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अलीगढ़ 14 फरवरीः ईरान के तेहरान स्थित अहलुल बैत (एएस) इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी के एक प्रतिनिधिमंडल ने कुलपति, डॉ. सईद जजारी मामौई के नेतृत्व में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के प्रबंधन अध्ययन एवं अनुसंधान संकाय का दौरा किया और डीन प्रोफेसर आयशा फारूक के साथ एक इंटरैक्टिव बैठक में दोनों संस्थानों के बीच अकादमिक प्रयासों में सहयोग की संभावनाओं पर चर्चा की।

प्रोफेसर फारूक ने बताया कि ईरान में इस्लामिक बैंकों में ग्रीष्मकालीन इंटर्नशिप करने वाले इस्लामिक बैंकिंग और फाइनेंस (आईबीएफ) में एमबीए कर रहे एएमयू के छात्रों के लिए संभावनाओं पर चर्चा की गई।

बैठक में अहलुल बैत (एएस) इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी में एमबीए-आईबीएफ छात्रों के लिए इस्लामिक बैंकिंग में पीएचडी कार्यक्रम शुरू करने की संभावना पर भी चर्चा की गई और यह सुझाव दिया गया कि ऐसे शोधार्थियों को एबीआईयू, तेहरान द्वारा प्रायोजित किया जा सकता है। बाद में इनको अंतिम रूप देने पर सहमति व्यक्त की गयी।

डॉ. मामौई ने बैठक के दौरान विचार-विमर्श पर संतोष व्यक्त किया, जिसमें दोनों संस्थानों के बीच अकादमिक सहयोग और संकाय और छात्रों के आदान-प्रदान की संभावनाएं भी शामिल थीं।

ऑनलाइन व्याख्यान और कार्यक्रम आयोजित करने में आपसी सहयोग की संभावना पर भी विचार किया गया।

बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन विभाग के अध्यक्ष प्रो. जमाल ए फारूकी के साथ प्रो. जावेद अख्तर, प्रो. परवेज तालिब, प्रो. सबूही नसीम, डॉ. असद रहमान, डॉ. अहमद फराज खान, डॉ. लामे बिन साबिर और डॉ. जरीन हुसैन फारूक चर्चा के दौरान उपस्थित रहे।

प्रतिनिधिमंडल ने एफएमएसआर में विभिन्न सुविधाओं को देखा और छात्रों के साथ बातचीत की।

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एकीकृत सामुदायिक स्वास्थ्य पर विश्व कांग्रेस का समापन

अलीगढ़ 14 फरवरीः अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के अजमल खान तिब्बिया कॉलेज के तहफ्फुजी व समाजी तिब विभाग द्वारा एकीकृत सामुदायिक स्वास्थ्य विषय पर आयोजित विश्व कांग्रेस – 2024 असंख्य विषयों पर तीन दिनों के मैराथन विचार-विमर्श, व्याख्यान और अकादमिक आदान-प्रदान के साथ संपन्न हो गई। समापन सत्र का आयोजन विश्व यूनानी दिवस के अवसर पर किया गया जो भारतीय यूनानी चिकित्सा के दिग्गज हकीम अजमल खान की जयंती के रूप में मनाया जाता है।

मुख्य अतिथि, डॉ. एम. मुख्तार ए. कासमी, सलाहकार यूनानी, आयुष मंत्रालय, भारत सरकार ने एकेटीसी के विकास से संबंधित मामलों में सभी सहयोग का आश्वासन दिया।

अपने अध्यक्षीय भाषण में, तेहरान यूनिवर्सिटी ऑफ मेडिकल साइंसेज, ईरान के उपाध्यक्ष और कुलपति डॉ. एम. होसैन अयाती ने एएमयू और टीयूएमएस, ईरान के बीच सहयोग की आवश्यकता पर जोर दिया।

अजमल खां तिब्बिया कालिज के प्रोफेसर अशहर कदीर ने यूनानी दिवस के अवसर पर हकीम अजमल खान पर व्याख्यान प्रस्तुत किया।

प्रोफेसर वी.पी. वर्मा, प्राचार्य, राजकीय होम्योपैथिक कॉलेज, अलीगढ़ और एसीएन यूनानी कॉलेज के प्रोफेसर अहमद एन खान अपने छात्रों के साथ इस अवसर पर उपस्थित थे।

तीन दिवसीय शैक्षणिक कार्यक्रम में 24 तकनीकी सत्र आयोजित किये गये जिनमें 50 से अधिक वक्ताओं ने विषय के विभिन्न पहलुओं पर अपने शोध पत्र और पोस्टर प्रस्तुत किए। कई सत्र चिकित्सा की विभिन्न शाखाओं के दिग्गजों को समर्पित थे, जिनमें हकीम अब्दुल हमीद, विलियम ओस्लर, हकीम अजमल खान, सुसुराता और एस. हैनीमैन शामिल थे।

प्रोफेसर वी.पी. वर्मा, प्राचार्य, राजकीय होम्योपैथिक कॉलेज, अलीगढ़ और एसीएन यूनानी कॉलेज के प्रोफेसर अहमद एन खान अपने छात्रों के साथ इस अवसर पर उपस्थित थे।

इससे पूर्व, अतिथियों का स्वागत करते हुए कांग्रेस के आयोजन सचिव और तहफ्फुजी व समाजी तिब विभाग के अध्यक्ष प्रो. एस.एम. सफदर अशरफ ने सम्मलेन की मुख्य विशेषताओं पर चर्चा की और प्रतिभागियों के सामने एक प्रश्न रखा, “एकीकरण के लिए क्या आवश्यक है? क्या यह चिकित्सा की सभी प्रणालियों का एकीकरण है या केवल दवाओं और औषधियों का एकीकरण है”

उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर प्रतिभागियों की विविध प्रतिक्रिया मिलीं और यह सामने आया कि हमारा उद्देश्य मरीज-केंद्रित और मानवता की सेवा होना चाहिए।

यूनानी चिकित्सा संकाय के डीन प्रोफेसर उबैदुल्ला खान और अजमल खान तिब्बिया कॉलेज के प्रिन्सिपल, प्रोफेसर बी.डी. खान ने सम्मलेन के संरक्षक के रूप में वर्तमान परिदृश्य में विषय पर विस्तार से प्रकाश डाला। बांग्लादेश के प्रोफेसर जी एम फारूक और पूर्व प्राचार्य, आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज, हरिद्वार प्रोफेसर वी.के. अग्निहोत्री ने सम्मलेन के दौरान सार्थक चर्चा की सराहना की।

इस अवसर पर भारतीय एकीकृत सामुदायिक स्वास्थ्य संघ (आईआईसीएचए) की छठी बैठक भी आयोजित की गई और का संगठन के नए अध्यक्ष के रूप में सामुदायिक चिकित्सा विभाग, जे.एन. मेडिकल कॉलेज के पूर्व अध्यक्ष प्रोफेसर मोहम्मद यूनुस के नाम का प्रस्ताव रखा गया, जिन्हें एलोपैथ में प्रतिष्ठित लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड से भी सम्मानित किया गया।

प्रो. वी.के. अग्निहोत्री, पूर्व प्रिंसिपल, आयुर्वेद कॉलेज, हरिद्वार को आयुर्वेद में और प्रोफेसर ईसा नदवी, पूर्व अध्यक्ष, तहफ्फुजी वा समाजी तिब विभाग, एमआईजे यूनानी कॉलेज, मुंबई को यूनानी में उनकी अमूल्य सेवाओं और योगदान के लिए लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित किया गया।

सम्मलेन में विभाग की पूर्व छात्र बैठक आयोजित की गयी और पोस्टर और नारा लेखन प्रतियोगिताओं के विजेताओं को पुरस्कार वितरित किये गए। आसिया मासूम, इरम फातिमा, फैजा नूर, रिदा खान, एम. हसन और अर्शी शकील बी.ए. को स्नातक स्तर पर उनकी सर्वश्रेष्ठ प्रस्तुतियों के लिए पुरस्कार दिया गया जबकि पीजी स्तर पर फैजा नूर, रिदा खान, एम. इकरामुल हक और आयशा परवीन को पुरस्कार दिए गए।

तहफ्फुजी वा समाजी तिब में यूजी और पीजी स्तर पर उच्चतम उपस्थिति के लिए प्रशंसा प्रमाण पत्र तथा आईआईसीएचए और सिमनान इंपीरियल गिल्ड (एसआईजी) द्वारा 10,000/- रुपये का नकद पुरस्कार दिया गया। मोहम्मद जुनैद, लवली सिंह, अनम कमाल और आयशा परवीन को सर्वश्रेष्ठ स्वयंसेवकों के लिए सांत्वना पुरस्कार दिया गया।

प्रतिनिधियों ने आगरा के ताज महल के भ्रमण का भी आनंद लिया, जिसे प्रो. एस.एम. सफदर अशरफ ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया।

विश्व कांग्रेस को हमदर्द लेबोरेटरीज, भारत, सिमनान इंपीरियल गिल्ड (एसआईजी), इंडियन इंटीग्रेटेड कम्युनिटी हेल्थ एसोसिएशन (आईआईसीएचए), अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी, दवाखाना तिब्बिया कॉलेज, सीसीआरयूएम, नई दिल्ली और देहलवी नेचुरल्स द्वारा प्रायोजित किया गया था।

कार्यक्रम के दौरान एसआईजी की सीईओ और प्रबंधक, सुश्री अनीस एफ. अशरफ और अध्यक्ष, श्री अब्दुस सबूर अशरफ उपस्थित रहे।

सीईसी, समन्वयक, प्रोफेसर एफ.एस. शीरानी द्वारा निर्देशित एक अत्यधिक मनोरंजक नाटक, ‘जबान दराज’, का मंचन प्रतिनिधियों के लिए एक सांस्कृतिक उपहार के रूप में किया गया।

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वित्तीय साक्षरता एवं बाजार पर तीन दिवसीय कार्यशाला का समापन

अलीगढ 14 फरवरीः अलीगढ मुस्लिम यूनिवर्सिटी किशनगंज सेंटर, बिहार द्वारा ‘वेल्थ विजडमः अनवेलिंग द एबीसी ऑफ फाइनेंशियल लिटरेसी’ विषय पर आयोजित तीन दिवसीय वित्तीय साक्षरता और बाजार उन्मुख कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिसमें भारत और विदेश से 85 से अधिक प्रतिभागियों ने वित्तीय साक्षरता, निवेश उपकरण, म्यूचुअल फंड और आईपीओ के सम्बन्ध में अपने ज्ञान में वृद्धि की।

प्रबंधन अध्ययन और अनुसंधान संकाय की डीन प्रोफेसर आयशा फारूक ने अपनी प्रारंभिक टिप्पणी में कहा कि कार्यशाला उद्यमियों और संकाय सदस्यों की अगली पीढ़ी के पोषण के लिए प्रतिबद्ध एक अभ्यास है जो सीखना चाहेंगे कि वित्तीय बाजारों में निवेश के मुद्दों को कैसे संबोधित किया जाए।

वित्तीय साक्षरता और शुरुआती निवेश के महत्व पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने बताया कि कैसे शुरुआती चरण में निवेश किसी के पेशेवर और व्यक्तिगत जीवन को बदल सकता है। उन्होंने कार्यशाला को लाभकारी बनाने के लिए संसाधन व्यक्तियों और आयोजक टीम के प्रयासों की सराहना की।

डॉ. सालार ने म्यूचुअल फंड, पीपीएफ और आईपीओ जैसे विभिन्न वित्तीय साधनों पर ध्यान केंद्रित किया और प्रारंभिक निवेश रणनीति के महत्व पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि निवेश जटिल है लेकिन सीखा जा सकता है। उन्होंने प्रतिभागियों को व्यावहारिक प्रशिक्षण भी दिया।

अपने समापन भाषण में, बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन विभाग, एएमयू के अध्यक्ष, प्रोफेसर जमाल फारूकी ने देश की अर्थव्यवस्था के विकास में वित्तीय साक्षरता और वित्तीय बाजारों की भूमिका के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि वित्तीय नियोजन हर किसी के लिए बहुत महत्वपूर्ण है, भले ही उनकी रुचि और क्षेत्र कुछ भी हो।

उन्होंने रिसोर्स पर्सन को धन्यवाद दिया और आयोजन टीम को इसकी सफलता के लिए प्रयास करने के लिए बधाई दी।

आयोजन सचिव डॉ. मोहम्मद यूसुफ जावेद ने मेहमानों और प्रतिभागियों का स्वागत किया, जबकि श्री मोहम्मद शाहवेज ने अल बरकात इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज में एसोसिएट प्रोफेसर, डॉ. आतिफ सालार, रिसोर्स पर्सन का परिचय दिया, जिनके पास दस वर्षों से अधिक का निवेश के क्षेत्र का अनुभव है।

डॉ. मोहम्मद यूसुफ जावेद ने कार्यशाला का समन्वय किया, जबकि उद्घाटन समारोह की मेजबानी एमबीए द्वितीय वर्ष के छात्र श्री यासिर खान ने की।

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स्वीप पर शीतकालीन ग्रामीण शिविर का आयोजन

अलीगढ, 14 फरवरीः अलीगढ मुस्लिम विश्वविद्यालय के सामाजिक कार्य विभाग द्वारा हाल ही में जिला अलीगढ की तहसील गभाना के गांव सुमेरा दरियापुर में एक सप्ताह के ग्रामीण शीतकालीन शिविर का आयोजन किया गया। इस वर्ष का शिविर पर्यावरण संरक्षण, कैंसर जागरूकता और मतदाता शिक्षा (एसवीईईपी) के साथ सामाजिक गतिशीलता पर केंद्रित था।

एक उल्लेखनीय गतिविधि स्वीप पर एक रैली का आयोजन किया गया जिसमें गाँव के छात्र और स्थानीय लोग शामिल हुए और चुनावी भागीदारी के महत्व पर जोर दिया गया। इसके अतिरिक्त, छात्रों ने चुनाव और कैंसर जागरूकता पर नाटक प्रस्तुत किए।

मुख्य अतिथि श्री हीरालाल सैनी, एसडीएम गभाना, अलीगढ़ की उपस्थिति में कार्यक्रम संपन्न हुआ जिसकी अध्यक्षता एएमयू मनोविज्ञान विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रोफेसर महमूद एस खान ने की। मानद अतिथियों में प्रोफेसर बी.बी. सिंह, श्री सफदर हाशिम और प्रोफेसर सामाजिक कार्य विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर नसीम अहमद खान शामिल थे।

मुख्य अतिथि श्री हीरा लाल सैनी ने आगामी चुनावों के लिए महत्वपूर्ण स्वीप और कैंसर के बारे में जागरूकता बढ़ाने में छात्रों के प्रयासों की सराहना की।

प्रो. महमूद एस. खान और प्रो. बी.बी. सिंह ने सामुदायिक आउटरीच के प्रति समर्पण के लिए छात्रों और शिक्षकों को बधाई दी।

प्रोफेसर नसीम अहमद खान ने सामुदायिक कल्याण को आकार देने में शिविर के महत्व पर प्रकाश डाला और प्रतिनिधियों का स्वागत किया। छात्रों ने नेटवर्किंग, सामुदायिक प्रोफाइलिंग, स्वास्थ्य शिविर और जागरूकता कार्यशालाओं जैसे विभिन्न पहलुओं को शामिल करते हुए अपने समूह की गतिविधियों का सारांश प्रस्तुत किया।

पोस्टर-मेकिंग प्रतियोगिता के विजेताओं को पुरस्कार वितरित किए गए, और शिविर में उनके योगदान के लिए शोधार्थियों और एमएसडब्ल्यू छात्रों को प्रमाण पत्र प्रदान किए गए। डॉ. मोहम्मद ताहिर ने सभी प्रतिनिधियों, ग्रामीणों और ग्राम पंचायत के प्रधान को उनके समर्थन के लिए धन्यवाद दिया।

कार्यक्रम का संचालन डॉ. मोहम्मद आरिफ खान ने किया, जिसमें डॉ. कुर्रतुल ऐन अली, डॉ. शायना सैफ, डॉ. अंदलीब, डॉ. मोहम्मद उजैर और डॉ. समीरा खानम शामिल थे।

ग्रामीण शीतकालीन शिविर ने न केवल छात्रों के सीखने के लिए एक मंच के रूप में बल्कि सामुदायिक सशक्तिकरण और जागरूकता के लिए उत्प्रेरक के रूप में भी काम किया।

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मध्यकालीन भारतीय इतिहास में अनुसंधान पर तीन दिवसीय सम्मेलन का समापन

अलीगढ़, 14 फरवरीः अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग के उन्नत अध्ययन केंद्र के तत्वाधान में ‘मध्यकालीन भारतीय इतिहास में अनुसंधान की सीमाओं की खोज’ विषय पर तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में तीस से अधिक लोगों की भागीदारी के साथ आठ शैक्षणिक सत्र आयोजित किए गए। भारत और विदेश के विश्वविद्यालयों का प्रतिनिधित्व करने वाले सात विद्वान शामिल थे।

सम्मेलन में मध्यकालीन भारतीय इतिहास के विभिन्न विषयों को शामिल किया गया, जिनमें पर्यावरण, शक्ति गतिशीलता, नैतिकता, भौतिक संस्कृति, व्यापारी, व्यापार, वाणिज्य, शिक्षा, स्वास्थ्य, सूफीवाद, साहित्य, वास्तुकला और धर्म शामिल हैं।

दिल्ली विश्वविद्यालय, जामिया मिलिया इस्लामिया, पांडिचेरी विश्वविद्यालय, इंस्टीट्यूट ऑफ ओरिएंटल स्टडीज (रूस), ओरिएंटेल यूनिवर्सिटी ऑफ नेपल्स (इटली), यूनिवर्सिटी ऑफ वियना (ऑस्ट्रिया), यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया (यूएसए) और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय (यूके) जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों के विद्वानों ने विविध विषयों पर शोधपत्र प्रस्तुत किये।

विभागाध्यक्ष प्रोफेसर गुलफिशां खान ने कश्मीर के मुगल उद्यानों के महत्व पर अपने पेपर में कहा कि बगीचों का शाब्दिक पुनर्निर्माण, हालांकि ज्यादातर जीर्ण-शीर्ण अवस्था में है, पुरातत्वविदों, संरक्षणवादियों और मूल लेआउट, भूदृश्य, पानी की समझ के लिए बहुत उपयोगी होगा।

डॉ. जैमी कॉमस्टॉक-स्किप (ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय) ने प्रारंभिक आधुनिक मध्य एशिया और मध्यकालीन भारत के बीच अंतर्संबंध का पता लगाया।

उन्होंने दक्षिण एशिया में तिमुरिड से मुगल में परिवर्तन को आकार देने में अबुल खैरिद/शिबानिद शासकों की भूमिका पर प्रकाश डाला।

इंस्टीट्यूट ऑफ ओरिएंटल स्टडीज, रूसी एकेडमी ऑफ साइंसेज की प्रोफेसर यूजेनिया वनीना ने फारसी इतिहास के साथ स्थानीय ऐतिहासिक ग्रंथों पर चर्चा की, जिसमें दिखाया गया कि दोनों ने मतभेदों के साथ-साथ समानताएं और मध्ययुगीन भारत में ऐतिहासिक लेखन के लिए एक सामान्य दृष्टिकोण प्रदर्शित किया।

इटली के ओरिएंटेल यूनिवर्सिटी ऑफ नेपल्स की डॉ. स्टेफनिया कैवेलियरे ने लोकप्रिय भक्ति साहित्य (भक्तमाला और कबीर साखियों) में व्यक्त लोकप्रिय धार्मिकता पर चर्चा की।

प्रो. सैयद एल.एच. मोइनी ने सांप्रदायिक सद्भाव को बढ़ावा देने और भारत-मुस्लिम सांस्कृतिक संश्लेषण के प्रतीक के रूप में अजमेर की दरगाह के महत्व पर जोर दिया।

शालिन जैन (दिल्ली विश्वविद्यालय) ने जैन व्यापारिक समुदाय के महत्व पर प्रकाश डाला और बताया कि कैसे वैचारिक और भौतिक कारकों के बीच उनकी बातचीत ने उन्हें बड़ी दुनिया के साथ-साथ स्थानीय और व्यापक समुदाय से जोड़ा।

डॉ. नैयर आजम (पांडिचेरी विश्वविद्यालय) ने चर्चा की कि कैसे बाबर की मस्जिदों की वास्तुकला तिमुरीद-ईरानी चाहर तक योजना को दर्शाती है।

प्रो. रजीउद्दीन अकील ने ‘सल्तनत काल के दौरान सूफीवाद’ विषय पर पूर्ण व्याख्यान दिया। सूफी नैतिकता की खोज करते हुए उन्होंने तर्क दिया कि सूफी नैतिकता की केंद्रीय विशेषता शाश्वत परमात्मा के प्रति प्रेम और उनकी संपूर्ण रचनाओं, मनुष्यों के साथ-साथ उस पर्यावरण की सेवा है जिसका उन्होंने पालन-पोषण किया।

सुश्री अपराजिता दास (कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, बर्कले) ने दृश्य और साहित्यिक स्रोतों का उपयोग करके 17वीं और 18वीं शताब्दी में वनवासियों के साथ मुगल राज्य के संबंधों पर चर्चा की।

डॉ. जेयाउल हक ने सलाह साहित्य में बुनी गई समृद्ध ऐतिहासिक टेपेस्ट्री पर प्रकाश डाला, जिसे मिरर फॉर प्रिंसेस के नाम से जाना जाता है।

वियना विश्वविद्यालय के डॉ. स्टीफन पॉप ने बहमनी सल्तनत के वजीर महमूद गवन के राजनयिक पत्रों के पंद्रहवीं शताब्दी के संग्रह रियाज अल-इंशा का विश्लेषण प्रस्तुत किया, जो ईरान और ओटोमन साम्राज्य के साथ मध्ययुगीन भारत के संबंधों पर प्रकाश डालता है।

प्रो. फरहत नसरीन (जामिया मिलिया इस्लामिया) ने चर्चा की कि कैसे बाबर, हुमायूं, अकबर और जहांगीर जैसी ऐतिहासिक हस्तियों ने शक्ति, भावना और आध्यात्मिकता की जटिलताओं को पार किया, और व्यक्तिगत पूर्ति के लिए उनकी खोज में मूल्यवान अंतर्दृष्टि प्रदान की।

सम्मेलन की एक महत्वपूर्ण विशेषता शाहजहानाबाद शहर और स्मारक विषय पर फोटोग्राफिक प्रदर्शनी थी। प्रदर्शनी में 1638-1648 के बीच मुगल सम्राट शाहजहां द्वारा स्थापित शाहजहांनाबाद शहर की कई तस्वीरें शामिल हैं।

प्रोफेसर गुलफिशां खान (मूसा डाकरी संग्रहालय की समन्वयक) की देखरेख में विभाग के पुरातत्व अनुभाग की एक टीम द्वारा लाल किला, जामी मस्जिद, ईदगाह, शीश महल और जामी मस्जिद और फतेहपुरी मस्जिद जैसी संरचनाओं की तस्वीरें भी इस अवसर पर प्रदर्शित की गयीं।

प्रदर्शनी का संचालन डॉ. लुबना इरफान (सहायक प्रोफेसर), श्री सलीम अहमद (वरिष्ठ क्यूरेटर) और श्री शोएब अहमद (वरिष्ठ फोटोग्राफर) द्वारा किया गया।

विभाग के दृश्य-श्रव्य कक्ष में मध्यकालीन भारत पर एक पुस्तक प्रदर्शनी भी आयोजित की गई। इसका उद्घाटन डॉ. स्टेफनिया कैवेलियरे ने किया।

समापन सत्र में डॉ. लुबना इरफान ने धन्यवाद प्रस्ताव रखा।

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