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प्रयागराजः  इलाहाबाद विश्वविद्यालय , प्रयागराज के सर सुंदर लाल हॉस्टल तथा हॉलैंड हॉल हॉस्टल के अन्तःवासियों के साथ पुलिस की बर्बरता मामले में मानवाधिकार आयोग का पुलिस कमिश्नर,  प्रयागराज को नोटिस जारी करते हुए जांच का आदेश दिया है तथा 23 जुलाई 2024 तक जांच और कार्यवाही की रिपोर्ट सौंपने को कहा है।
ज्ञात हो कि दिनांक 01/02 जून 2024 को रात लगभग 1.30 से 05 बजे के बीच हॉलैंड हॉल हॉस्टल तथा सर सुंदर लाल हॉस्टल के बीच के परिसर में कुछ अज्ञात असामाजिक तत्वों द्वारा झगड़ा किया गया जिसमें हदगोले आदि का शोर सुनाई दिया। इसके बाद दिनांक 02 जून 2024 को दोपहर लगभग 02 बजे थाना कर्नलगंज , प्रयागराज की पुलिस ने छापा मारा तथा दोपहर 12 बजे से 02 बजे तक हॉलैंड हॉल हॉस्टल और 02 बजे से लगभग 05 बजे तक पुलिस सर सुंदर लाल छात्रावास में मौजूद रही।

चूंकि यह रविवार का दिन था और दोपहर का समय था । इसलिए अधिकतर छात्र अपने अपने कमरों में या तो अध्ययन कर रहे थे या आराम कर रहे थे । ऐसे में भारी पुलिस बल ने सीओ , कर्नलगंज राजीव यादव के साथ छात्रावास में प्रवेश किया जिनमें से कुछ पुलिस कर्मियों के नेमप्लेट पर हरि सिंह , प्रदीप कुमार सिंह , ताराचंद आदि नाम अंकित थे । उक्त पुलिस बल ने प्रत्येक कमरे से एक एक छात्र को जबर्दस्ती पकड़कर बाहर लाना शुरू कर दिया तथा कॉमन हॉल में ले जाकर सबको इकट्ठा करके पहले मुर्गा बनाया और फिर हाथ ऊपर करके खड़ा कर दिया।

इसके बाद बुरी तरह डंडों और बंदूकों के बटों से पिटाई शुरू कर दी। शुरू में छात्रों को उनकी गलती नहीं बताई गई लेकिन बाद में प्रश्न पूछते हुए कहा गया कि कल जो घटना हुई उसमें तुम लोग ही थे न ? छात्रों ने इसका विरोध किया तो सीओ, राजीव यादव ने उन्हें फर्जी मुकदमे में फंसाकर जेल भेजने और कैरियर खत्म करने की धमकी भी दी । ठीक यही प्रक्रिया दोपहर 02 बजे 05 बजे तक सर सुंदर लाल छात्रावास में अपनायी गयी और छात्रों को हॉस्टल के कॉमन हॉल में बंद करके मारा पीटा गया । इस तरह से उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा छात्रों पर अमानवीय ढंग से लाठी चार्ज ब दुर्व्यवहार से छात्रों के मन मस्तिष्क पर बुरा प्रभाव पड़ा तथा उन्होंने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के अधिवक्ता डॉ. गजेंद्र सिंह यादव से कानूनी मदद मांगी । जिस पर संज्ञान लेते हुए अधिवक्ता ने मामला मानवाधिकार आयोग में दर्ज कराया।

उन्होंने छात्रों की तरफ से यह मांग की कि मामले की उच्चस्तरीय जांच कराकर उक्त पुलिस अधिकारी व पुलिस बल के विरुद्ध विधिक कार्यवाही सुनिश्चित की जाए ताकि छात्र भयमुक्त वातावरण में पढ़ाई लिखाई कर सकें।  छात्रों ने यह भी शिकायत की है कि जब भी हॉस्टल के बाहर कोई लड़ाई झगड़ा होता है तो उनके साथ अपराधियों जैसा व्यवहार किया जाता है जबकि छात्रों का इन गतिविधियों से कोई लेना देना नहीं है,  विश्वविद्यालय के छात्र अक्सर पुलिस प्रशासन की मनमानी कार्रवाई का शिकार हो जाते हैं और उन पर मुकदमे लिखकर उनका भविष्य बर्बाद कर दिया जाता है।  इन सब शिकायतों पर विचार करते हुए मानवाधिकार आयोग ने पुलिस कमिश्नर,  प्रयागराज को जांच का आदेश दिया। छात्रों का कहना है कि वह जांच में पूरा सहयोग करेंगे तथा मांगे जाने पर घटना से जुड़े वीडियो, फोटो आदि सब जांच अधिकारी के समक्ष रखेंगे।

डॉ गजेंद्र सिंह यादव
एडवोकेट,  हाई कोर्ट,  इलाहाबाद

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