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वाराणसीः दूध भारतीय खाद्य संस्कृति का एक अभिन्न अंग रहा है क्योंकि इसमें महत्वपूर्ण सूक्ष्म पोषक तत्व होते हैं। किन्तु क्या हम यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि जो दूध हम सभी दैनिक उपभोग करते हैं, वह शुद्ध है एवं खतरनाक रसायनों से मुक्त है? हमें देश भर से दूध में मिलावट से संबंधित बहुत सारी खबरें समय-समय पर देखने को मिलती हैं, जो निश्चित रूप से दूध की शुद्धता के मानकों के बारे में आशंकाएं पैदा करती हैं। दूध में विभिन्न रासायनिक मिलावट से हृदय संबंधी समस्याएं, डायरिया, केंद्रीय तंत्रिका तंत्र के विकार, और कैंसर जैसी समस्याएं तक हो सकती हैं।

आज दूध और डेयरी उत्पादों की मांग बहुत है। इसलिए इसका फायदा उठाते, कुछ दूध के कुछ व्यापारी नकली दूध (सिंथेटिक दूध) का उत्पादन करते हैं, जो बिल्कुल असली दूध जैसा दिखता है और रोज़मर्रा के खरीददारों को पता तक नहीं चलता कि वे असली दूध खरीद रहे हैं या फिर सिंथेटिक दूध । सिंथेटिक दूध आम तौर पर डिटर्जेंट, साधारण वनस्पति तेल, यूरिया और पानी के मिश्रण से बनाया जाता है। इस रासायनिक मिश्रण से, अक्सर दूध को क्रीमी (वसा/फैट सम्पन्न) और समृद्ध (प्रोटीन निहित) बनाया जाता है, जिससे उच्च गुणवत्ता का आभास होता है ।

दूध की सुदृढ़ता एवं गुणवत्ता और साथ ही जनस्वास्थ्य सुनिश्चित करने हेतु, काशी हिंदू विश्वविद्यालय के भौतिकी विभाग के शोध छात्र तपन परसाईं ने सहायक प्रोफेसर डॉ. अर्चना तिवारी के पर्यवेक्षण में और डॉ. अजय त्रिपाठी (सिक्किम विश्वविद्यालय) के सहयोग में वाष्पीकरण  प्रक्रिया और मशीन लर्निंग एल्गोरिथ्म की मदद से दूध में मिश्रित विभिन्न प्रकार के पानी के साथ ही सिंथेटिक दूध के घटकों का पता लगाने का एक नया और लागत प्रभावी एवं घरेलू तरीका खोजा है। वाष्पीकरण  प्रक्रिया एक ऐसा परिघटना है, जिसमें अगर किसी सतह पर एक बूंद को वाष्पित होने के लिए छोड़ दिया जाए, तो उस बूंद के निलंबित कण किनारों की ओर बढ़ते हैं और सतह पर एक रिंग जैसी आकृति छोड़ जाते हैं। विभिन्न प्रकार के निलंबित कण अपनी-अपनी वाष्पित रिंग आकृतियाँ बनाते हैं। यह वाष्पित रिंग आकृतियाँ पदार्थ की पहचान के लिए फिंगरप्रिंट के रूप में कार्य करती है।

प्रयोग करते समय उपयुक्त मात्रा में डिटर्जेंट, साधारण वनस्पति तेल, यूरिया और नल के पानी के मिश्रण से असली दूध जैसी दिखने वाली सिंथेटिक दूध लैब में बनाई गई थी। उस सिंथेटिक दूध को अलग-अलग मात्राओं में असली दूध के साथ मिलाया गया था। इसके पश्चात सिंथेटिक दूध की वाष्पित रिंग आकृतियों का विश्लेषण किया गया। विश्लेषण करते समय, वाष्पित रिंग आकृतियों में कई संकेत खोजे गए, जिससे दूध की गुणवत्ता का पता चलता है। सिंथेटिक दूध  के वाष्पित आकृतियों में हमें अनेक रिंग्स दिखेंगी, वनस्पति तेल के माइक्रो ड्रॉपलेट्स दिखेंगे और वाष्पित आकृतियों की पारदर्शिता से यह भी पता चल सकता है कि शुद्ध दूध में लगभग कितने सिंथेटिक दूध की मिलावट हुई है। यदि वाष्पित आकृतियाँ बहुत पारदर्शी होती है, तो उसमें अधिक सिंथेटिक दूध होगा और यदि कम पारदर्शी होगी तो सिंथेटिक दूध कम मात्रा में उपस्थित होगा। इस तरीके से घर में दूध की सुदृढ़ता आसानी से प्रमाणित की जा सकती है। एक मेडिकल सिरिंज की मदद से, दूध की एक बूंद ,एक ग्लास स्लाइड पर रखें और उसे वाष्पित होने के लिए छोड़ दें और एक स्मार्टफोन कैमरा से पिक्चर  लें । अगर ग्लास स्लाइड के वाष्पित  आकृतिओं  में ऊपर बताए गए संकेत दिखाई देते हैं, तो दूध में सिंथेटिक दूध मिश्रित होना निश्चित है।

प्रयोग के दौरान, बड़े पैमाने पर विश्लेषण के लिए, पानी और सिंथेटिक दूध मिश्रित, वाष्पित रिंग आकृतियों का उपयोग मशीन लर्निंग मॉडल को प्रशिक्षण और मान्यकरण करने के लिए किया गया था। प्रयोग के दौरान, मॉडल ने 96.7% सटीकता के साथ शुद्ध और सिंथेटिक दूध का पता लगाया और 95.8% सटीकता के साथ पानी मिश्रित दूध का पता लगाया।

इस शोध कार्य की अधिक जानकारी के लिए, इस लिंक को फॉलो करें :

https://www.tandfonline.com/doi/full/10.1080/19440049.2024.2358518

https://www.researchgate.net/publication/381007348_Detection_of_milk_adulteration_using_coffee_ring_effect_and_convolutional_neural_network

** आभार: यह कार्य आई ओ ई की सीड ग्रांट और SERB पावर ग्रांट से फंडेड हुई है।

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