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अलीगढ़ 29 फरवरीः अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के जे.एन. मेडिकल कॉलेज के प्लास्टिक सर्जरी विभाग के सर्जनों की एक टीम ने एक मरीज की अंगूठे की साथ की उंगली जिसे इशारा करने के लिए प्रयोग में लाया जाता है (तर्जनी) दुर्लभ सर्जरी कर सफलतापूर्वक दोबारा प्रत्यारोपित किया गया है। मरीज की एक ग्राइंडर दुर्घटना के बाद गंभीर दर्द एवं कष्ट का सामना कर रहा था। इस सर्जरी में शामिल चिकित्सा विशेषज्ञों की टीम के प्रयास ने पुनर्निर्माण सर्जरी के क्षेत्र में उल्लेखनीय सफलता का एक उदाहरण पेश किया।

49 वर्षीय मरीज, रामेश्वर दयाल, हाई-स्पीड ग्राइंडर द्वारा कटी हुई तर्जनी के साथ आपातकालीन विभाग में आए, जिससे अन्य उंगली को भी नुकसान हुआ था और उनकी बीच की उंगली में भी संवहनी चोट लगी। स्थिति गंभीर थी, और रक्त आपूर्ति बहाल करने और अपरिवर्तनीय ऊतक क्षति को रोकने के लिए आपातकालीन मदद की आवश्यकता थी।

डॉ. एम फहुद खुर्रम और डॉ. शेख सरफराज के नेतृत्व में प्लास्टिक सर्जनों की एक टीम ने पहले कटी हुई उंगली को स्ट्राइल सेलिन सोक्ड गौज़ में सावधानीपूर्वक संरक्षित किया, ताकि उंगली पुनः प्रत्यारोपण के लिए व्यवहार्य बनी रहे।

सर्जिकल प्रक्रिया को डॉ. सरफराज, डॉ. नोहा, डॉ. रूपराज, डॉ. शिशिर और डॉ. फहदुद्दीन के साथ-साथ एनेस्थेटिस्ट डॉ. उम्मे मारिया और उनकी टीम ने सफलतापूर्वक अंजाम दिया।

डॉ. सरफराज, जो मुख्य ऑपरेटिंग सर्जन थे, ने बताया कि इस प्रक्रिया में डीब्रिडमेंट और टैगिंग, बोन फिक्सेशन के-वायर फिक्सेशन का उपयोग करके, हड्डी के टुकड़ों को स्थिर किया और वॉलर संरचनाओं की सर्जरी को अंजाम दिया।

उन्होंने कहा कि रीप्लांटेशन सर्जरी समय के अनुसार एक महत्वपूर्ण शल्य चिकित्सा प्रक्रिया है क्योंकि कटे हुए हिस्से की व्यवहार्यता की सीमित होती है। चिकित्सकों की टीम ने रक्त प्रवाह को बहाल करने, वाहिकाओं और तंत्रिकाओं में सफलतापूर्वक टांके लगाने का कार्य किया।

सफल प्रतिरोपण के बाद, रोगी की तर्जनी समामान्य हो गई है और हाथ चिकित्सा विशेषज्ञ उसे ताकत, लचीलापन और निपुणता वापस पाने के लिए व्यायाम के माध्यम से रोगी का मार्गदर्शन करेंगे।

विभाग के अध्यक्ष डॉ. एम फहुद खुर्रम ने हाथ की सुरक्षा के संबंध में जन जागरूकता की आवश्यकता पर बल दिया।

वरिष्ठ प्लास्टिक सर्जन, प्रोफेसर इमरान अहमद ने सर्जनों की टीम के समर्पण और विशेषज्ञता के प्रयासों की सराहना की, उन्होंने कहा कि उन्होंने न केवल एक उंगली बचाई है, बल्कि समान चुनौतियों का सामना करने वाले अनगिनत रोगियों के लिए आशा को भी जगाया है।

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