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प्रयागराजः राजेंद्र सिंह (रज्जू भैया) विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग द्वारा कुलपति प्रो. अखिलेश कुमार सिंह जी के निर्देशानुसार और हिंदी विभाग अध्यक्ष एवं कार्यक्रम के संयोजक प्रो. आशुतोष सिंह जी के मार्गदर्शन में “शब्द-अर्थ विमर्श” विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया।

कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ अलका प्रकाश (असिस्टेंट प्रोफेसर हिंदी विभाग) एवं डॉ प्रवीण द्विवेदी (असिस्टेंट प्रोफेसर संस्कृत विभाग) के द्वारा की गई।
हिंदी शोधार्थी अमित कुमार यादव ने शब्दार्थ परंपरा की प्राचीनता पर प्रकाश डालते हुए काव्यशास्त्र के प्राचीन आचार्य भामह की पंक्ति ” शब्दार्थौ सहितौ काव्यम” को उद्धृत करते हुए बताया कि शब्द और अर्थ संयुक्त रूप से काव्य का निर्माण करते हैं। इसी क्रम में संस्कृत के शोधार्थी नितिन तिवारी ने शब्द अर्थ पर विस्तृत चर्चा करते हुए शब्द के तीन प्रकारों का उल्लेख किया और शब्द-शक्तियों पर सारगर्भित व्याख्यान दिया। हिंदी शोधार्थी ब्रजराज सिंह ने आचार्य चिंतामणि एवं आचार्य भर्तृहरि का उल्लेख करते हुए शब्द-अर्थ संबंध, अर्थ-बोध के साधन तथा अर्थ परिवर्तन की दिशाओं पर विस्तार से प्रकाश डाला।

डॉ प्रवीण द्विवेदी जी ने छात्रों को शुभाशीष देते हुए शब्द की व्युत्पत्ति पर चर्चा की एवं काव्यशास्त्र के आचार्य पंडितराज जगन्नाथ के कथन “रमणीयार्थ प्रतिपादक: शब्द: काव्यम” के माध्यम से शब्द और अर्थ की महत्ता को समझाया और अंत में डॉ अलका प्रकाश मैम ने धन्यवाद ज्ञापित करते हुए बताया कि हमारी संस्कृति में शब्द को ब्रह्म कहा गया है एवं शब्दार्थ के अंतर संबंध को जल एवं लहर के समान परस्पर निर्भर बताया।
कार्यक्रम का संचालन हिंदी के शोधार्थी कैलाश चंद तिलवाड़ी द्वारा और सहसंयोजन हिंदी शोधार्थी सौरभ तिवारी एवं शिवानी सिंह द्वारा किया गया।
संगोष्ठी में विश्वविद्यालय परिसर में अध्ययन करने वाले हिंदी तथा अन्य विषयों के विद्यार्थी और शोधार्थी शामिल रहे।

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