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तंत्रिका ब्लॉकों पर यूएसजी निर्देशित कैडवेरिक कार्यशाला का आयोजन

अलीगढ़, 30 जनवरीः  अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के जे.एन मेडिकल कॉलेज के एनेस्थिसियोलॉजी और क्रिटिकल केयर विभाग द्वारा हाल ही में ‘नर्व ब्लॉक्स और वैस्कुलर एक्सेस पर यूएसजी गाइडेड कैडवेरिक कार्यशाला’ विषय पर यूपी मेडिकल काउंसिल (यूपीएमसी) द्वारा मान्यता प्राप्त सीएमई सह कार्यशाला का आयोजन किया गया।

डॉ. अरशद अयूब के नेतृत्व में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, नई दिल्ली के विशेषज्ञों ने कार्यशाला का संचालन किया, जो अल्ट्रासाउंड-निर्देशित तंत्रिका ब्लॉकों पर केंद्रित थी। इस तकनीक पर जोर एनेस्थीसिया और गहन देखभाल में इसकी बढ़ती लोकप्रियता से उपजा है, जो उच्च जोखिम वाले रोगियों के प्रबंधन के लिए एक सुरक्षित और अधिक प्रभावी दृष्टिकोण प्रदान करता है। सामान्य एनेस्थीसिया से बचकर, ये क्षेत्रीय एनेस्थीसिया विधियां सर्जरी से जुड़े जोखिमों और लागतों को काफी कम कर देती हैं।

दिन भर चली कार्यशाला में देश भर के विभिन्न विशिष्टताओं और संस्थानों के डॉक्टरों सहित लगभग 100 प्रतिभागियों ने भाग लिया। व्यावहारिक प्रशिक्षण सत्र पांच अलग-अलग चरणों में हुए, जिससे प्रतिभागियों के कौशल और ज्ञान में वृद्धि हुई।

कार्यवाहक कुलपति प्रोफेसर नासिर जमीर कुरेशी की अध्यक्षता में उद्घाटन समारोह में मेडिसिन संकाय के डीन प्रोफेसर मोहम्मद हबीब रजा, कार्यशाला समन्वयक डॉ. अरशद अयूब, आयोजन अध्यक्ष प्रोफेसर काजी एहसान अली और आयोजन सचिव डॉ. फराह नसरीन और डॉ. मनाजिर अतहर उपस्थित थे।

प्रोफेसर कुरेशी ने स्वास्थ्य देखभाल में ऐसी कार्यशालाओं के महत्व पर जोर देते हुए जेएन मेडिकल कॉलेज और एनेस्थिसियोलॉजी विभाग की प्रगति की सराहना की। प्रोफेसर रजा ने विभाग की चल रही शैक्षणिक गतिविधियों की सराहना की और कार्यशाला आयोजित करने के लिए आयोजन समिति को बधाई दी।

एनेस्थिसियोलॉजी और क्रिटिकल केयर विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर काजी एहसान अली ने कार्यशाला की समग्र सफलता पर संतोष व्यक्त किया। एनाटॉमी विभाग के अध्यक्ष और सह-आयोजन सचिव प्रोफेसर फजल-उर-रहमान ने कार्यक्रम के आयोजन में सहयोग किया।

डॉ. फराह नसरीन ने धन्यवाद ज्ञापित किया जबकि डॉ. मनाजिर अतहर ने सीएमई और कार्यशाला से संबंधित समग्र गतिविधियों का प्रबंधन किया।
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अलीगढ़, 30 जनवरीः अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के दर्शन शास्त्र विभाग में सेवानिवृत शिक्षक डा. तसद्दुक हुसैन के निधन पर आज एक शोक सभा का आयोजन प्रगतिशील लेखक संघ अलीगढ़ इकाई जनवादी लेखक संघ एवं जनसंस्कृति मंच द्वारा कला संकाय में किया गया जिसमें उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की गई। जिसकी अध्यक्षता हिंदी विभाग के वरिष्ठ शिक्षक प्रोफेसर अब्दुल अलीम ने की।

डा. तसद्दुक हुसैन को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए अंग्रेजी विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर एम आसिम सिद्दीकी ने कहा कि उनकी जीवन यात्रा में विकलांगता कभी आड़े नहीं आई और हर कार्य को दृष्टि रखने वाले लोगों के समान ही सफलतापूर्वक अंजाम दिया। उन्होंने कहा कि डा. तसद्दुक हुसैन हम सबके लिए प्रेरणास्रोत थे और रचनात्मक कार्यों के लिए सदैव प्रोत्साहित करते रहते थे। प्रो. आसिम ने कहा कि सेवानिवृति के बाद भी वह शैक्षणिक कार्यों से जुड़े रहे और सहित्य व शायरी में उनकी दिलचस्पी अंतिम समय तक बरकरार रहीं। उन्होंने बताया कि मशहूर हिन्दी फिल्म में अभिनेता नसीर द्वारा निभाई गई भूमिका भी प्रो. तसद्दुक के जीवन से कहीं न कहीं प्रभावित थी।

हिन्दी विभाग के अजय बिसारिया ने कहा कि वह एक जिंदादिल इंसान थे और हमेशा दूसरों को हंसाते रहते थे। उन्होंने न तो कभी छड़ी हाथ में ली और न ही काला चश्मा लगाया और अपने तरीके से जिंदगी को जिया। उन्होंने कहा कि डा. तसददुक ने हमेशा अपनी बात को बेबाकी से रखा और वर्तमान में इस प्रकार का अलीग देखना मुश्किल है।

हिन्दी विभाग के प्रोफेसर कमलानंद झा ने कहा कि डा. तसद्दुक हुसैन दृष्टिबाधित नहीं थे बल्कि वह आंतरिक पैनी दृष्टि रखते थे। उनकी हर बात में स्पष्टता थी। ऐसे बड़े विद्वानों से यह संसार खाली होता जा रहा है। उन्होंने कहा कि उनके जीवन से सभी को प्रेरणा लेनी चाहिए।

हिन्दी विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर एम आशिक अली ने कहा कि डा. तसद्दुक हुसैन का व्यक्तित्व संघर्षशील था और न केवल वाजिब हक के लिए लड़े बल्कि उसको हासिल भी किया। प्रो. अली ने कहा कि डा. तसद्दुक को शिक्षा के साथ संगीत में भी गहरी रूचि थी और उनका संबंध आगरा व अतरौली घरानों से रहा। प्रो. अली ने कहा कि उनके व्यक्तित्व के अनेक पहलू सभी को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करते हैं।

शोक सभा की अध्यक्षता करते हुए प्रो. अब्दुल अलीम ने कहा कि डा. तसद्दुक हुसैन से जुड़े संस्मरणों को एक स्मृतिग्रंथ के रूप में प्रकाशित किया जाना चाहिए ताकि उनकी यादों को कलमबंद किया जा सके। उन्होंने कहा कि डा. तसद्दुक हुसैन ने समाज को दिखाया कि कैसे एक दृष्टिबाधित व्यक्ति शैक्षणिक, सामाजिक व साहित्य में अपना योगदान दे सकता है।

अंत में उपस्थितजनों ने दो मिनट का मौन धारण कर दिवंगत आत्मा की शांति और शोक संतृप्त परिवार को धैर्य प्रदान करने की प्रार्थना की गई।

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गणतंत्र दिवस के उपलक्ष्य में अंग्रेजी और हिंदी वाद विवाद प्रतियोगिता का आयोजन

अलीगढ़ 30 जनवरीः अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के सैयदना ताहिर सैफुद्दीन स्कूल (मिंटो सर्कल) द्वारा गणतंत्र दिवस समारोह के उपलक्ष्य में अंग्रेजी और हिंदी में अंतर-स्कूल वाद-विवाद प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। अंग्रेजी में बहस का विषय थाः ‘आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का विस्तारित उपयोग मानवता के लिए अच्छा होगा’, जबकि हिंदी बहस में प्रतिभागियों ने ‘आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस टेक्नोलॉजी मानव विकास में एक बाधा है’ पर वक्ताओं ने अपने विचार रखे।

अंग्रेजी वाद-विवाद में, मान्या गुप्ता (एस.टी.एस. स्कूल) ने पहला स्थान हासिल किया, जबकि समारा फिरदौस (एएमयू गर्ल्स स्कूल) और मुग्धा (एएमयू एबीके हाई स्कूल-गर्ल्स) ने दूसरा और अयाज अब्दुल्ला (एस.टी.एस. स्कूल) ने तीसरा स्थान प्राप्त किया।

हिंदी प्रतियोगिता में, प्रवीण कुमार (एसटीएस स्कूल) ने पहला पुरस्कार जीता, जबकि नैतिक उपाध्याय (एसटीएस स्कूल) और हुमैरा (एएमयू सिटी गर्ल्स हाई स्कूल) ने क्रमशः दूसरा और तीसरा पुरस्कार जीता। उदय शर्मा (एएमयू एबीके हाई स्कूल बॉयज) को सांत्वना पुरस्कार मिला।

पुरस्कार वितरण समारोह को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि प्रोफेसर मोहम्मद आसिम सिद्दीकी (अध्यक्ष, अंग्रेजी विभाग, एएमयू) ने आज के युग में एआई की आवश्यकता पर प्रकाश डाला और छात्रों से प्रख्यात लेखकों की किताबें पढ़ने की आदत विकसित करने का आग्रह किया। उन्होंने बढ़ती प्रौद्योगिकी के युग में साहित्य के स्थायी मूल्य पर जोर दिया। उन्होंने छात्रों में रचनात्मकता को दबाने वाली प्रौद्योगिकी के अत्यधिक उपयोग से बचने के प्रति भी आगाह किया।

हिंदी वाद-विवाद विजेताओं के लिए आयोजित पुरस्कार वितरण समारोह में मुख्य अतिथि प्रोफेसर मानवेंद्र कुमार पुंढीर (इतिहास विभाग, एएमयू) ने कहा कि प्रौद्योगिकी मनुष्य के लिए वरदान और अभिशाप दोनों है और इसका उचित उपयोग मनुष्य के विवेक पर निर्भर करता है।

उन्होंने छात्रों से मोबाइल फोन का कम उपयोग करने और गूगल, चैट जीपीटी आदि जैसी कृत्रिम बुद्धिमत्ता तकनीक का अनावश्यक उपयोग करके अपनी रचनात्मकता न खोने का आह्वान किया।

विद्यालय के प्रधानाचार्य फैसल नफीस ने वाद-विवाद प्रतियोगिता के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वाद-विवाद प्रतियोगिताओं से छात्रों में उल्लेखनीय प्रतिभा और उत्साह का उत्सर्जन होता है। उन्होंने कहा कि वाद-विवाद आयोजित करने का उद्देश्य छात्रों में सार्वजनिक बोलने के कौशल को बढ़ाना और उन्हें अपने विचारों को स्पष्ट तरीके से प्रस्तुत करने में मदद करना है।

अंग्रेजी बहस को डॉ. मोहम्मद साकिब अबरार और डॉ. यास्मीन अंसारी (अंग्रेजी विभाग) ने जज किया, जबकि हिंदी बहस को डॉ. सना फातिमा और डॉ. गुलाम फरीद साबरी ने जज किया।

एएमयू गर्ल्स हाई स्कूल, एएमयू सिटी गर्ल्स हाई स्कूल, एएमयू एबीके हाई स्कूल (बॉयज एंड गर्ल्स) और एसटीएस स्कूल सहित एएमयू स्कूलों के छात्रों ने वाद-विवाद प्रतियोगिताओं में बड़े उत्साह के साथ भाग लिया।

कार्यक्रमों का संचालन श्रीमती गजाला तनवीर एवं डॉ. ज्योति कुसुम्बल ने किया।

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चिकित्सा की सुरक्षा पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन 10 फरवरी से जेएनएमसी में शुरू

अलीगढ़ 30 जनवरीः अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के जेएन मेडिकल कॉलेज के फार्माकोलॉजी विभाग द्वारा 10-11 फरवरी, 2024 को ‘दवाओं की सुरक्षा’ पर एक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन और सोसाइटी ऑफ फार्माकोविजिलेंस, इंडिया की 21वीं वार्षिक बैठक का आयोजन किया जा रहा है।

आयोजन सचिव प्रो. सैयद जियाउर रहमान ने कहा कि एसओपीआई का सम्मेलन लगभग 10 वर्षों के अंतराल के बाद अलीगढ़ में आयोजित किया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि प्रतिष्ठित केसी सिंघल ओरेशन स्वीडन के उप्साला मॉनिटरिंग सेंटर (यूएमसी), जिसे डब्ल्यूएचओ सहयोग केंद्र फॉर इंटरनेशनल ड्रग मॉनिटरिंग के रूप में नामित किया गया है, के निदेशक और सीईओ डॉ. पीटर हेजेल्मस्ट्रॉम द्वारा दिया जाएगा।

उन्होंने कहा कि जॉन ऑटियन ओरेशन स्विट्जरलैंड के इंटरनेशनल फार्माकोविजिलेंस कंसल्टेंट डॉ. जोन डिसूजा द्वारा दिया जाएगा, जबकि घाना कॉलेज ऑफ फार्मासिस्ट के रेक्टर डॉ. यवोन यिरेनकीवा एस्सेकु विशेष अतिथि होंगे।

सम्मेलन का विवरण एसओपीआई की वेबसाइट https://sopi.net.in/forth-coming-conferences.html  से प्राप्त किया जा सकता है। उद्घाटन समारोह मेडिकल कॉलेज ऑडिटोरियम में आयोजित होगा।

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एएमयू शिक्षक द्वारा सूडान के खार्तूम में प्रशिक्षण कार्यक्रम का संचालन

अलीगढ़ 30 जनवरीः अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के वनस्पति विज्ञानं विभाग के डॉ. आमिर रैना को अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए), वियना, ऑस्ट्रिया द्वारा ‘राष्ट्रीय प्रशिक्षण पाठ्यक्रम’ नामक एक राष्ट्रीय प्रशिक्षण पाठ्यक्रम संचालित करने के लिए एक तकनीकी निगम विशेषज्ञ और व्याख्याता के रूप में नियुक्त किया गया। म्यूटेंट लाइन्स में प्रोटीन की गुणवत्ता के लिए एसडीएस-पेज स्क्रीनिंग पर इस ट्रेनिंग प्रोग्राम का आयोजन खार्तूम, सूडान में कृषि अनुसंधान निगम में आयोजित किया गया।

यह प्रशिक्षण ‘उन्नत किस्मों और सर्वोत्तम मिट्टी, पोषक तत्व और जल प्रबंधन प्रथाओं के माध्यम से उच्च मूल्य वाली फसलों की उत्पादकता और गुणवत्ता बढ़ाना’ परियोजना के तहत आयोजित किया गया था।

आईएईए ने 2020 में साइंटिफिक रिपोर्ट्स में प्रकाशित लेख ‘फिजियोलॉजिकल, बायोकेमिकल और मॉलिक्यूलर मार्करों का उपयोग करके प्रेरित उच्च उपज वाले काउपिया उत्परिवर्ती लाइनों की विशेषता’ में अपनाई गई कार्यप्रणाली का सूक्ष्म विवरण प्रदान करने के लिए डॉ रैना को मिशन विशेषज्ञ के रूप में आमंत्रित किया।

उन्होंने कहा कि प्रशिक्षण का उद्देश्य उत्परिवर्ती और वाइल्डटाइप लाइनों के बीच प्रोटीन संरचना में अंतर की पहचान करने के लिए एसडीएस-पेज विश्लेषण पर कौशल विकसित करना था।

उन्होंने कहा कि यह स्क्रीनिंग तकनीक उन उत्परिवर्ती रेखाओं की पहचान करने में मदद कर सकती है जिनमें न केवल कुल प्रोटीन की मात्रा अधिक होती है बल्कि उच्च किस्म के प्रोटीन भी होते हैं जो ज्वार, बाजरा और लोबिया जैसी बीज फसलों की पोषण गुणवत्ता को समृद्ध करेंगे।

डॉ. रैना ने हाल ही सैन डिएगो, कैलिफोर्निया में आयोजित पादप और पशु जीनोम सम्मेलन के दौरान एक पोस्टर भी प्रस्तुत किया, जिसका शीर्षक था, ‘क्या हम कृषि में भविष्य में जलवायु-संवेदनशील से जलवायु-स्मार्ट फसलों की ओर बदलाव कर सकते हैं’

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