चंडीगढ़ः ग्रेजुएट इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च (PGIMER) में 22 फरवरी 2025 को “समग्र चिकित्सा: विज्ञान और समग्र उपचार के बीच सेतु” विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का सफल आयोजन किया गया। इस कार्यशाला का आयोजन डॉ. प्रमोद के. अवटी (अतिरिक्त प्रोफेसर, जैव भौतिकी विभाग) और डॉ. कृष्ण कुमार (सहायक प्रोफेसर, मनोचिकित्सा विभाग, PGIMER) द्वारा किया गया। कार्यशाला के अध्यक्ष डॉ. अक्षय आनंद (प्रोफेसर, CCRYN-सहयोगी केंद्र, PGIMER) और डॉ. राघवेन्द्र राव (CCRYN निदेशक, आयुष मंत्रालय, नई दिल्ली) थे। कार्यशाला का शुभारंभ योग केंद्र, PGIMER के प्रशिक्षकों द्वारा एक संगीतमय योग प्रस्तुति के साथ हुआ।


इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ. बी. एन. गंगाधर (NMC अध्यक्ष, एमेरिटस प्रोफेसर, NIMHANS बेंगलुरु, एवं पूर्व निदेशक, NIMHANS) थे। साथ ही, विशिष्ट अतिथियों में PGIMER के निदेशक डॉ. विवेक लाल और डॉ. राघवेन्द्र राव उपस्थित रहे। कार्यशाला में बोलते हुए डॉ. अक्षय आनंद ने कहा, “हम केवल शोध ही नहीं बल्कि सेवा प्रदान करने के लिए भी प्रेरित हैं, और इस वर्ष योग केंद्र योग कार्यक्रमों की गुणवत्ता पर विशेष ध्यान दे रहा है।” डॉ. विवेक लाल ने समग्र चिकित्सा अपनाने की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा, “समग्र चिकित्सा का अर्थ है समन्वय और सामंजस्य। हमें अपनी प्राचीन पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों को वैज्ञानिक प्रमाणों के साथ प्रस्तुत करना होगा।”
मुख्य अतिथि डॉ. बी. एन. गंगाधर ने कहा, “विभिन्न पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों को एक साथ लाना चुनौतीपूर्ण है, लेकिन आने वाले दिनों में समग्र चिकित्सा के सकारात्मक प्रभाव स्पष्ट रूप से दिखने लगेंगे।” कार्यशाला में चार महत्वपूर्ण पुस्तकों का विमोचन किया गया: न्यूरोसाइंस ऑफ योगा, वृद्धावस्था में कमर दर्द के लिए योगासन, नेचर बियॉन्ड नेचर, और क्लिनिकल ट्रायल्स में पद्धति और विवाद। इन पुस्तकों में योग और चिकित्सा के वैज्ञानिक आधार को दर्शाया गया है।
इस कार्यशाला में 100 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया। विभिन्न विशेषज्ञों ने समग्र चिकित्सा के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला। डॉ. राघवेन्द्र राव ने कहा कि समग्र चिकित्सा का उद्देश्य रोगियों के उपचार, दर्द प्रबंधन, तनाव में कमी और जीवन की गुणवत्ता सुधारना होना चाहिए। डॉ. ईश्वर बसवरड्डी (निदेशक, सेंटर ऑफ योगा, MMG यूनिवर्सिटी, जयपुर) ने बताया कि कैसे योग समग्र चिकित्सा में सहायक हो सकता है। स्वामी त्यागराज सरस्वती (बिहार स्कूल ऑफ योगा) ने कहा, “योग हमारे भीतर उपचार की शक्ति को जागृत करता है।”
विशेषज्ञ वक्ताओं में डॉ. पी. एन. रविंद्र (NIMHANS), डॉ. भरत कृष्ण खुंटिया (AIIMS, दिल्ली), डॉ. सदाशिवन पिल्लई (PNB वेस्पर लाइफसाइंसेस, कोच्चि), और डॉ. संजय फड़के (न्यूरोसाइकेट्रिस्ट, दीनानाथ मंगेशकर अस्पताल, पुणे) शामिल रहे। उन्होंने समग्र चिकित्सा में अनुसंधान और गुणवत्ता सुनिश्चित करने पर जोर दिया।
कार्यशाला में “योग सहायक चिकित्सा के रूप में” विषय पर एक पैनल चर्चा आयोजित की गई, जिसमें तीन केस स्टडी प्रस्तुत की गईं। डॉ. रमा (एंडोलॉजी विभाग) ने पीसीओडी पर योग के प्रभाव, डॉ. नीलम (कार्डियोलॉजी विभाग) ने PCI के बाद योग के प्रभाव और डॉ. अतुल (टेलीमेडिसिन विभाग) ने केंद्रीय सिरस कोरियोरेटिनोपैथी पर योग के प्रभाव पर चर्चा की।
अंत में, डॉ. अरुणा राखा (एसोसिएट प्रोफेसर, ट्रांसलेशनल एवं पुनर्जनन चिकित्सा विभाग, PGIMER) ने धन्यवाद ज्ञापन किया। उन्होंने सफल आयोजन के लिए योग केंद्र की टीम की सराहना की।
PGIMER का CCRYN योग केंद्र नियमित रूप से स्वास्थ्यकर्मियों और रोगियों के लिए वैज्ञानिक प्रमाण आधारित योग सत्र आयोजित करता है। यह केंद्र कई शोध परियोजनाओं और क्लिनिकल ट्रायल्स में संलग्न है और रोगियों तथा देखभालकर्ताओं के लिए निःशुल्क योग सत्र भी उपलब्ध कराता है। हाल ही में, स्वास्थ्य मंत्रालय ने प्रमुख उच्च शिक्षा संस्थानों में छात्र कल्याण कार्यक्रम के तहत योग को शामिल करने की योजना पर रुचि दिखाई है।