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5 से 15 फरवरी के बीच सभी विभागों में अकेडमिक अडिट करने जाएगी टीम
7 शिक्षकों का दल प्रतिदिन करेगा सात विभागों में मूल्यांकन

प्रयागराज : इलाहाबाद विश्वविद्यालय अपने सभी विभागों में गुणवत्ता परखने की तैयारी में है। इसके लिए विश्वविद्यालय प्रशासन एकेडमिक ऑडिट करने जा रहा है। आगामी नैक की विजिट को देखते हुए विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. संगीता श्रीवास्तव ने सात सदस्यीय टीम का गठन किया है। ये टीम सभी विभागों में जाकर शैक्षिक गुणवत्ता का मूल्यांकन करेगी। टीम 5 से 15 फरवरी के बीच सभी विभागों में अकेडमिक अडिट करने जाएगी।
अकेडमिक अडिट टीम के चेयरमैन प्रो. सुशील कुमार शर्मा ने बताया कि अकादमिक ऑडिट रिपोर्ट किसी संस्थान में शिक्षा की गुणवत्ता का आकलन और सुधार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। सही रिपोर्ट से यह सुनिश्चित होता है कि शैक्षणिक कार्यक्रम स्थापित मानकों को पूरा करते हैं और संस्थान के मिशन और लक्ष्यों के अनुरूप हैं। यह अकादमिक ऑडिट रिपोर्ट नैक की मान्यता पाने के लिए आवश्यक घटक होती है। ऑडिट प्रक्रिया केवल कमियों की पहचान करने के लिए नहीं है बल्कि उन क्षेत्रों को पहचानने के बारे में भी है जहां सुधार की जरूरत है, ताकि समग्र शैक्षिक वितरण में निरंतर सुधार किया जा सके। इसके साथ ही ऑडिट रिपोर्ट यह सुनिश्चित करने में मदद करती है कि संस्थान निर्धारित नियामक आवश्यकताओं और मानकों का अनुपालन कर रहा है या नहीं।
टीम से सदस्य एवं नैक के को-आर्डिनेटर प्रो. मनोज कुमार ने बताया कि शैक्षणिक ऑडिट रिपोर्ट शैक्षणिक संस्थानों की गुणवत्ता, प्रभावशीलता और अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए अभिन्न अंग हैं। वे सुधार के लिए एक रोडमैप प्रदान करते हैं, रणनीतिक निर्णय लेने का समर्थन करते हैं। टीम प्रतिदिन सात विभागों में जाकर अकेडमिक अडिट करेगी। विभागों में जहां भी खामियां पाई जाएंगी वहां सुधार के लिए प्रयास किए जाएंगे।
नैक के कोआर्डिनेटर प्रो. माधवेंद्र कुमार ने बताया कि सात विषयों पर विभागों का मूल्यांकन किया जाएगा। इस दौरान प्रमुख रूप से पाठ्यक्रम, शैक्षिक गतिविधि, शोध, बुनियादी ढांचे और नवाचार विषयों पर मंथन किया जाएगा।

ये लोग हैं टीम में शमिल
विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. संगीता श्रीवास्तव की ओर से गठित टीम में प्रो. सुशील कुमार शर्मा को चेयरमैन नियुक्त किया गया है। आतंरिक गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ के कोआर्डिनेटर प्रो. मधुरेंद्र कुमार, सीनियर प्रोफेसर बेचन शर्मा और नैक के को-आर्डिनेटर प्रो. मनोज कुमार को टीम का सदस्य बनाया गया है। इसके साथ ही टीम में दो विभागीय शिक्षकों को भी शामिल किया गया है और टीम में एक शिक्षक विश्वविद्यालय के बाहर से भी रहेगा।
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इलाहाबाद विश्वविद्यालय के भौतिक विज्ञान विभाग के शोधार्थी अजीत कुमार मद्धेशिया को इंडो-फ़्रेंच कार्यक्रम के अंतर्गत रमन-चारपाक फ़ेलोशिप के लिए चयनित किया गया है | वह फ्रांस के जार्जिया इंस्टीट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी में नोबेल त्रिधात्विक नैनो पार्टिकल के एकौस्टीकल माइक्रोस्कोपी और औद्योगिक अनुप्रयोग पर शोध करेंगे | अजीत कुमार मद्धेशिया इलाहाबाद विश्वविद्यालय के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. फूल सिंह यादव और पूर्वान्चल विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. राजाराम यादव के मार्गदर्शन में शोध कार्य कर रहे है | उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से बी. एस. सी., एम. एस. सी. (भौतिकी) तथा फ्रेंच लैंग्वेज में डिप्लोमा किया है एवं वर्तमान में पीएचडी (भौतिकी) कर रहे है | अजीत कुमार मद्धेशिया सर सुन्दर लाल छात्रावास के पूराछात्र है और वर्तमान में अमर नाथ झा छात्रावास के अन्तःवासी है |

रमन-चारपाक फ़ेलोशिप कार्यक्रम भौतिकी में दो नोबेल पुरस्कार विजेताओं, प्रो० सी.वी. रमन, भारतीय नोबेल पुरस्कार विजेता (1930) और प्रो. जॉर्जेस चारपाक, फ्रांसीसी नोबेल पुरस्कार विजेता (1992) के सम्मान में दी जाती है। इस फेलोशिप की शुरुआत फरवरी, 2013 में फ्रांस के राष्ट्रपति की भारत की राजकीय यात्रा के दौरान शुरू की गई थी। इसका उद्देश्य विज्ञान में भविष्य की गतिविधियों के दायरे और गहराई को व्यापक बनाने के लिए दोनों देशों के बीच डॉक्टरेट छात्रों के आदान-प्रदान को सुविधाजनक बनाना है। तब से यह फेलोशिप इलाहाबाद विश्वविद्यालय के किसी छात्र को पहली बार मिली है | इस वर्ष यह फेलोशिप पुरे देश से भौतिक विज्ञान वर्ग में केवल तीन शोधार्थियों को ही दी गयी है और अजीत मद्धेशिया उनमे से एक है |
इंडो फ्रेंच सेंटर फॉर प्रमोशन ऑफ एडवांस्ड रिसर्च द्वारा कार्यान्वित इस कार्यक्रम का उद्देश्य भारतीय और फ्रांसीसी छात्रों को क्रमशः फ़्रांस या भारत में स्थित किसी विश्वविद्यालय/अनुसंधान एवं विकास संस्थान में अपने शोध कार्य का एक हिस्सा पूरा करने का अवसर प्रदान करके उनके डॉक्टरेट कौशल में सुधार करना है। इस फेलोशिप के तहत छात्र को दैनिक खर्च, स्थानीय यात्रा, आवास शुल्क और सामाजिक सुरक्षा शुल्क के लिए प्रति माह 1500 यूरो की फ़ेलोशिप सहायता प्रदान की जायेगीI इसके अतिरिक्त इकोनॉमी क्लास में आने जाने का किराया, यात्रा और स्वास्थ्य सम्बन्धी बीमा कवरेज एवं फ्रांस प्रवास के दौरान सम्मेलन/सेमिनार/कार्यशाला में भाग लेने के लिए आर्थिक सहायता प्रदान की जाएगी I यह कार्यक्रम अब फ्रेंच मास्टर छात्रों के लिए भी खुला है, जो अपने पाठ्यक्रम के अनुसार भारत में कुछ समय बिताना चाहते हैं। इसका उद्देश्य फ्रांसीसी छात्रों को भारत स्थित विश्वविद्यालय/अनुसंधान संस्थान में इंटर्नशिप कार्य करने का अवसर प्रदान करके उनके परास्नातक कौशल में सुधार करना है।
ज्ञातव्य हो की विगत वर्ष ही भौतिक विज्ञान विभाग के इसी लैब से डा० नवनीत यादव को रॉयल सोसाइटी, लंदन की अतिप्रतिष्ठित न्यूटन इंटरनेशनल फेलोशिप मिली थी, उन्होंने भी प्रो० राजा राम यादव के ही मार्गदर्शन में शोध कार्य पूर्ण किया था एवं वर्तमान में ब्रिटेन की स्वानसी विश्वविद्यालय में कार्यरत है |

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