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मैं सुनिधि राय ग्राम महुजा नेवादा मार्टीनगंज आज़मगढ़ की मूल निवासी हु। मेरी परास्नातक की शिक्षा वर्ष 2023 में काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से पूर्ण हुई, जिसमे मेरी मार्गदर्शिका डॉक्टर किरन गुप्ता मैम का शुक्रिया करती हूं। जिन्होंने मेरी सोच को कलाकृतियों के माध्यम से प्रदशित करने में मेरा मार्गदर्शन किया। मैंने मेरे कला के माध्यम से योग से होने वाले लाभ को बताया है
योग चक्र और मानव जीवन में इसके महत्व से प्रेरित होकर, मैंने इसे अपनी कलाकृतियों का मुख्य विषय बनाया है।
चक्र एक संस्कृत शब्द है जिसका अंग्रेजी में अर्थ “पहिया” या “सर्कल” है, और इसकी उत्पत्ति प्राचीन भारतीय योग प्रणाली से हुई है। इसलिए योग में चक्र हमारे शरीर के ऊर्जा केंद्र हैं।

चक्र आपकी आध्यात्मिक यात्रा के महत्वपूर्ण घटक हैं, और उन्हें समझने से आपको अपने मन, शरीर और आत्मा को बेहतर ढंग से जोड़ने में मदद मिल सकती है। चक्र हमारे शरीर में जटिल ऊर्जा चैनल हैं जहां माना जाता है कि जीवन शक्ति चलती है। आप इसे शरीर का आध्यात्मिक तंत्रिका तंत्र कह सकते हैं। ये घूमता हुआ ऊर्जा चक्र हमारी शारीरिक और भावनात्मक भलाई को प्रभावित कर सकता है। मानव शरीर में 7 मुख्य चक्र होते हैं। वे हमारी रीढ़ की हड्डी के आधार से शुरू होकर हमारे सिर के शीर्ष तक चलते हैं।
भौतिक शरीर, मन और आत्मा के बीच पूर्ण सामंजस्य प्राप्त करने के लिए हमें अपने चक्रों को खोलना होगा। लोग अपना सर्वोत्तम जीवन जीने के लिए अपने चक्रों को साफ़ करने का प्रयास करते हैं।
प्रदर्शनी का उद्घाटन चीफ गेस्ट डॉक्टर अनुपम कुमार नेमा सर व पद्मश्री विजय शर्मा जी, विशिष्ट अतिथि डॉक्टर उत्तमा दीक्षित मैम ने किया।
इस प्रदर्शनी के उद्घाटन समारोह में सुरेश के नायर , डॉक्टर शान्ति स्वरूप सिन्हा, साहेब राम टुडू, डॉक्टर ललित मोहन सोनी, कला वीथिका के प्रभारी डॉक्टर सुरेश चंद्र जांगिड़ एवम अन्य लोग उपस्थित रहे।
इस प्रदर्शनी में मेरी कला को दर्शकों एवं गुरुजनो द्वारा बहुत सराहना मिली और भविष्य में इससे और बेहतर करने का प्रोत्साहन और गुरुजनो की मंगलकामना भी मिली। अन्ततः मैं अपने परिजनों गुरुजनो एवम अपने सभी सहपाठी सहयोगियों के धन्यवाद करना चाहती हूँ।

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