अश्वगंधा से जुड़ें, रसायनों से नाता तोड़ें

अश्वगंधा मिसन: आयुष मंत्रालय के अंतर्गत विद्यालय में अश्वगंधा जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन

वाराणसी, दिनांक 28.02.2025 – कंपोजिट विद्यालय, छित्तुपुर में अश्वगंधा जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें छात्रों एवं शिक्षको को अश्वगंधा के औषधीय जड़ी-बूटी के लाभों के बारे में जागरूक किया गया एवं अश्वगंधा के पौधों का वितरण किया गया। अश्वगंधा को आयुर्वेद में मानसिक तनाव कम करने, रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने और संज्ञानात्मक शक्ति सुधारने के लिए जाना जाता है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य छात्रों को पारंपरिक औषधीय पौधों के महत्व से अवगत कराना था।

इस कार्यक्रम के अंतर्गत दिनांक 19.02.2025 को निबंध एवं चित्रकला प्रतियोगिता भी आयोजित की गई, जिसमें छात्रों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। निबंध प्रतियोगिता में छात्रों ने अश्वगंधा के वैज्ञानिक और पारंपरिक उपयोगों पर प्रकाश डाला, जबकि चित्रकला प्रतियोगिता में उन्होंने इसकी उपयोगिता को रचनात्मक रूप से प्रस्तुत किया।

मुख्य अतिथि डॉ. रोहित शर्मा, रस शास्त्र विभाग, आयुर्वेद संकाय, काशी हिंदू विश्वविद्यालय, एवं प्रमुख अन्वेषक डॉ. सतीश कुमार वर्मा, एवं सह-प्रधान अन्वेषक डॉ.अभिषेक कुमार द्विवेदी, वनस्पति विज्ञान विभाग, काशी हिंदू विश्वविद्यालय एवं उनकी टीम (गोवर्धन, पूजा शुक्ला, पूजा चौरसिया, दीपक, अमित एवं शिवांगी) उपस्थित रहे एवं इस कार्यक्रम की शोभा बढ़ायी । इस अवसर पर बोलते हुए मुख्य अतिथि कहा, अश्वगंधा, आयुर्वेद का प्राचीन उपहार है, जो शरीर और मन दोनों का पोषण करता है। इसके लाभों को समझकर, हम आने वाली पीढ़ियों को प्राकृतिक स्वास्थ्य और समग्र कल्याण अपनाने के लिए प्रेरित कर सकते हैं। इस पहल को छात्रों, शिक्षकों और अभिभावकों ने सराहा और इसे स्वास्थ्य एवं शिक्षा का बेहतरीन समन्वय बताया।

यह परियोजना कार्यक्रम राष्ट्रीय औषधीय पादप बोर्ड, आयुष मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा वित्त पोषित है। डॉ. सतीश कुमार वर्मा एवं डॉ.अभिषेक कुमार द्विवेदी वनस्पति विज्ञान विभाग, काशी हिंदू विश्वविद्यालय के सहयोग से कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसका उद्देश्य युवाओं, छात्रो, किसानो  में अश्वगंधा के पारंपरिक औषधीय के  ज्ञान के बारे में जागरूकता को बढ़ावा देना है। 

अभियान की मुख्य गतिविधियां

•      जागरूकता कार्यक्रम

•      अश्वगंधा के पौधों का नि:शुल्क वितरण

•      विशेषज्ञ मार्गदर्शन

•      पर्यावरण और स्वास्थ्य लाभों पर चर्चा

कार्यक्रम का लाभ

•         प्राकृतिक उपचारों के लिए प्रेरणा

•         स्थानीय अश्वगंधा खेती को प्रोत्साहन

•         पर्यावरण संरक्षण में योगदान

•          स्वास्थ्य व आत्मनिर्भरता को प्रोत्साहन

अश्वगंधा क्या है?

•      अश्वगंधा एक द्विबीजपत्री सोलेनेसी कुल का पौधा है।

•       ये अत्यधिक शाखित, सदाबहार, झाड़ीनुमा और 1.25 मीटर ऊँचा पौधे होते हैं।

•       पत्तियाँ रोमयुक्त, तथा अण्डाकार होती हैं।

•      फूल हरे, पीले तथा छोटे एंव पाँच के समूह में लगे हुए होते हैं। इसका फल पकने पर लाल होते हैं I

अश्वगंधा कैसे उगाएं?

•      बीज का अंकुरण 10-14 दिन में हो जाता है।

•      उपयुक्त जल निकासी वाली मिट्टी अच्छी होती है।

•      यह सूखी और कम उपजाऊ मिट्टी में भी आसानी से उग सकता है।

अश्वगंधा के मुख्य रासायनिक घटक

•      एल्कलॉइड: मानसिक तनाव कम करने, ऊर्जा बढ़ाने और प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करता है।

•      स्टेरॉयडल लैक्टोन: हार्मोन के संतुलन और शारीरिक व मानसिक सहनशक्ति को बढाता है।

•      सैपोनिन्स: एंटीऑक्सीडेंट के रूप में, सूजन कम करने और हृदय स्वास्थ्य में उपयोगी।

अश्वगंधा क्यों चुनें?

•      तनाव राहत में भूमिका: कोर्टिसोल स्तर को कम करता है, अतः तनाव और चिंता कम करने में सहायक है।

•      इम्यूनिटी में भूमिका: सफेद रक्त कोशिकाओं की कार्यक्षमता में सुधार करता है।

•      समग्र स्वास्थ्य में भूमिका: याददाश्त, एकाग्रता, ऊर्जा, सहनशक्ति, मांसपेशियों की ताकत में सुधार करता है, रक्तचाप को नियंत्रित करता है, कोलेस्ट्रॉल स्तर को कम करता है, हृदय रोगों को रोकता है, पुरुषों और महिलाओं में प्रजनन क्षमता बढ़ाने में मदद करता है। शुक्राणु की गुणवत्ता और संख्या में सुधार करता है।

•      हार्मोनल संतुलन के नियमन में भूमिका: हार्मोनल असंतुलनों के सुधार में मदद करता है।

•      नींद में भूमिका: अनिद्रा और अस्वस्थ नींद की समस्या को समाप्त करके अच्छी नींद प्रदान करता है।

•      मधुमेह में भूमिका: रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करता है और इंसुलिन संवेदनशीलता को बढ़ाता है।

पाचन तंत्र में भूमिका: पाचन, अम्लता और कब्ज जैसी पेट की समस्याओं को ठीक करने में मदद करता है

·         कैंसर रोकने में भूमिका: शरीर में कैंसर कोशिकाओं की वृद्धि को रोकता है।

·         प्रजनन स्वास्थ्य में सुधार: पुरुषों और महिलाओं दोनों में प्रजनन क्षमता को बढ़ाने में मददगार है। शुक्राणुओं की गुणवत्ता और संख्या में सुधार करता है।

·         पाचन तंत्र के लिए लाभकारी: पेट की समस्याओं जैसे अपच