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1- me too 2- Dr Bhaswasti FIR 3-Prof Shashi rekha complaint to Dean 4-Prof Shashi rekha complaint toWpmen redreesal cell against PK Goswami 5- VC letter -2019 with evidence 6- document related to Bypassing the Head 7- Proctor representation 9-Pharmacy related communication encl-8
मैं प्रो. नम्रता जोशी, विभागाध्यक्ष, रस शास्त्र और भैषज्य कल्पना विभाग, आयुर्वेद संकाय, आईएमएस, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय वाराणसी।

मैडम, मैं आयुर्वेद संकाय, आईएमएस, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय वाराणसी में कार्य संस्कृति से बहुत ही निराश हूँ, निश्चित रूप से मुझे इस मुद्दे पर आपके हस्तक्षेप और सहायता की आवश्यकता है। वर्तमान में मेरी मानसिकता बहुत अधिक असहिष्णु है और मैं अपने बारे में चिंतित हूँ कि, आगे चलकर मैं गंभीर मानसिक विकार से ग्रस्त हो सकती हूँ या फिर इसका परिणाम मेरे भी चिंतन के बाहर है।

“Justice delayed is Justice denied”,

 

प्रोफेसर आनंद कुमार चौधरी (पूर्व विभागाध्यक्ष, पूर्व प्रॉक्टर) “ME TOO” मामले में जाने-माने अपराधी (2018- मीडिया कवरेज के साथ संलग्न प्रति, संलग्नक-1) और डॉ. भास्वती भट्टाचार्य द्वारा यौन उत्पीड़न मामले के भी अपराधी (2019 – मीडिया कवरेज के साथ संलग्न एफआईआर प्रति, संलग्नक-2)

 

प्रोफेसर पी.के. गोस्वामी, डीन, आयुर्वेद संकाय, आईएमएस बनारस हिंदू विश्वविद्यालय वाराणसी (पूर्व निदेशक, एनईआईएएच) जिनकी पूर्व महिला विभागाध्यक्ष ने उनके दुर्व्यवहार और निम्न स्तर के चरित्र के बारे में शिकायत की थी। (2021- संलग्नक-3, 4)

 

दोनों गणमान्य व्यक्ति अपने पद का दुरुपयोग करके कई तरह से मेरे साथ दुर्व्यवहार कर रहे हैं। गौरतलब है कि, पिछले 30 वर्षों से दोनों के बीच  व्यक्तिगत और प्रोफेशनल संबंध और आधिकारिक समन्वय है। अतः मैं निष्पक्ष न्याय की उच्च आशा के साथ आपके समक्ष उपस्थित हो रही हूँ।

महोदया, मैं रसशास्त्र एवं भैषज कल्पना विभाग में अपने कर्तव्यों का पालन करने में बहुत असुरक्षित महसूस कर रही  हूँ, इसलिए मैं यह पत्र लिख रही  हूँ। संकाय सदस्य और प्रशासनिक पदों पर बैठे लोग लगातार मुझे परेशान कर रहे हैं और इस बीच मैं हर बार इस विश्वविद्यालय में प्रोफेसर के रूप में अपने गरिमामय पद की मर्यादा का ख्याल रखते हुए उनकी उपेक्षा करती रही हूँ। अब मैं प्रो. आनंद के. चौधरी (प्रोफेसर, रसशास्त्र एवं भैषज कल्पना विभाग) और प्रो. पी.के. गोस्वामी (डीन, आयुर्वेद संकाय) के व्यवहार के प्रति अपनी अस्मिता की रक्षा के लिए इन दोनों के ही विरोध में आवाज उठाने के लिए बाध्य हूँ।

यहाँ मैं शुरू से (2015) मेरे साथ हो रहे अन्याय को व्यक्त करने और संक्षेप में बताने का प्रयास कर रही  हूँ।

बनारस हिंदू विश्वविद्यालय एक प्रतिष्ठित संस्थान है, लेकिन मैं गहरी पीड़ा व्यक्त कर रही हूं क्योंकि यह महिलाओं के लिए सबसे असुरक्षित कार्यस्थल है, खासकर उन लोगों के लिए जो दूसरे स्थानों से आकर यहाँ नौकरी कर रही हैं और साथ ही अपने परिवार से दूर रह रही हैं।,

जैसे नीम अपनी कड़वाहट नहीं छोड़ सकता वैसे ही दुसरो को परेशान करने वाले मूल स्वभाव के कारण प्रोफेसर आनंद कुमार चौधरी ने विभाग में मुझे निशाना बनाया क्योंकि मैं रस शास्त्र और भैषज कल्पना विभाग से जुड़ी एकमात्र महिला प्राध्यापक हूं। कई बार  प्रोफेसर आनंद कुमार चौधरी ने मुझ पर अपमानजनक टिप्पणियां जैसे “तुम्हारी औकात क्या है? मैं बहुत पावरफुल हूँ। यहां से रिजाइन देकर चली जाओ” आदि। (समर्थक दस्तावेज संलग्न, संलग्नक-5)

एक महिला होने के नाते मुझे आपके सामने ऐसी घटना का जिक्र करने में बहुत शर्म आ रही है, लेकिन अब यह मेरे लिए अपरिहार्य है, इसलिए मैं इसे व्यक्त कर रही हूं। बीएचयू के नियमों के अनुसार विभागीय शोध समिति की बैठक केवल विभागाध्यक्ष द्वारा अध्यक्ष के रूप में आयोजित की जा सकती है। लेकिन यहाँ भी मुझे bypass किया गया। डीन को समिति का चेयरमैन बना दिया गय।  जो नियमो के पूर्णतया  विरुद्ध है।   बैठक के दौरान कई असंसदीय भाषा और अपशब्दों का प्रयोग किया गया तथा डीन और पूर्व प्रॉक्टर के पद का दुरुपयोग करते हुए मुझे यह कहकर डराया गया कि ‘मैं प्रॉक्टर ऑफिस से सुरक्षा गार्ड को बुलाऊंगा’ (प्रतिलिपि संलग्न है, अनुलग्नक-6)। इससे पहले भी मेरे साथ ऐसी ही घटना हुई थी और प्रॉक्टोरियल ऑफिस से दो सुरक्षाकर्मियों को बुलाकर मेरे दस्तावेज छीन लिए गए थे, साथ ही मुझे विभाग से बाहर निकाल दिया गया था। (प्रतिलिपि संलग्न है, अनुलग्नक-7)

  • प्रोफेसर प्रोफेसर आनंद कुमार चौधरी, मेरे शैक्षणिक अनुभवों में हस्तक्षेप करते हैं तथा विश्वविद्यालय के बाहर से मुझे जो भी अवसर मिले, उनमें प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से बाधा उत्पन्न करते हैं।
  • प्रोफेशनल paltforms में भेदभाव पैदा किया तथा कई आधिकारिक मंचों और यहां तक ​​कि सार्वजनिक और सोशल मीडिया में भी मेरा अपमान किया। (प्रतिलिपि संलग्न है, अनुलग्नक-8)
  • विभागीय गतिविधियों से मेरा नाम जानबूझकर हटा दिया गया तथा पिछले 9 ½ वर्षों से अधिकांश समय परीक्षक नहीं बनने दिया । विभाग के अधिकारियों ने विभिन्न मंचों पर केवल काम भर के अवसरों में ही ऐसे आधिकारिक कार्य आवंटित किए हैं।
  • न केवल मेरे professional जीवन में बल्कि, वे मेरे निजी जीवन में भी हस्तक्षेप करते हैं। बीएचयू को एक प्रतिष्ठित संस्थान मानते हुए मेरे पति डॉ मनोज दाश को पीएचडी कार्यक्रम में registered हुए और उन्होंने बीएचयू के रस शास्त्र और भैषज कल्पना विभाग में बहुत ही बाधाओं के साथ  थीसिस जमा की। थीसिस जमा करने के बारे में विभाग की सभी औपचारिकताओं को पूरा करने के बाद भी विभाग ने थीसिस जमा करने में कई बाधाएं पैदा कीं। इस मुद्दे को उच्च प्राधिकारी को संबोधित किया गया और अंततः कुलपति के हस्तक्षेप से थीसिस जमा हो पायी और डिग्री प्रदान की गई।
  • बीएचयू की अधिसूचना के अनुसार, मैंने 23 जुलाई 2024 को विभागाध्यक्ष के रूप में कार्यभार संभाला। प्रभार के पहले दिन से, कुछ संकाय सदस्यों ने लगातार सहयोग नहीं किया और प्रोफेसर आनंद कुमार चौधरी के डर और प्रभाव के कारण अनावश्यक उतपन्न किया उतपन्न किया गया और लगातार ये प्रयास किया जा रहा हैं।
  • मेरे विभागाध्यक्ष की जिम्मेदारी संभालने के बाद प्रोफेसर आनंद कुमार चौधरी आयुर्वेद संकाय के डीन प्रोफेसर पी.के. गोस्वामी से मिल कर पी.के. गोस्वामी के पद का दुरुपयोग कर रहे हैं और पद, राजनीति, गुटबाजी और जातिवाद के जरिए शैक्षणिक और प्रशासनिक गतिविधियों में कई तरह की बाधाएं खड़ी कर रहे हैं। डीन अक्सर मुझे नियमों से हटकर विभागीय कर्तव्यों का निर्वहन करने को कहते हैं। अगर मैं उनकी बातों का पालन नहीं करती हूं तो डीन विभागाध्यक्ष यानी मुझे दरकिनार कर अपने पद का इस्तेमाल कर अपनी सुविधानुसार निर्णय ले लेते हैं। डीन पक्षपातपूर्ण तरीके से काम करते हैं, विभागाध्यक्ष को हटाकर विभागीय गतिविधियों में हस्तक्षेप करते हैं और नियमों के दायरे में या बाहर अपनी सुविधानुसार काम करते हैं। (प्रतिलिपि संलग्नक-6 के रूप में)
  • रस शास्त्र और भैषज कल्पना (फार्मास्युटिक्स) विभाग अस्पताल का मुख्य हिस्सा है, निश्चित रूप से फार्मेसी दवाओं की खरीद और आपूर्ति का काम करती है। मेरे साथ अन्याय की सीमा को भली-भांति समझा जा सकता है कि पी.पी.सी. से स्वीकृति मिलने के बाद भी कि फार्मेसी अधीक्षक हमेशा विभागाध्यक्ष ही रहेंगे, मुझे वह जिम्मेदारी आज तक नहीं सौंपी गई। मैं 23-07-24 से लगातार सभी मंचों पर अपना पक्ष रख रही हूं तथा प्रथम महिला फार्मेसी अधीक्षक के रूप में अपनी बारी का इंतजार कर रही हूं।

.आनंद कुमार चौधरी के प्रभाव में डीन प्रो.पी.के.गोस्वामी मुझ पर विश्वविद्यालय के नियमों के विरुद्ध कार्य करने का दबाव बना रहे हैं। जब भी मैं आधिकारिक दस्तावेजों और विश्वविद्यालय के नियमों के बारे में प्रश्न पूछती हूं, तो अधिकांश समय अधिकारी अपनी सुविधा के अनुसार नियमों और विनियमों को बदल रहे हैं और अपने पद का दुरुपयोग करके अपने पक्षधरों को सुविधा प्रदान कर रहे हैं।

इस तरह के अस्वीकार्य दुर्व्यवहार और अहंकारी रवैये के कारण मुझ पर लगातार दबाव बनाया जा रहा है और संघर्ष का मैदान बनाने की कोशिश की जा रही है, जो धीरे-धीरे दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। इस तरह का मुद्दा केवल मेरे साथ ही नहीं है, बल्कि कई अन्य महिला संकाय सदस्य भी इससे पीड़ित हैं। यह दयनीय है कि कई महिला संकाय सदस्यों  द्वारा उच्च अधिकारियों से लेकर कुलपति डेस्क तक को संबोधित करने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई है। मैं आपसे अनुरोध करती हूं कि इस मुद्दे को गंभीरता से लें और मुझे न्याय दिलाएं। महिला संकाय सदस्य होने के नाते, मैं दिन-प्रतिदिन और धीरे-धीरे निराश होती जा रही हूं और साथ ही, मैं अपने सभी रचनात्मक विचारशील कार्यों में भी गिरावट कर रही हूं।

काफी प्रयासों और संघर्षपूर्ण जीवन के साथ अनेक बाधाओं को पार करने के बाद भी शायद एक महिला इस पद तक पहुंचने में सक्षम होती हैं। । लेकिन पुरुष प्रधान वर्ग से इस तरह का लैंगिक भेदभाव और पेशेवर उत्पीड़न कार्यस्थल में परेशानी पैदा करता है जिसके परिणामस्वरूप निम्न गुणवत्ता वाला प्रदर्शन होता है। इसका मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। महिला सशक्तीकरण के बारे में उच्च दृष्टिकोण रखने वाले माननीय प्रधान मंत्री के निर्वाचन क्षेत्र में स्थित बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के लिए यह बहुत ही अपमानजनक है कि बीएचयू वाराणसी महिलाओं के लिए सबसे असुरक्षित और प्रतिकूल कार्यस्थल बन गया है। बार-बार इस मुद्दे को संबोधित करने और आत्म-सम्मान और न्यूनतम अधिकारों के साथ-साथ पेशेवर  सद्भाव की गुहार लगाने के बाद भी उच्च अधिकारियों से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है। इसलिए मैं आपसे अनुरोध करती हूँ कि इस शिकायत पर विचार करें और प्रो. आनंद के. चौधरी (प्रोफेसर, रस शास्त्र और भैषज कल्पना विभाग) और प्रो. पी.के. गोस्वामी (डीन, आयुर्वेद संकाय) विरुद्ध निष्पक्ष जांच कर  न्यायोचित कार्य्रवाही करने की कृपा करें

उम्मीद और आशा के साथ।

प्रो. नम्रता जोशी,

बनारस हिंदू विश्वविद्यालय

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