वाराणसी, भारत – बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय में किए गए एक अभूतपूर्व अध्ययन में शोधकर्ताओं ने जन्मजात दंत अनुत्पत्ति से जुड़े विशिष्ट माइक्रोआरएनए (miRNAs) की पहचान की है। यह स्थिति जन्म से ही एक या अधिक दांतों के अनुपस्थित होने की विशेषता है। यह अध्ययन, पीएचडी शोधार्थी प्रशांत रंजन और चंद्रा देवी द्वारा उनके पर्यवेक्षक प्रो. परिमल दास के मार्गदर्शन में, तथा आईएमएस, BHU के दंत चिकित्सा, मौखिक शल्य चिकित्सा और चिकित्सा विभाग के डॉ. नेहा वर्मा, Prof डॉ. राजेश बंसल और Prof. डॉ. विनय कुमार श्रीवास्तव के सहयोग से किया गया है। इसमें इस दंत विकृति के अंतर्निहित नियामक तंत्र को समझने के लिए multi-omics तकनीक का उपयोग किया गया है। 

शोध टीम ने साहित्य समीक्षा और बायोइनफॉरमैटिक्स विश्लेषण के माध्यम से दंत रोगों, कैंसर और हड्डी विकास से जुड़े 58 miRNAs की पहचान की। इनमें से 8 miRNAs को उनके सामान्य लक्ष्य जीन और मजबूत संबंध के आधार पर चुना गया। स्टेम-लूप RT-PCR तकनीक द्वारा जन्मजात दंत अनुत्पत्ति रोगियों और स्वस्थ व्यक्तियों के रक्त नमूनों का विश्लेषण करने पर चार miRNAs—hsa-miR-218-5p, hsa-miR-15b-5p, hsa-miR-200b-3p, और hsa-let-7a-3p—को जन्मजात दंत अनुत्पत्ति रोगियों में महत्वपूर्ण रूप से अलग व्यक्त पाया गया। इनमें से hsa-miR-218-5p और hsa-let-7a-3p पहली बार जन्मजात दंत अनुत्पत्ति या दंत विकास से जुड़े बताए गए हैं। 

निष्कर्षों को सत्यापित करने के लिए, टीम ने miRNA डेटा को व्होल एक्सोम सीक्वेंसिंग , जीन एक्सप्रेशन पैनल और मेटाबोलोमिक प्रोफाइलिंग के साथ एकीकृत किया। इस बहु-ओमिक्स दृष्टिकोण ने इन miRNAs की महत्वपूर्ण जैविक पथों (जैसे Wnt सिग्नलिंग, FGF सिग्नलिंग और PI3 काइनेज मार्ग) में भूमिका की पुष्टि की, जो कोशिका विभाजन, विशेषीकरण और ऊतक विकास के लिए आवश्यक हैं। 

इस अध्ययन की सबसे बड़ी विशेषता दंत ऊतकों के बजाय रक्त नमूनों का उपयोग है, जो जन्मजात दंत अनुत्पत्ति की समय पर पहचान, चिकित्सीय लक्ष्यीकरण और व्यक्तिगत देखभाल को सुलभ बनाता है। प्रो. परिमल दास ने बताया, यह शोध केवल जन्मजात दंत अनुत्पत्ति के आणविक तंत्र को उजागर करता है, बल्कि नैदानिक और उपचारात्मक रणनीतियों के लिए नए द्वार खोलता है। बहुओमिक्स डेटा का एकीकरण इसमें महत्वपूर्ण रहा। 

Understanding the Role of MicroRNAs in Congenital Tooth Agenesis: A Multi-Omics Integration शीर्षक वाला यह अध्ययन जर्नल of बायोकेमिकल जेनेटिक्स (स्प्रिंगर) में प्रकाशित हुआ है। यह शोध दंत आनुवंशिकी में एक मील का पत्थर है और भविष्य में दंत विकृतियों के प्रबंधन को बदल सकता है।