चंडीगढ़, 22 फरवरी 2025 – पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च (PGIMER), चंडीगढ़ और गट माइक्रोबायोटा एवं प्रोबायोटिक साइंस फाउंडेशन (इंडिया) के तत्वावधान में आयोजित “गट माइक्रोबायोटा और प्रोबायोटिक्स विज्ञान का उत्सव” विषय पर 15वीं इंडिया प्रोबायोटिक संगोष्ठी का भव्य उद्घाटन हुआ। इस अवसर पर प्रो. जी.पी. तलवार (पूर्व निदेशक, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इम्यूनोलॉजी, नई दिल्ली), प्रो. एस.के. दास (अध्यक्ष, कलिंगा हॉस्पिटल्स, भुवनेश्वर), प्रो. आर.के. राठो (डीन, पीजीआईएमईआर, चंडीगढ़), प्रो. नीलम तनेजा (प्रोफेसर एवं प्रमुख, मेडिकल माइक्रोबायोलॉजी विभाग, पीजीआईएमईआर) और डॉ. नीरजा हजेेला (महासचिव, गट माइक्रोबायोटा एवं प्रोबायोटिक साइंस फाउंडेशन) उपस्थित रहे।

संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र में प्रो. जी.पी. तलवार और प्रो. एस.के. दास को प्रोबायोटिक विज्ञान और अनुसंधान में उनके अमूल्य योगदान के लिए “लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड” से सम्मानित किया गया।

प्रोबायोटिक्स और गट माइक्रोबायोटा पर नवीनतम अनुसंधान पर चर्चा

यह दो दिवसीय संगोष्ठी भारत और विदेशों के विशेषज्ञों को एक साझा मंच पर लाकर गट माइक्रोबायोटा और प्रोबायोटिक्स विज्ञान में नवीनतम विकास पर चर्चा करने का अवसर प्रदान कर रही है। इस आयोजन में युवा शोधकर्ता, विद्यार्थी, वरिष्ठ वैज्ञानिक और चिकित्सक बड़ी संख्या में शामिल हुए।

संगोष्ठी के पहले दिन गट माइक्रोबायोटा के प्रभाव पर कई नई और रोचक खोजों को उजागर किया गया। वैज्ञानिकों ने बताया कि गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल, मेटाबोलिक और इम्यून संबंधी विकारों को गट माइक्रोबायोटा सीधे प्रभावित कर सकता है।

प्रेग्नेंसी और नवजात स्वास्थ्य में माइक्रोबायोटा की भूमिका

नए शोध से यह भी पता चला कि मां का दूध और गर्भाशय गुहा (intrauterine cavity) पूरी तरह से स्टेराइल नहीं होते बल्कि वहां भी माइक्रोब्स पाए जाते हैं। ये माइक्रोब्स गर्भावस्था के परिणामों, जटिलताओं और नवजात शिशु के स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकते हैं।

गट माइक्रोबायोटा और गंभीर बीमारियों के बीच संबंध

विशेषज्ञों ने बताया कि गट माइक्रोब्स मोटापा, डायबिटीज, हृदय रोग, कैंसर, मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं और नींद विकारों को भी प्रभावित करते हैं। चर्चा के दौरान यह भी बताया गया कि गट माइक्रोबायोटा, मोटापा और कैंसर के बीच गहरा संबंध पाया गया है।

फेकल माइक्रोबायोटा ट्रांसप्लांट (FMT), जिसमें स्वस्थ व्यक्ति के गट माइक्रोब्स को रोगी के शरीर में ट्रांसप्लांट किया जाता है, को Clostridium difficile संक्रमण, मल्टीपल स्क्लेरोसिस और एंटी-माइक्रोबियल रेजिस्टेंस जैसी बीमारियों के इलाज में प्रभावी माना जा रहा है।

प्रोबायोटिक्स और सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्याएं

संगोष्ठी में यह भी चर्चा की गई कि एनीमिया, कुपोषण, बौनापन (stunting) और डायरिया जैसी गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्याओं का संबंध गट माइक्रोबायोटा से हो सकता है।

नई तकनीकों से माइक्रोबायोटा की विस्तृत समझ

वैज्ञानिकों ने बताया कि 16S और संपूर्ण-जीनोम अनुक्रमण (whole-genome sequencing) जैसी नई तकनीकों के उपयोग से अब हम स्वास्थ्य और रोगों में माइक्रोब्स की भूमिका को पहले से कहीं अधिक प्रभावी तरीके से समझ सकते हैं।

आगे क्या?

संगोष्ठी के दूसरे दिन विशेषज्ञ वैज्ञानिक शोध और नीतिगत सुधारों पर चर्चा करेंगे। आयोजकों को उम्मीद है कि इस सम्मेलन से निकले विचार और निष्कर्ष शोधकर्ताओं, स्वास्थ्य पेशेवरों और नीति निर्माताओं तक पहुंचेंगे, जिससे गट माइक्रोबायोटा विज्ञान के क्षेत्र में नई खोजों का मार्ग प्रशस्त होगा।

🚀 संगोष्ठी का दूसरा दिन और भी रोचक होने की उम्मीद है!