उत्तर प्रदेश जौनपुर के निवासी श्री किशन सिंह चौहान मूर्तिकला विभाग दृश्य कला संकाय, काशी हिंदू विश्वविद्यालय से शिक्षा प्राप्त करने के बाद 1 वर्ष बीएचयू में कार्यरत थे
युवा मूर्तिकार श्री किशन की कलाकृतियां अलग-अलग राज्यों में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रदर्शनी में शामिल हो रही हैं ।
प्रयागराज महाकुंभ प्रदर्शनी ,संकट मोचन वाराणसी ग्रुप प्रदर्शन, रामछतपार वाराणसी,
और आगामी आने वाले 30 तारीख को बेंगलुरु मैं प्रदर्शित होने वाली हैं किशन की कलाकृतियां अक्सर धार्मिक, राजनीति , सामाजिक विषय पर आधारित होती हैं,
श्री किशन सिंह चौहान मूर्तिकला में बनारस धार्मिक विषय पर कला अभ्यास कर रहे हैं मूर्तिशिल्प में रेक्सीन कपड़े गोल्डन रंग शामिल होते हैं मूर्तिकार की 2 मूर्ति शिल्प बेंगलुरु की कंटेंपरेरी गैलरी में प्रदर्शित होंगी



विश्व मूर्तिकला दिवस
किशन का मानना है कि राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शनियों को हम आसानी से देख व समझ पा रहे हैं जिससे हमें निरंतर कला क्षेत्र में कार्य करने में मदद मिल रहा है,
विश्व मूर्ति कला दिवस के उपलक्ष में हम चाहते हैं कि क्षेत्री लोगों को भी इस कला के बारे में जानकारी प्राप्त हो और वह भी बढ़ चढ़कर कला को अपने दैनिक जीवन के साथ जोड़ कर जीवन को सरल बनाएं और आनंद की अनुभूति प्राप्त करें,
मैंने बनारस के घाटों की विशिष्टता और उनकी रात्रि आभा को बहुत ही खूबसूरती से व्यक्त किया है। मैंने उस विशेष बनारस के घाटों के माहौल और चमक को बहुत अच्छी तरह से समझा है और प्रकृति के उन विशेष तत्वों का उपयोग किया है। मैंने बनारस के घाटों की रोशनी को बहुत गहराई से दिखाया है, जैसे गंगा की प्रकाशित लहरों का प्रतिबिंब और घाटों की सुंदरता मेरे उत्कृष्ट वर्णन को प्रेरित करती है, जो मेरे संवेदनशील दृष्टिकोण और मेरी भावनाओं को व्यक्त करती है। मेरी कलाकृतियों में सुनहरा रंग और उसकी प्रभावशाली प्रकृति अदिति स्थल के साथ एक सुंदर संबंध बनाती है। इस तरह, मैंने अपनी कलाकृतियों में बनारस की अनूठी मौलिकता और दिलचस्प चमक को बहुत खूबसूरती से प्रस्तुत किया है।