सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की संघी सोच को परवान चढ़ाने में लगे हैं मौकापरस्त-अनपढ़ कलमघसीट
By hamaramorcha|2024-11-20T10:01:20+00:00November 20, 2024|Categories: साहित्य|
हिन्दी राष्ट्रवादी कविता और सांस्कृतिक चेतना पर विचार-विमर्श संगोष्ठी वाराणसीः 'हिन्दी राष्ट्रवादी कवियों की साहित्यिक-सामाजिक विरासत: सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के सन्दर्भ में' विषयक संगोष्ठी के दूसरे दिन के प्रतिभागी सत्र की अध्यक्षता [...]
संघी टोले के प्रोग्राम में खूब जँच रहे हैं BHU के हिंदी विभागाध्यक्ष अनूप वशिष्ठ, जागा हुआ है अंदर का दुबे
By hamaramorcha|2024-11-19T13:59:00+00:00November 19, 2024|Categories: साहित्य|
'हिन्दी राष्ट्रवादी कवियों की साहित्यिक-सामाजिक विरासत: सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के सन्दर्भ में' विषयक राष्ट्रीय संगोष्ठी का उद्घाटन ' हिन्दी विभाग , काशी हिन्दू विश्वविद्यालय और भारतीय सामाजिक अनुसंधान परिषद् , नई [...]
असाधारण शब्द-शिल्पी और माक्सिम गोर्की जितनी मानव प्रेमी प्रियंवदा पाण्डेय की कविता
By hamaramorcha|2024-11-16T15:31:55+00:00November 16, 2024|Categories: साहित्य|
बहुत छोटी-सी जगह घेरकर बैठती हूँ मैं। इतनी कि बित्ते से मापी जा सके । छः गुणे छः के तख़्त का एक भाग भी नहीं भर सकती अपने होने से। [...]
डॉ. ऋचा आर्या ने ‘ए.आई. ड्राइवेन रिफ्रेसिंग: मेन्डले एण्ड मॉडर्न टूल‘ विषय रखी अपनी बात
By hamaramorcha|2024-11-08T14:16:09+00:00November 8, 2024|Categories: साहित्य|
वाराणसीः महिला महाविद्यालय, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी के सेमिनार हॉल, साइन्स कॉम्पलेक्स के सभागार में पुस्तकालय, महिला महाविद्यालय द्वारा आयोजित द्विदिवसीय शोध कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला का विषय [...]
अलका प्रकाश की कविताः मैंने विरासत में अपने पिता की सूरत पायी है
By hamaramorcha|2024-10-23T14:45:46+00:00October 23, 2024|Categories: साहित्य|
मैंने विरासत में अपने पिता की सूरत पायी है प्रकृति करती है न्याय स्वयं की तरफ़ से जिधर देखती अन्याय! बहने वैसे ही जन्मतीं हैं जैसे भाई पर लखिया बाबुल [...]
प्रेम करना इतना कठिन कभी नहीं था
By hamaramorcha|2024-10-14T12:51:16+00:00October 14, 2024|Categories: साहित्य|
कितना कुछ था जिसे पीछे छोड़ देना चाहती थी तुम्हारी यादों को जो रातों को सोने नहीं देती तुम्हारा स्पर्श जो अभी तक पीठ सहलाती है तुम्हारी छाती का स्वाद [...]
भाषा की बंदी: एक दिन आधी रात को उन्होंने भाषा पर पाबंदी लगा दी
By hamaramorcha|2024-09-27T02:14:56+00:00September 27, 2024|Categories: साहित्य|
भाषा की बंदी एक दिन आधी रात को उन्होंने भाषा पर पाबंदी लगा दी घोषणा हुई आज से सब की एक ही भाषा होगी पुरानी भाषा को डाकघर से बदल [...]
हम सबको एकजुट होकर देश में स्वच्छता के भाव को जगाना हैः डॉ. प्रियंका सोनकर
By hamaramorcha|2024-09-26T13:00:41+00:00September 26, 2024|Categories: साहित्य|
स्वच्छता से अच्छा स्वास्थ्य और आर्थिक व्यवस्था सुदृढ़ होती है- डॉ. वैभव जायसवाल वाराणसीः राष्ट्रीय सेवा योजना के स्थापना दिवस के 55 वर्ष पूरे होने पर एनएसएस इकाई 002C, कला [...]
“हिंदी ग़ज़ल के परिप्रेक्ष्य में ग़ज़लों का बेहतरीन मूल्यांकन”
By hamaramorcha|2024-09-25T04:19:23+00:00September 24, 2024|Categories: साहित्य|
वाराणसीः बीएचयू के हिंदी विभाग के आचार्य रामचंद्र शुक्ल सभागार में प्रसिद्ध ग़ज़लकार और समालोचक प्रो. वशिष्ठ अनूप की आलोचना कृति 'हिंदी ग़ज़ल का परिप्रेक्ष्य' का लोकार्पण और परिचर्चा हुई, जिसकी [...]
परंपरा की पुनर्नवता की कविताएं हैं ‘रेत में आकृतियां’: प्रो वशिष्ठ अनूप
By hamaramorcha|2024-09-23T13:28:24+00:00September 23, 2024|Categories: साहित्य|
वाराणसीः सुप्रसिद्ध कवि श्रीप्रकाश शुक्ल के काव्य संग्रह 'रेत में आकृतियाँ' के पेपरबैक संस्करण का लोकार्पण हिंदी विभाग के आचार्य रामचंद्र शुक्ल सभागार में किया गया। इस संग्रह का प्रकाशन [...]