अलीगढ़ः अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के मनोविज्ञान विभाग द्वारा मोबाइल एडिक्शन पर दो दिवसीय कार्यशाला और प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य छात्रों में मोबाइल फोन पर निर्भरता की बढ़ती समस्या के प्रति जागरूकता बढ़ाना और इसे नियंत्रित करने के लिए उपयोगी सुझाव प्रदान करना है।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एएमयू के पूर्व कार्यवाहक कुलपति प्रो. मोहम्मद गुलरेज ने अपने संबोधन में शिक्षा के महत्व पर जोर देते हुए छात्रों को रचनात्मक विकसित करने की सलाह दी, ताकि उनका व्यक्तिगत विकास हो सके। उन्होंने सोशल मीडिया के प्रभावों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि मोबाइल का संतुलित उपयोग आवश्यक है और खुली चर्चाओं को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि जीवन में संतुलन बनाए रखना और सार्थक लक्ष्यों को तय करना, व्यक्ति की वास्तविक क्षमता को पहचानने की कुंजी है।

मनोविज्ञान विभाग के अध्यक्ष, प्रो. शाह आलम ने भारत में युवाओं के बीच सोशल मीडिया के बढ़ते उपयोग पर आंकड़े प्रस्तुत किए। उन्होंने बताया कि दुनिया भर में लगभग 400 मिलियन लोग सक्रिय रूप से मोबाइल फोन का उपयोग कर रहे हैं। उन्होंने मोबाइल एडिक्शन के कारण सामाजिक और व्यक्तिगत संबंधों पर पड़ने वाले नकारात्मक प्रभावों को रेखांकित किया और ‘नोमोफोबिया’ यानी मोबाइल फोन के बिना रहने के डर की अवधारणा को समझाया। इसके अलावा, उन्होंने साइबरबुलिंग और ऑनलाइन धोखाधड़ी के बढ़ते मामलों पर भी चिंता व्यक्त की, जो मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा हैं।

कार्यक्रम की सह-आयोजक और समरस फाउंडेशन की संस्थापक, कंचन गौड़ ने डिजिटल युग में युवाओं के मानसिक स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों पर प्रकाश डाला। उन्होंने मानसिक स्वास्थ्य सहायता से जुड़े सामाजिक कलंक और स्क्रीन टाइम के बढ़ते दुष्प्रभावों पर चर्चा की। उन्होंने वास्तविक जीवन के उदाहरणों के माध्यम से मोबाइल एडिक्शन के मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ने वाले गंभीर प्रभावों को स्पष्ट किया। उन्होंने छात्रों को स्क्रीन टाइम कम करने और अपने जीवन में लक्ष्य निर्धारण करने की सलाह दी।

कार्यशाला में एक गाइडेड इमेजरी मेडिटेशन सत्र भी आयोजित किया गया, जिसका उद्देश्य छात्रों को रोजमर्रा के तनाव से राहत देना था। कार्यशाला के दूसरे भाग में आत्म-विश्लेषण गतिविधियों के माध्यम से मानसिक स्वास्थ्य के बारे में जागरूकता बढ़ाने और छात्रों को अपनी भावनाओं को बेहतर ढंग से समझने और प्रबंधित करने के तरीके सिखाए गए।

इस कार्यक्रम का संचालन सोसायटी की संयुक्त सचिव, इल्मा फातिमा ने किया, जबकि सोसायटी की सदस्य, अमीना खानम ने प्रो. शाह आलम और कंचन गौड़ को स्मृति चिह्न भेंट किए। कार्यक्रम के अंत में सोसायटी की सचिव, अदीना सुहैल ने धन्यवाद ज्ञापित किया।

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एएमयू के राजनीति विज्ञान विभाग में मानवाधिकारों पर कार्यशाला आयोजित

अलीगढ़, 22 फरवरीः अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के राजनीति विज्ञान विभाग द्वारा राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी), नई दिल्ली के सहयोग से ष्मानवाधिकार पर जागरूकता का विकासरू भविष्य के नेताओं के लिए कार्यशालाष् विषय पर आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला-सह-प्रशिक्षण कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के पुलिस महानिरीक्षक (आईजी) और एएमयू के पूर्व छात्र, अंशुमान यादव (आईपीएस) ने कहा कि बहुसंख्यकवाद और त्वरित न्याय के तरीके, जिनमें फर्जी मुठभेड़ भी शामिल हैं, आपराधिक न्याय प्रणाली और लोकतांत्रिक संस्थाओं की विश्वसनीयता को कमजोर करते हैं।

श्री यादव ने कहा कि मानवाधिकार मूल रूप से समाज के सबसे वंचित वर्गों के प्रति सहानुभूति और मानवीय व्यवहार से जुड़े होते हैं। उन्होंने कहा कि ष्हमारे समाज में पितृसत्ता जैसी कुछ प्रथाएं गहराई से जमी हुई हैं, जो मानवाधिकार उल्लंघनों का कारण बनती हैं। समाज अक्सर अपराधियों को महिमामंडित करता है, अपराधियों पर आधारित फिल्में लोकप्रिय होती हैं, और आपराधिक पृष्ठभूमि वाले लोग हमारे प्रतिनिधि बनते हैं। ऐसी प्रवृत्तियाँ न्याय और संवैधानिक मूल्यों के प्रति उपेक्षा को जन्म देती हैं।ष्

अपने अनुभव साझा करते हुए, उन्होंने नागरिकों से अत्याचार और अन्याय के खिलाफ याचिका दायर करने और विरोध दर्ज कराने की अपील की, ताकि प्रशासन अपनी गलतियों को पहचानकर उन्हें सुधार सके। उन्होंने यह भी बताया कि पुलिस अधिकारियों को कई बार गंभीर नैतिक दुविधाओं का सामना करना पड़ता है और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को भी कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।

कार्यशाला की अध्यक्षता करते हुए एएमयू की कुलपति, प्रो. नईमा खातून ने कहा कि ष्हर व्यक्ति को सम्मानपूर्वक जीवन जीने का अधिकार है और शिक्षक या अधिकारी के रूप में हमारा आचरण कभी भी हमारे अधीनस्थों के लिए अपमानजनक नहीं होना चाहिए।ष् उन्होंने समाज में व्याप्त पितृसत्ता को मानवाधिकारों और लैंगिक समानता के उल्लंघन का एक प्रमुख कारण बताया और कहा कि हमें ऐसे आचरण के प्रति सतर्क रहना चाहिए। कुलपति ने शिक्षण संस्थान में भाषाई गरिमा तथा एक दूसरे को सम्मान देने पर जोर दिया।

उन्होंने विभाग को एक महत्वपूर्ण विषय पर कार्यशाला आयोजित करने और विशेषज्ञों को आमंत्रित करने के लिए बधाई दी।

इससे पूर्व, कार्यक्रम के स्वागत भाषण में राजनीति विज्ञान विभाग के अध्यक्ष, प्रो. एम. नफीस अहमद अंसारी ने मुख्य अतिथि अंशुमान यादव का परिचय कराया। उन्होंने कार्यशाला के विषय पर चर्चा करते हुए कहा कि ष्मानवाधिकार आधुनिक राज्य के संवैधानिक ढांचे का आधार हैं। जब तक लोग अपने अधिकारों को नहीं जानेंगे, वे न तो उनकी रक्षा कर सकते हैं और न ही उनके उल्लंघन होने पर न्याय की मांग कर सकते हैं।ष्

उन्होंने विभिन्न धर्मों के मूल सिद्धांतों का हवाला देते हुए सभी मानव जाति की सेवा और सहानुभूति के महत्व को समझाया। साथ ही, उन्होंने एनएचआरसी के साथ विभाग की दो दशक पुरानी साझेदारी के प्रति आभार व्यक्त किया।

कार्यक्रम का संचालन कार्यशाला की संयोजक, डॉ. नगमा फारूकी ने किया और कार्यशाला की थीम पर प्रकाश डाला, जबकि धन्यवाद ज्ञापन डॉ. आयशा इम्तियाज ने किया।

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एएमयू में वार्षिक पुष्प प्रदर्शनी 2025 का आयोजन 27-28 फरवरी को

अलीगढ़, 22 फरवरीः अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के भूमि और उद्यान विभाग द्वारा 27-28 फरवरी को गुलिस्ताने-सैयद में वार्षिक फ्लावर शो-2025 का आयोजन किया जा रहा है। इस कार्यक्रम में रंग-बिरंगी पुष्प सज्जा, गमले वाले पौधे और कटे फूलों की प्रदर्शनी लगाई जाएगी, जिससे बागवानी की उत्कृष्टता को प्रोत्साहित किया जाएगा।

एएमयू की कुलपति, प्रो. नईमा खातून 27 फरवरी को प्रातः 10रू30 बजे फ्लावर शो का उद्घाटन करेंगी, जबकि कुलसचिव, मोहम्मद इमरान (आईपीएस) और वित्त अधिकारी, प्रो. मोहम्मद मोहसिन खान, विशिष्ट अतिथि होंगे।

भूमि और उद्यान विभाग के सदस्य प्रभारी, प्रो. अनवर शहजाद ने जानकारी दी कि विश्वविद्यालय के संस्थागत एवं निजी उद्यानों का मूल्यांकन 24 और 25 फरवरी को किया जाएगा। गमले वाले पौधों की प्रविष्टियां 26 फरवरी को सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक स्वीकार की जाएंगी, जबकि कटे हुए फूलों की प्रविष्टियां 27 फरवरी को सुबह 7 बजे से पहले कार्यक्रम स्थल पर जमा करनी होंगी।

फ्लावर शो का समापन 28 फरवरी को दोपहर 3 बजे पुरस्कार वितरण समारोह के साथ होगा, जिसमें अलीगढ़ के जिला अधिकारी, श्री संजीव रंजन (आईएएस), मुख्य अतिथि होंगे। जिला वन अधिकारी, श्री नवीन प्रकाश शाक्य (आईएफएस), और एएमयू के परीक्षा नियंत्रक, डॉ. मुजीब उल्लाह जुबैरी, मानद अतिथि होंगे।

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एएमयू के एडल्ट एजुकेशन सेंटर में ष्सर सैयद और उनकी विरासतष् पर व्याख्यान

अलीगढ़, 22 फरवरीः अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के सतत और वयस्क शिक्षा एवं विस्तार केंद्र (सीसीएईई) द्वारा ष्सर सैयद और उनकी विरासतष् विषय पर एक व्याख्यान आयोजित किया गया, जिसे उर्दू विभाग के प्रोफेसर मोहम्मद अली जौहर ने प्रस्तुत किया।

प्रो. जौहर ने सर सैयद अहमद खान की आधुनिक शिक्षा को राष्ट्रीय प्रगति के लिए उनके योगदान पर प्रकाश डाला। उन्होंने मदरसतुल उलूम की स्थापना में सर सैयद की भूमिका को रेखांकित किया, जो बाद में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के रूप में परिवर्तित हुआ और अनेक विद्वानों व नेताओं की पीढ़ियों को दिशा प्रदान की। उन्होंने अलीगढ़ इंस्टीट्यूट गजट और तहजीबुल अख़लाक के माध्यम से सामाजिक सुधार में सर सैयद के योगदान तथा मदरसों के पाठ्यक्रम को आधुनिक बनाने के उनके प्रयासों पर भी चर्चा की।

सीसीएईई के निदेशक, डॉ. शमीम अख्तर ने धन्यवाद ज्ञापित करते हुए शिक्षार्थियों को सर सैयद के मूल्यों को अपनाने और एक प्रबुद्ध एवं प्रगतिशील समाज के निर्माण में योगदान देने का आह्वान किया।

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एएमयू आउटरीच प्रोग्रामरू वंचित समुदाय के लिए डेंटल हेल्थ कैंप आयोजित

अलीगढ़, 22 फरवरीरू अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के डॉ. जियाउद्दीन अहमद डेंटल कॉलेज के पेरियोडोंटिया और सामुदायिक दंत चिकित्सा विभाग द्वारा विंग्स ऑफ डिजायर एनजीओ और उमंग फाउंडेशन के सहयोग से समाज की कमजोर वर्ग की बालिकाओं के लिए एक डेंटल हेल्थ कैंप आयोजित किया गया। इस पहल का उद्देश्य उनके आवश्यक दंत चिकित्सा सेवाएं प्रदान करना और मुख स्वच्छता के प्रति जागरूकता बढ़ाना था।

यह शिविर डॉ. जियाउद्दीन अहमद डेंटल कॉलेज के प्राचार्य, प्रो. आर. के. तिवारी के मार्गदर्शन में आयोजित किया गया। सामाजिक कार्य विभाग के स्वयंसेवकों ने इस आउटरीच गतिविधि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

विभागाध्यक्ष प्रो. नेहा अग्रवाल के नेतृत्व में डॉक्टरों की एक समर्पित टीम, जिसमें डॉ. सैयद अमान अली, इंटर्न और डेंटल हाइजीनिस्ट शामिल थे, ने लगभग 80 लोगों के दांतों की जांच की। कई मरीजों में खराब मुख स्वच्छता और दंत क्षय तथा मसूड़ों की बीमारियों जैसी आम समस्याएं पाई गईं। बेहतर दंत स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए प्रतिभागियों को मुफ्त टूथपेस्ट और व्यक्तिगत मौखिक स्वच्छता निर्देश दिए गए।

जिन मरीजों को आगे के उपचार की आवश्यकता थी, उन्हें डॉ. जियाउद्दीन अहमद डेंटल कॉलेज में प्राथमिकता के आधार पर रेफर किया गया ताकि वे आवश्यक इलाज प्राप्त कर सकें। प्रो. नेहा अग्रवाल ने नियमित दंत जांच और उचित मुख स्वच्छता प्रथाओं के महत्व को रेखांकित करते हुए, सामुदायिक सेवा और स्वास्थ्य सेवा की पहुंच बढ़ाने की प्रतिबद्धता दोहराई।

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कैंसर अनुसंधान पर दो दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन

अलीगढ़, 22 फरवरीः भारत में कैंसर एक जटिल और तेजी से बढ़ती चुनौती है, जिसे बहुआयामी दृष्टिकोण से हल करने की आवश्यकता है। इसी विचारधारा को केंद्र में रखते हुए, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) में ‘डिफीटिंग कैंसर थ्रू कोलैबोरेशनः एस्टब्लिशिंग कैंसर नैनोमेडिसिन कंसोर्टियम’ शीर्षक से दो दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में उद्योग, सरकारी, चिकित्सा और शैक्षणिक संस्थानों के विशेषज्ञों ने हिस्सा लिया, जिसका उद्देश्य इंडस्ट्री-एकेडेमिया-हॉस्पिटल के बीच सहयोग को मजबूत करना था।

उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए एएमयू की कुलपति, प्रो. नायमा खातून, जो इस आयोजन की मुख्य संरक्षक थीं, ने इस पहल की सराहना की और कहा कि नैनोमेडिसिन लक्षित उपचार, जैव उपलब्धता और कम विषाक्तता के कारण कैंसर उपचार के क्षेत्र में एक उभरता हुआ विकल्प है।

कार्यक्रम की मुख्य अतिथि प्रो. बुशरा अतीक (आईआईटी-कानपुर) ने इस अद्वितीय कंसोर्टियम के गठन की सराहना करते हुए कहा कि कैंसर एक ऐसा रोग है जो कई कारणों से होता है और जिसे विभिन्न विषयों के समावेश से ही प्रभावी ढंग से नियंत्रित किया जा सकता है। उन्होंने कैंसर अनुसंधान को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर बल दिया, ताकि भारत में कैंसर से होने वाली मृत्यु दर को कम किया जा सके।

संगोष्ठी के संयोजक, डॉ. मोहम्मद अजहर अजीज ने कहा कि यह कंसोर्टियम केवल एक अकादमिक पहल नहीं, बल्कि कैंसर निदान, उपचार और रोकथाम के लिए नवीन समाधान विकसित करने की दिशा में हमारी प्रतिबद्धता का घोतक है। डॉ. अजीज कैंसर नैनोमेडिसिन कंसोर्टियम के संस्थापक-निदेशक हैं, जिसमें वर्तमान में एएमयू के तीन संकायों और सात विभागों के विशेषज्ञ शामिल हैं।

उद्योग जगत से डॉ. मोहम्मद जैनुद्दीन (जुबिलेंट थेरेप्यूटिक्स) ने अकादमिक अनुसंधान को तेजी से व्यावसायीकरण की ओर ले जाने की जरूरत पर जोर दिया। वहीं, डॉ. पूनम यादव (विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग, नई दिल्ली) ने फंडिंग प्रक्रिया के बारे में जानकारी दी और विश्वविद्यालय को अधिक अनुसंधान परियोजनाओं के प्रस्ताव प्रस्तुत करने के लिए प्रेरित किया।

क्लिनिकल क्षेत्र से जुड़े प्रो. ऋतु कुलश्रेष्ठ (पटेल चेस्ट इंस्टीट्यूट), डॉ. ऋषिकेश झा (अपोलो हॉस्पिटल) और प्रो. अफजल अनीस (जेएनएमसी, एएमयू) ने प्रारंभिक पहचान, जीवनशैली में बदलाव और अनुसंधान को चिकित्सा पद्धति में एकीकृत करने की आवश्यकता पर जोर दिया। इसके अलावा, डॉ. मोहन जोशी (जामिया मिलिया), प्रो. फर्रूख अरजुमंद (एएमयू) और डॉ. कौसर एम. अंसारी (आईआईटी-आर, लखनऊ) ने कैंसर उपचार में स्वदेशी अनुसंधान की भूमिका को महत्वपूर्ण बताया।

कैंसर नैनोमेडिसिन कंसोर्टियम के प्रमुख सदस्य प्रो. अफजाल अनीस (सर्जरी), प्रो. मोहम्मद अकरम (रेडियोथेरेपी), प्रो. मोहम्मद जसीम हसन (पैथोलॉजी), प्रो. राशिद अली (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस), प्रो. हमीद अशरफ (एंडोक्राइनोलॉजी), डॉ. हिफ्जुर आर. सिद्दीकी (जूलॉजी) और संस्थापक-निदेशक डॉ. मोहम्मद अजहर अजीज (नैनोटेक्नोलॉजी) हैं।

इस संगोष्ठी में विभिन्न संस्थानों से आए शोधकर्ताओं ने मौखिक और पोस्टर प्रस्तुतियों में भाग लिया। मिस मरयम खुर्शीद (आईआईटी-दिल्ली) को सर्वश्रेष्ठ मौखिक प्रस्तुति पुरस्कार मिला, जबकि सैयद मोहम्मद हसन आबिदी को सांत्वना पुरस्कार प्रदान किया गया। उमरा अर्शद (एएमयू, केमिस्ट्री) ने सर्वश्रेष्ठ पोस्टर पुरस्कार जीता, जबकि डॉ. नाउरीन रिजवी (जेएनएमसी, एएमयू) को सांत्वना पुरस्कार दिया गया।

यह संगोष्ठी कैंसर अनुसंधान में बहुआयामी सहयोग को प्रोत्साहित करने और भविष्य में इस दिशा में नए आयाम स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुई।

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मसूद अली बेग एएमयू के भाषा विाान विभाग के अध्यक्ष नियुक्त

अलीगढ़, 22 फरवरीः अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के भाषा विज्ञान विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर मसूद अली बेग को विभाग का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। वे इस पद पर अपनी सेवानिवृत्ति कि तारिख 16 अक्टूबर 2027 तक कार्यरत रहेंगे।

मसूद अली बेग को शिक्षण और शोध में लगभग तीन दशकों का व्यापक अनुभव है। उन्होंने भाषा विज्ञान के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है, उन्होंने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सेमिनारों, सम्मेलनों और कार्यशालाओं में सक्रिय रूप से भाग लिया है। इसके अलावा, उन्होंने उर्दू साहित्य में भी उल्लेखनीय योगदान दिया है।

मसूद अली बेग सैद्धांतिक भाषाविज्ञान, भाषा विविधता और साहित्य में विशेषज्ञता रखते हैं। उनके नेतृत्व में विभाग के शैक्षणिक और शोध कार्यों को और मजबूती मिलने की उम्मीद है।

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एएमयू के दो हालों में नए प्रोवोस्ट की नियुक्ति

अलीगढ़, 22 फरवरीः अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के दो हालों बीबी फात्मा हाल और सर सेयद हाल (साउथ) के लिए नए प्रोवोस्टों की नियुक्ति की गई है। तत्काल प्रभाव से प्रभावी हो गई है।

जाकिर हुसैन कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी के आर्किटेक्चर विभाग की प्रोफेसर शरमिन खान को बीबी फातिमा हॉल का प्रोवोस्ट बनाया गया है, जबकि अजमल खान तिब्बिया कॉलेज के इल्मुल अदविया विभाग के डॉ. अब्दुर रऊफ को सर सैयद हॉल (साउथ) का प्रोवोस्ट नियुक्त किया गया है।

दोनों प्रोवोस्टों का कार्यकाल दो वर्षों के लिए या अगले आदेश तक रहेगा।

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अंग्रेजी विभाग द्वारा ‘आधुनिक ब्रिटिश गद्य और कथा साहित्य में नवीन प्रवृत्तियाँ’ विषय पर विश्वविद्यालय विस्तार व्याख्यान का आयोजन

अलीगढ़ 22 फरवरीः अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के अंग्रेजी विभाग द्वारा ‘आधुनिक ब्रिटिश गद्य और कथा साहित्य में नवीन प्रवृत्तियाँ’ विषय पर कला संकाय लॉन्ज में एक विश्वविद्यालय विस्तार व्याख्यान का आयोजन किया गया। यह व्याख्यान यूनाइटेड किंगडम के एक्सेटर विश्वविद्यालय के अंग्रेजी विभाग के मानद प्रोफेसर एवं सृजनात्मक लेखन विशेषज्ञ प्रोफेसर सैम नॉर्थ द्वारा प्रस्तुत किया गया।

अपने व्याख्यान में प्रोफेसर नॉर्थ ने समकालीन ब्रिटिश कथा साहित्य में विविधता, समावेशिता और नवाचार की प्रवृत्तियों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह साहित्य अब किसी एक सांस्कृतिक दृष्टिकोण तक सीमित नहीं है, बल्कि प्रवासी, हाशिए पर रहे तथा उपेक्षित समुदायों की आवाजों से समृद्ध हो रहा है। उन्होंने बर्नार्डिन एवेरिस्टो, कमिला शम्सी और कालेब अजुमा नेल्सन जैसे लेखकों के योगदान को रेखांकित करते हुए बताया कि समकालीन ब्रिटिश साहित्य अब केवल प्रतिनिधित्व तक सीमित नहीं है, बल्कि ब्रिटिश पहचान को वैश्विक परिप्रेक्ष्य में पुनःपरिभाषित करने का माध्यम बन रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि आधुनिक ब्रिटिश उपन्यास अब पारंपरिक सीमाओं से मुक्त होकर एक निरंतर संवाद का रूप ले चुका है, जो साहित्यिक नवाचार और सामाजिक चेतना को दर्शाता है।

कला संकाय की कार्यवाहक अधिष्ठाता प्रोफेसर समी अख्तर ने अपने अध्यक्षीय संबोधन में इस व्याख्यान के आयोजन के लिए अंग्रेजी विभाग की सराहना की और इसे समकालीन साहित्यिक प्रवृत्तियों की गहन समझ विकसित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल बताया। उन्होंने विभागाध्यक्ष प्रोफेसर शाहिना तरन्नुम के नेतृत्व की सराहना करते हुए कहा कि इस तरह के विमर्श अकादमिक जगत में नवाचार और आलोचनात्मक दृष्टिकोण को प्रोत्साहित करते हैं।

कार्यक्रम की शुरुआत में अंग्रेजी विभाग की अध्यक्ष प्रोफेसर शाहिना तरन्नुम ने अतिथि वक्त का स्वागत किया। उन्होंने विशेष रूप से विभाग की समृद्ध विरासत और समग्र रूप से विश्वविद्यालय की गौरवशाली परंपरा पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि 1877 में सर सैयद अहमद खान के नेतृत्व में मोहम्मडन एंग्लो-ओरिएंटल कॉलेज की स्थापना भारतीय उपमहाद्वीप में अंग्रेजी शिक्षा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण मोड़ था। उनके पुत्र, न्यायमूर्ति सैयद महमूद ने भी इस विरासत को और आगे बढ़ाया।

अलीगढ़ में अंग्रेजी शिक्षा, 1875 में मदरसा-तुल-उलूम की स्थापना से लेकर 1920 में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के रूप में इसके विकास तक, सर सैयद की दृष्टि का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनी रही। ऑक्सफोर्ड और कैंब्रिज के विद्वानों, जिनमें सर वॉल्टर रैले (जो बाद में ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में अंग्रेजी साहित्य के पहले अध्यक्ष बने), सर थियोडोर मॉरिसन, एफ. जे. फील्डन, हैडो हैरिस, फायरब्रेस और ई. सी. डिकिंसन शामिल थे, ने एएमयू के अंग्रेजी विभाग से जुड़कर इसका विस्तार किया।

सत्र का संचालन डॉ. सिद्धार्थ चक्रवर्ती ने किया, जबकि विभाग के सहायक प्रोफेसर मोहम्मद दानिश इकबाल ने धन्यवाद ज्ञापित किया। इस अवसर पर शिक्षकों और छात्रों की बड़ी संख्या में उपस्थिति रही।