपदेशों का सुन्दर वर्णन किया। प्रथम सत्र के विशिष्ट वक्ता प्रो. सदाशिव कुमार द्विवेदी, आचार्य संस्कृत विभाग एवं समन्वयक, भारत अध्ययन केन्द्र, कला संकाय, का.हि.वि.वि. ने वैदिक चित् तत्त्व पर सारगर्भित व्याख्यान प्रस्तुत किया। दूसरे विशिष्ट वक्ता प्रो. सी. उपेन्द्र राव संस्कृत एवं प्राच्य अध्ययन संस्थान, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली ने वैदिक जल विज्ञान पर वैदुष्यपूर्ण विचार रखे। विशिष्टातिथि के रूप में डॉ0 सुनील वर्मा, कार्यपालक अधिकारी, काशी विश्वनाथ मंदिर ने अपने विचार रखे। डॉ. अभिजीत दीक्षित, क्षेत्रिय निदेशक, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र, वाराणसी ने वैदिक संज्ञानात्मक मनश्चेतनानुशीलन को प्रस्तुत किया।
डॉ. पवन कुमार पाण्डेय, सहायक आचार्य, संस्कृत विभाग, नागरिक पी जी कॉलेज, जंघई, जौनपुर ने योग की विश्वव्यापकता बताते हुए यह कहा कि कैसे एक पारम्परिक संस्कृत के विद्यार्थी बाबा रामदेव ने वैदिक योग के माध्यम से 45 हजार करोड़ रूपये की कंपनी खड़ी कर दी। अन्य वक्ताओं में डॉ0 शशिकान्त द्विवेदी, डॉ. कृष्ण मोहन त्रिपाठी सम्मिलित रहे। सत्र की अध्यक्षता प्रो. विजय शंकर शुक्ल, सलाहकार, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र, वाराणसी के द्वारा की गयी उन्होंने वैदिक संस्कृति की विश्वव्यापकता पर प्रकाश डाला। सत्र संचालन एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ. प्रदीप कुमार दीक्षित, सहायक आचार्य, केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, श्रीरणवीर परिसर,जम्मू ने किया।
द्वितीय सत्र के विशिष्टातिथि प्रो. धनंजय कुमार पाण्डेय, पूर्व अध्यक्ष, वैदिक दर्शन विभाग, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय तथा अध्यक्षता प्रो. शिशिर पाण्डेय, कुलपति, रामभद्राचार्य दिव्यांग विश्वविद्यालय, चित्रकूट ने की। वक्तागण प्रो. हनुमान मिश्र, डॉ0 श्रीश कुमार तिवारी, डॉ. मयंक प्रताप, डॉ. श्रीधर भट्ट, आचार्य डॉ. एस. रामकृष्ण शर्मा सम्मिलित रहे। जर्मन विद्वान डॉ0 उलरिच वर्क ने अग्निहोत्र यज्ञ का सवास्थ्य पर प्रमुख और रोगों का निदान पर प्रायोगिक रिपोर्ट के माध्यम से प्रस्तुत किया।
तृतीय सत्र की अध्यक्षता प्रो. प्रेम शंकर उपाध्याय अध्यक्ष, कौमार्य भृत्य बाल रोग विभाग, आयुर्वेद संकाय, का.हि.वि.वि. ने की। वक्तागण में प्रो. हरि हृदय अवस्थी, प्रो. देवेन्द्र मोहन, डॉ. अजय कुमार पाण्डेय, डॉ. कुचिभाटला वेंकट हनुमत सरमा (ऑनलाइन), डॉ. भारतेन्दु द्विवेदी, प्रो. प्रमोद कुमार शर्मा सम्मिलित रहे। सत्र संचालन एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ. दयाशंकर त्रिपाठी, अतिथि अध्यापक, वैदिक विज्ञान केन्द्र, का.हि.वि.वि. ने किया।
चतुर्थ सत्र के विशिष्टातिथि प्रो0 ब्रजभूषण ओझा, व्याकरण विभाग, संस्कृतविद्या धर्मविज्ञान संकाय, का.हि.वि.वि. तथा सारस्वत अतिथि प्रो0 लल्लन मिश्र, मानोन्नत आचार्य, रसायन विभाग, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय रहे। अध्यक्षता डॉ. हरि राम मिश्र, सह आचार्य-स्कूल ऑफ संस्कृत एण्ड इंडिक स्टडीज, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली ने की। वक्तागण में प्रो. सुब्रतो भट्टाचार्य, प्रो राम सागर मिश्र, डॉ. श्रीराम ए.स., डॉ. उदय प्रताप भारती सम्मिलित रहे। सत्र संचालन एवं धन्यवाद ज्ञापन प्रो. राजकुमार मिश्र, रसायन विभाग, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी ने किया। इसके अतिरिक्त कुल चार समानान्तर तकनीकी सत्रों का संचालन भी किया गया, जिसमें लगभग 50 शोध पत्र पढ़े गये।
कार्यक्रम में मुख्य रूप से प्रो0 पतंजलि मिश्र, प्रो0 वीरेन्द्र कुमार मिश्र, डॉ0 ममता मेहरा, डॉ0 विट्ठल दास मूँधड़ा, डॉ0 नारायण प्रसाद भट्टराई, डॉ0 धीरज कुमार मिश्र, डॉ0 प्रभात कुमार सिंह, डॉ0 कुमकुम पाठक, डॉ0 सन्ना लाल मौर्या, डॉ0 विकास खत्री, डॉ0 श्रवण कुमार शुक्ल, डॉ0 ओम प्रकाश मिश्र, डॉ0 गंगेश दीक्षित आदि विद्वान् व केन्द्र के डिप्लोमा पाठ्यक्रमों के छात्र-छात्राऍं उपस्थित रहे एवं विभिन्न विश्वविद्यालयों से 350 से अधिक छात्रों ने ऑनलाईन एवं ऑफलाईन माध्यम से सहभाग किया।