अलीगढ़, 18 फरवरीः अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) के विमेंस कॉलेज ने भारत में महिलाओं की शिक्षा के लिए अभूतपूर्व कार्य किए हैं। कॉलेज के संस्थापक शेख अब्दुल्ला और उनकी पत्नी वहीद जहां (आला बी) ने अपनी कड़ी मेहनत से यह छांवदार पेड़ लगाया था।
संस्थापक दिवस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए कुलपति प्रोफेसर नईमा खातून ने कहा कि महिलाओं पर शेख अब्दुल्ला का बहुत बड़ा अहसान है, जिन्होंने लड़कियों की शिक्षा के लिए समय की धारा को मोड़ दिया। आज हम और आप जो यहां उपस्थित हैं, महिलाओं और लड़कियों की जो मानसिक और शैक्षिक स्थिति है, सामाजिक स्तर और आर्थिक स्थिति है, इसमें सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण योगदान शेख अब्दुल्ला का है जिन्होंने विमेंस कॉलेज की शक्ल में जो शिक्षा का दीप जलाया था, उसने पूरे समाज, खासकर लड़कियों की जिंदगी को रोशन कर दिया।
कुलपति ने सर सैयद अहमद खान, शेख अब्दुल्ला और वहीद जहां को समाज में शिक्षा की नींव बताया। कुलपति ने अपने छात्र जीवन को याद करते हुए कहा कि उन दिनों को कभी भुलाया नहीं जा सकता।
इस अवसर पर प्रोफेसर नईमा खातून ने कॉलेज के बुनियादी ढांचे और फैकल्टी में वृद्धि का भी आवश्वासन दिया और कहा कि छात्राओं की शिक्षा के लिए जो भी आवश्यकताएं हैं, उन्हें प्राथमिकता के आधार पर पूरा किया जाएगा।
मानद् अतिथि प्रोफेसर अजरमी दुख्त सफवी ने कहा कि वाइस चांसलर प्रोफेसर नईमा खातून विमेंस कॉलेज के संस्थापक शेख अब्दुल्ला के सपनों को साकार कर रही हैं। उन्होंने जो पौधा लगाया था, यह उसी का फल है। शिक्षा वह हथियार है जिसके द्वारा दुनिया को जीत सकते हैं।
उन्होंने छात्राओं से कहा कि शेख अब्दुल्ला ने कड़ी मेहनत और संघर्ष के बाद सफलता प्राप्त की। यह वह समय था जब समाज, विशेष रूप से मुस्लिम समाज, महिलाओं की शिक्षा के लिए तैयार नहीं था। शेख अब्दुल्ला और उनकी पत्नी द्वारा जो कार्य किया गया, वह इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में दर्ज है।
कॉलेज के प्रिंसिपल प्रोफेसर मसूद अनवर अलवी ने स्वागत भाषण में कहा कि कॉलेज के संस्थापक शेख अब्दुल्ला और उनकी पत्नी वहीद जहां (आला बी) ने उस दौर में महिलाओं की शिक्षा की चिंता की जब दुनिया उनके लिए अंधेरे में थी। उन्होंने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं कि सभ्यता और शिष्टाचार के लिए महिलाओं का शिक्षित होना आवश्यक है और इन दोनों व्यक्तित्वों ने अपनी पूरी ध्यान इसी पहलू पर केंद्रित करके महिलाओं को शिक्षित बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
उन्होंने कॉलेज की उपलब्धियों के बारे में रिपोर्ट पेश करते हुए बताया कि पिछले एक साल में कई छात्राओं ने दुनिया की प्रमुख विश्वविद्यालयों में न केवल शिक्षा के लिए प्रवेश लिया, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर की विश्वविद्यालयों में अध्यापक के रूप में भी चयनित हुई हैं। इसी तरह, खेल के मैदान में हमारी छात्राओं ने राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में भाग लिया और सफलताएं प्राप्त की हैं।
फीमेल एजुकेशन की सचिव प्रोफेसर जकिया सिद्दीकी ने फीमेल एजुकेशन की महत्ता और महिलाओं की शिक्षा में इसके योगदान पर प्रकाश डालते हुए बताया कि लड़कियों की शिक्षा के लिए यह पहला संगठित संस्थान था, जिसके सचिव के रूप में शेख अब्दुल्ला ने यह कार्य किया कि आज लड़कियां शैक्षिक और सामाजिक क्षेत्र में इतनी विकसित हैं।
इस अवसर पर कॉलेज की मैगजीन, न्यूजलेटर और अन्य पांच किताबों का भी विमोचन किया गया।
डॉ. इमराना खातून की उपस्थिति में छात्राओं ने तराना प्रस्तुत किया। बीए की छात्रा रितयांतिका सिंह ने शेख अब्दुल्ला और वहीद जहां को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उनके जीवन के महत्वपूर्ण मोड़ों और महिलाओं की शिक्षा के लिए उनकी सेवाओं पर विस्तृत प्रकाश डाला।
कार्यक्रम का संचालन प्रोफेसर नाजिया हसन और डॉ. हुमैरा महमूद आफरीदी ने किया। धन्यवाद ज्ञापन डा. बुशरा हुसैन ने दिया। अब्दुल्ला हॉल की प्रोवोस्ट डॉ. शीबा जीलानी सहित इस अवसर पर कॉलेज के सभी शिक्षक, गैर-शैक्षिक कर्मचारी और छात्राएं उपस्थित रहीं
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विश्व मेमन संगठन के प्रतिनिधि मंडल का अरबी विभाग का दौरा, कुलपति से भेंट की
अलीगढ़, 18 फरवरीः अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के अरबी विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर मोहम्मद सनाउल्लाह नदवी के निमंत्रण पर विश्व मेमन संगठन के प्रतिनिधि मंडल ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय का दो दिवसीय दौरा किया और कुलपति प्रोफेसर नईमा खातून से मुलाकात कर विभिन्न मुद्दों पर विचार विमर्श किया।
प्रतिनिधि मंडल का स्वागत करते हुए कुलपति प्रो. नईमा खातून ने कहा कि हमारे विश्वविद्यालय का अरबी विभाग दुनिया में एक प्रतिष्ठित और अद्वितीय स्थान रखता है, इस विभाग से कई प्रमुख यूरोपीय शोधकर्ता जुड़े रहे हैं।
इस अवसर पर प्रतिनिधि मंडल के सदस्यों ने कहा कि अरबी विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रोफेसर अल्लामा अब्दुल अजीज मेमनी की सभी रचनाओं और किताबों को देखने का अवसर मिला, हम लोग हर संभव सहयोग देने के लिए तैयार हैं। प्रतिनिधि मंडल ने अरबी विभाग के अध्यक्ष के नेतृत्व में मेमनी मंजिल, बदर बाग का दौरा किया और भवन को पुनः निर्माण कराने का ऐलान किया।
दूसरे दिन, प्रतिनिधि मंडल के सम्मान में अरबी विभाग के सम्मेलन हॉल में एक भव्य कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें अरबी विभाग के अध्यक्ष ने प्रतिनिधि मंडल का स्वागत करते हुए अल्लामा अब्दुल अजीज मेमनी की शख्सियत, उनके शैक्षिक योगदान और अंतर्राष्ट्रीय प्रतिष्ठा पर विस्तार से प्रकाश डाला। प्रोफेसर अब्दुल अजीज मेमनी 1936 से 1956 तक यानी दो दशकों तक अरबी विभाग के अध्यक्ष रहे और इसी दौरान उनकी अरबी रचनाएँ मिस्र और लेबनान से प्रकाशित हुईं। पांडुलिपियों के शोध और संपादन के क्षेत्र में उनका नाम अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सर्वश्रेष्ठ माना जाता है।
प्रतिनिधि मंडल के अध्यक्ष जनाब हुसैन अगारी ने अपनी खुशी और संतोष का इजहार करते हुए कहा कि हम अब तक अल्लामा मेमनी की शख्सियत और उनके कार्यों से अंजान थे, हमें बहुत खुशी है कि आज हम अपनी समुदाय की इतनी बड़ी अंतर्राष्ट्रीय शख्सियत से परिचित हुए। इसके लिए हम मेमनी संगठन, अरबी विभाग के अध्यक्ष और उनके सहयोगियों के आभारी हैं।
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एएमयू कर्मचारियों और छात्रों के लिए साइबर सुरक्षा जागरूकता कार्यशालाओं का आयोजन करेगा
अलीगढ़, 18 फरवरीः अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर नईमा खातून ने विश्वविद्यालय के छात्रों, शिक्षकों और कर्मचारियों में डिजिटल सुरक्षा के प्रति जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से साइबर सुरक्षा जागरूकता समिति का गठन किया है। यह पहल भारत सरकार की ‘डिजिटल इंडिया’ और ‘साइबर सुरक्षा मिशन’ योजनाओं का एक हिस्सा है, जो एक सुरक्षित डिजिटल वातावरण के लिए माहौल तैयार करती है।
इस समिति में कंप्यूटर विज्ञान विभाग के अध्यक्ष, प्रोफेसर अरमान रसूल फरीदी को समन्वयक नियुक्त किया गया है, जबकि पीएमएनएफ कंप्यूटर सेंटर के निदेशक, डॉ. परवेज एम. खान और कंप्यूटर इंजीनियरिंग विभाग के अध्यक्ष, प्रोफेसर इजहारुद्दीन समिति के सदस्य होंगे। इन तीनों के नेतृत्व में एएमयू समुदाय के लिए ऑनलाइन साइबर सुरक्षा जागरूकता कार्यशालाओं की एक श्रृंखला आयोजित की जाएगी।
प्रोफेसर फरीदी ने कहा है कि विश्वविद्यालय और स्कूल के छात्र सुरक्षित डिजिटल भविष्य को सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। उन्होंने कहा कि छात्रों को साइबर सुरक्षा के बारे में ज्ञान से लैस किया जाना चाहिए, ताकि वे प्रौद्योगिकी, खासकर डिजिटल इंडिया की पहलों जैसे आधार-लिंक्ड सेवाएं, डिजिटल भुगतान और ई-गवर्नेंस के उपकरणों का जिम्मेदारी से उपयोग कर सकें। उन्होंने यह भी कहा कि इन कार्यशालाओं के लिए छात्र पंजीकरण की जानकारी जल्द ही दी जाएगी।
साइबर सुरक्षा जागरूकता अभियान के पहले चरण के तहत, एएमयू कर्मचारियों के लिए एक कार्यशाला आयोजित की जाएगी, जिसमें शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारी दोनों शामिल होंगे। इस कार्यशाला में साइबर सुरक्षा के बुनियादी सिद्धांत, खतरों की पहचान, और सुरक्षित ऑनलाइन लेन-देन के बारे में जानकारी दी जाएगी।
कर्मचारियों को इस पहल में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करने और व्यापक जागरूकता उत्पन्न करने के लिए विश्वविद्यालय के कार्यालय प्रमुखों से अनुरोध किया गया है। इच्छुक कर्मचारी इस कार्यशाला में भाग लेने के लिए विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर पूर्व-पंजीकरण कर सकते हैं। कार्यशाला को सफलतापूर्वक पूरा करने पर पंजीकृत प्रतिभागियों को प्रमाणपत्र प्रदान किए जाएंगे।
प्रोफेसर फरीदी ने कहा कि इन पहलों के माध्यम से एएमयू का उद्देश्य साइबर सुरक्षा जागरूकता और डिजिटल जिम्मेदारी की एक मजबूत संस्कृति का निर्माण करना है। उन्होंने कहा कि एक साइबर जागरूक विश्वविद्यालय राष्ट्रीय डिजिटल सुरक्षा लक्ष्यों में महत्वपूर्ण योगदान देगा।
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एएमयू विमेंस पॉलिटेक्निक द्वारा छात्रों को प्रेरित करने के लिए वर्चुअल एल्युम्नाई मीट का आयोजन
अलीगढ़, 18 फरवरीः अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के विमेंस पॉलिटेक्निक द्वारा ऑनलाइन एल्युम्नाई मीट का आयोजन किया गया, जिसमें छात्रों, शिक्षकों और विभिन्न पेशेवर क्षेत्रों में सफलता प्राप्त करने वाली पूर्व छात्राओं को एक मंच पर लाने का प्रयास किया गया।
दो प्रमुख एल्युम्नाई, नगमा तबस्सुम, वरिष्ठ उप-कलक्टर, पश्चिम चंपारण, बिहार, और बुशरा साबिर, जो इलेक्ट्रॉनिक्स और संचार इंजीनियरिंग (ईसीई) में पीएचडी छात्रा हैं और एनेडीम, कनाडा से जुड़ी हुई हैं, ने करियर अवसरों और वैश्विक शिक्षा संभावनाओं पर अपने विचार साझा किए।
नगमा तबस्सुम ने इंजीनियरिंग स्नातकों के लिए पारंपरिक भूमिकाओं के अलावा उपलब्ध विशाल करियर विकल्पों के बारे में बताया। उन्होंने छात्राओं को अपनी तकनीकी जानकारी का उपयोग करने, नई क्षमताएं हासिल करने और नागरिक सेवाओं जैसे विविध करियर मार्गों का अन्वेषण करने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने यह भी कहा कि मजबूत एल्युम्नाई जुड़ाव छात्रों की रोजगार क्षमता और करियर संभावनाओं को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
बुशरा साबिर ने विदेशों में उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लाभों पर चर्चा की, और वैश्विक शिक्षा प्रणाली की महत्ता को बताया, जो कक्षा शिक्षा को व्यावहारिक उद्योग अनुभव के साथ जोड़ती है। उन्होंने छात्राओं को व्यक्तिगत और पेशेवर विकास के लिए अंतर्राष्ट्रीय शैक्षिक अवसरों पर विचार करने के लिए प्रेरित किया।
विमेंस पॉलिटेक्निक की प्रिंसिपल, डॉ. सलमा शाहीन ने संस्थान की युवा महिलाओं को सशक्त बनाने की प्रतिबद्धता को दोहराया। उन्होंने कहा कि यह वेबिनार एक ऐसी श्रृंखला की शुरुआत है, जिसका उद्देश्य छात्राओं को वैश्विक स्तर पर उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिए आवश्यक उपकरण प्रदान करना है।
पूर्व छात्राओं का स्वागत करते हुए, एल्युम्नाई अफेयर्स कमेटी के समन्वयक, डॉ. अजमल कफील ने पूर्व छात्राओं द्वारा किए गए कार्यों और अपनी मातृसंस्था से जुड़ने के प्रति उनके उत्साह की सराहना की।
समन्वयक, डॉ. शीबा कमाल ने एल्युम्नाई के संबंधों की महत्ता पर बल दिया और संस्थान की धरोहर में उनके योगदान पर गर्व व्यक्त किया।
कार्यक्रम का समापन आयोजन सचिव डॉ. शाहबाज हुसैन द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ, जिन्होंने पूरे सत्र का सञ्चालन भी किया।
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अमुवि में प्रोफेसर एडवर्ड बकिंघम ने उच्च शिक्षा में विकास रणनीतियों पर प्रकाश डाला
अलीगढ़, 18 फरवरीः उच्च शिक्षा संस्थानों को प्रगति के लिए नवाचार को अपनाना चाहिए, अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देना चाहिए और विकास के लिए टिकाऊ मॉडल लागू करने चाहिए, यह कहना था प्रोफेसर एडवर्ड बकिंघम का, जो ऑस्ट्रेलिया की मोनाश विश्वविद्यालय के मोनाश बिजनेस स्कूल में एंगेजमेंट्स के निदेशक हैं। उन्होंने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के जेड.एच. कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी में एक व्याख्यान के दौरान यह उदगार व्यक्त किये।
‘उच्च शिक्षा में विकास और प्रदर्शनः कर्मचारियों और छात्रों के लिए कुछ ढांचे’ पर बोलते हुए, प्रोफेसर बकिंघम, जिन्होंने मोनाश विश्वविद्यालय के अंतर्राष्ट्रीय परिसरों की स्थापना में अहम भूमिका निभाई, ने उच्च शिक्षा को आगे बढ़ाने के लिए रणनीतिक दृष्टिकोणों पर चर्चा की। एक बिजनेस शिक्षा के प्रोफेसर के रूप में, उन्होंने अकादमिक संस्थाओं को बनाए रखने के लिए आवश्यक मॉडलों और उच्च वैश्विक रैंकिंग प्राप्त करने के उपायों को स्पष्ट किया। उनके दौरे के दौरान मोनाश विश्वविद्यालय और एएमयू के बीच छात्र आदान-प्रदान कार्यक्रमों के लिए संभावित सहयोग पर भी चर्चा की गई।
अपने अध्यक्षीय भाषण में, प्रोफेसर जफर महफूज नोमानी, कार्यकारी उपकुलपति, ने उच्च शिक्षा को सशक्त बनाने में मान्यता, अंतर्राष्ट्रीय साझेदारी और संसाधन सृजन के महत्व को रेखांकित किया।
प्रोफेसर निसार अहमद, डीन, इंजीनियरिंग और टेक्नोलॉजी संकाय, ने अकादमिक उत्कृष्टता में संस्थान की रैंकिंग की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला।
सत्र की शुरुआत प्रोफेसर मोहम्मद मुजम्मिल, प्रिन्सिपल, जेड.एच. कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी द्वारा स्वागत भाषण से हुई। कार्यक्रम का समापन प्रोफेसर इजहारुल हक फारूकी, अध्यक्ष, सिविल इंजीनियरिंग विभाग और व्याख्यान बैठक के समन्वयक द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ। प्रश्नोत्तर सत्र के बाद, प्रतिभागियों को प्रोफेसर बकिंघम से उच्च शिक्षा के प्रमुख चुनौतियों और अवसरों पर बातचीत करने का अवसर मिला।
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अहमदी स्कूल में सेंसरी डेवलपमेंट के लिए रिक्रिएशन रूम का उद्घाटन
अलीगढ़, 18 फरवरीः अहमदी स्कूल फॉर द विजुअली चैलेंज्ड ने अपने सेंसरी डेवलपमेंट क्लास के लिए पहले रिक्रिएशन रूम का उद्घाटन करके एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर हासिल किया है। इस सुविधा का उद्घाटन स्कूल शिक्षा निदेशक प्रोफेसर असफर अली खान ने एक समारोह में किया।
उद्घाटन समारोह के दौरान, प्रोफेसर असफर ने 2024-2025 सत्र के उत्कृष्ट छात्र कार्यालय धारकों को ट्रॉफी और प्रमाणपत्र वितरित किए। छात्रों को और प्रसन्न करने के लिए, सूखे मेवे के पैकेट और विशेष रूप से डिजाइन की गई पानी की बोतलें उपहार स्वरूप दी गईं।
नवस्थापित रिक्रिएशन रूम को विजुअली चैलेंज्ड छात्रों के लिए एक आकर्षक और इंटरएक्टिव लर्निंग अनुभव प्रदान करने के लिए डिजाइन किया गया है। कमरे की केंद्रीय विशेषता एक बड़ा एलसीडी स्क्रीन है, जो इंटरएक्टिव लर्निंग को सुगम बनाएगा, जिससे पाठ्यक्रम और अधिक सुलभ और आनंदजनक होंगे। इस कमरे को रंगीन लर्निंग टॉयज से सजाया गया है, जो संज्ञानात्मक विकास में सहायता प्रदान करते हैं, वहीं विभिन्न जानवरों के वास्तविक मॉडल्स को इस प्रकार रखा गया है कि छात्र उन्हें छूकर पहचान सकें। उज्जवल और स्वागतपूर्ण माहौल स्कूल की इस प्रतिबद्धता को दर्शाता है कि वह एक पोषक और उत्तेजक शैक्षिक अनुभव प्रदान कर रहा है।
प्रधानाचार्य डॉ. नाइला राशिद ने समर्पित स्टाफ के प्रति आभार व्यक्त किया, और इस पहल की सफलता को उनके सामूहिक प्रयास और समर्पण का परिणाम बताया। उन्होंने इस परियोजना के पूरा होने और उद्घाटन समारोह को सफल बनाने में उनके योगदान को सराहा।
रिक्रिएशन रूम का उद्घाटन स्कूल के विजुअली चैलेंज्ड छात्रों के शैक्षिक अनुभवों को बेहतर बनाने के लिए निरंतर प्रयासों का प्रतीक है, जो उन्हें समावेशी शैक्षिक वातावरण में सफलता पाने के लिए आवश्यक संसाधनों से सुसज्जित कर रहा है।
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फैकल्टी ऑफ लॉ ने पंजीपुर, अलीगढ़ में कानूनी सहायता और साक्षरता कार्यक्रम का आयोजन किया
अलीगढ़, 18 फरवरीः अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के फैकल्टी ऑफ लॉ ने समाजशास्त्र विभाग के साथ मिलकर अलीगढ़ के गांव पंजीपुर स्थित सरकारी स्कूल में कानूनी सहायता, साक्षरता और काउंसलिंग कार्यक्रम का आयोजन किया। यह पहल एएमयू की पब्लिक इंटरेस्ट लॉयरिंग और क्लिनिकल लीगल एजुकेशन की प्रतिबद्धता का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य कानूनी शिक्षा और ग्रामीण स्तर पर जागरूकता के बीच अंतर को समाप्त करना है।
कार्यक्रम की प्रमुख विशेषता एक नुक्कड़ नाटक थी, इसके अलावा कानूनी काउंसलिंग सत्र आयोजित किए गए, जिनमें ग्रामीणों और छात्रों को उनके मौलिक अधिकारों और कर्तव्यों के बारे में शिक्षित किया गया। इंटरएक्टिव सत्रों का व्यापक स्वागत हुआ, और यह एएमयू की सामाजिक न्याय और कानूनी सशक्तिकरण के प्रति प्रतिबद्धता को मजबूत करता है।
यह पहल फैकल्टी ऑफ लॉ की कानूनी जागरूकता और समुदाय से जुड़ाव को बढ़ावा देने की निरंतर कोशिशों में एक और महत्वपूर्ण कदम है।
प्रोफेसर हशमत अली खान, कानूनी साक्षरता कार्यक्रम के प्रभारी, ने इस प्रकार की पहलों के महत्व को रेखांकित किया और कहा कि इस तरह की पहलें अंततः न्याय तक बेहतर पहुंच और कानूनी समाजवाद की ओर अग्रसर होती हैं।
यह कार्यक्रम एएमयू की ग्रामीण समुदायों को आवश्यक कानूनी ज्ञान से सशक्त बनाने की निरंतर कोशिशों को दर्शाता है, जो एक सूचित और कानूनी रूप से जागरूक समाज को बढ़ावा देता है।
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एएमयू के प्रोफेसरों द्वारा यूनानी दिवस 2025 सम्मेलन में स्वास्थ्य और चिकित्सा पर ज्ञानवर्धक व्याख्यान प्रस्तुत किए गए
अलीगढ़, 18 फरवरीः अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के अजमल खां तिब्बिया कालिज के तीन प्रोफेसरों ने केंद्रीय काउंसिल फॉर रिसर्च इन यूनानी मेडिसिन द्वारा नई दिल्ली के विज्ञान भवन में यूनानी दिवस 2025 के उपलक्ष में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में महत्वपूर्ण योगदान दिया। इस सम्मेलन का उद्घाटन भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने किया, और इसका मुख्य फोकस यूनानी चिकित्सा में नवाचारों और भविष्य के लिए एकीकृत स्वास्थ्य समाधान पर था।
अजमल खान तिब्बिया कॉलेज के इलाज बित तदबीर विभाग की विभागाध्यक्ष प्रोफेसर असिया सुलताना ने “भारतीय खाद्य उद्योग का उपनिवेशीकरणः धरोहर और आधुनिक स्वास्थ्य चुनौतियाँ” विषय पर एक ज्ञानवर्धक व्याख्यान प्रस्तुत किया। प्रोफेसर सुलताना ने भारतीयों, खासकर बच्चों और युवा वयस्कों में प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों के बढ़ते चलन पर चिंता व्यक्त की और इस बदलाव के कारण उत्पन्न होने वाली दीर्घकालिक स्वास्थ्य समस्याओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने भविष्य पीढ़ियों की भलाई के लिए पारंपरिक और पौष्टिक खाद्य प्रथाओं की ओर लौटने की आवश्यकता पर जोर दिया।
यूनानी चिकित्सा संकाय के इलाज बित तदबीर विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर मोहम्मद अनवर ने “मस्कुलोस्केलेटल देखभाल में प्रगतिः नियामक हस्तक्षेपों में प्रमाण-आधारित अंतर्दृष्टियाँ” विषय पर एक प्रमुख व्याख्यान दिया। उनके व्याख्यान में मस्कुलोस्केलेटल बीमारियों के वैश्विक प्रभाव और इन परिस्थितियों के उपचार परिणामों में सुधार के लिए प्रमाण-आधारित रणनीतियों के महत्व पर जोर दिया गया। यूनानी चिकित्सा की मस्कुलोस्केलेटल देखभाल में भूमिका पर उनके विचारों ने यह स्पष्ट किया कि पारंपरिक उपचार आधुनिक चिकित्सा पद्धतियों के साथ कैसे मेल खा सकते हैं।
अजमल खान तिब्बिया कॉलेज के कुल्लियत विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर अशहर कदीर को मानसिक स्वास्थ्य और भलाई पर यूनानी दृष्टिकोण पर एक व्याख्यान देने के लिए आमंत्रित किया गया था। उन्होंने मानसिक स्वास्थ्य के बारे में यूनानी दृष्टिकोण की व्याख्या करते हुए शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य दोनों पर ध्यान केंद्रित करने वाली एकीकृत उपचार विधियों पर प्रकाश डाला।
यह सम्मेलन यूनानी चिकित्सा के वैश्विक स्वास्थ्य समाधान में योगदान को प्रदर्शित करने का एक मंच था, जिसमें एएमयू के प्रोफेसरों ने खाद्य संस्कृति, मस्कुलोस्केलेटल देखभाल और मानसिक स्वास्थ्य जैसे विषयों पर मूल्यवान विचार प्रस्तुत किए। इन व्याख्यानों ने एएमयू की पारंपरिक चिकित्सा को बढ़ावा देने और एकीकृत स्वास्थ्य समाधान पर अंतरविभागीय संवाद को प्रोत्साहित करने में महत्वपूर्ण भूमिका को और मजबूत किया।




