


वाराणसीः केंद्र सरकार के आयुष मंत्रालय द्वारा हाल ही में एक विशेष परियोजना की शुरुआत की गई है, जिसका उद्देश्य अश्वगंधा के पौधों के बहुआयामी फायदों के प्रति लोगों और विशेष रूप से बच्चों में जागरूकता फैलाना है। यह परियोजना कार्यक्रम राष्ट्रीय औषधीय पादप बोर्ड, आयुष मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा वित्त पोषित है। डॉ. सतीश कुमार वर्मा (प्रमुख अन्वेषक) एवं डॉ.अभिषेक कुमार द्विवेदी (सह-प्रमुख अन्वेषक) वनस्पति विज्ञान विभाग, काशी हिंदू विश्वविद्यालय एवं उनकी टीम (गोवर्धन, पूजा शुक्ला , दीपक, उत्कर्ष ,पूजा चौरसिया, शिवांगी, एवं अमित ) के सहयोग से कार्यक्रम सफलतापूर्वक आयोजित किया जा रहा है ।
कार्यक्रम के अन्तर्गत वाराणसी के कज्जकपुरा स्थित ऑक्सफोर्ड इंग्लिश स्कूल में जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में स्कूल के छात्रों, अध्यापकों और आसपास के समुदाय के सदस्यों ने भाग लिया। साथ ही, कार्यक्रम में यह भी बताया गया कि अश्वगंधा का उपयोग प्राचीन आयुर्वेद में किस प्रकार किया जाता रहा है और आज के समय में भी यह पौधा विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं के समाधान के रूप में कैसे उपयोगी हो सकता है।
इन पौधों के वितरण का पहले ही बड़ा प्रभाव देखने को मिला है। विभिन्न क्षेत्रों के स्कूल सक्रिय रूप से इस पहल में शामिल हुए हैं, जिसमें छात्रों को अश्वगंधा पौधे दिए गए हैं, जिन्हें वे उगाकर पालन करेंगे। इस पहल ने न केवल पौधे के औषधीय गुणों में रुचि को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि यह हर्बल पौधों की खेती के माध्यम से पर्यावरण को समर्थन देने के महत्व को भी उजागर करेगा। इन संस्थाओं के शिक्षक और कर्मचारी भी पौधे प्राप्त कर चुके हैं, और यह परियोजना स्थानीय समुदायों में भी प्रभावशाली रही है, जहां कई लोग अश्वगंधा के लाभों के बारे में अधिक जानने के लिए उत्सुक हैं। वितरण अभी भी जारी है, और जो कोई भी इस पौधे को प्राप्त करना चाहता है, वह डॉ. सतीश कुमार वर्मा से बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के बॉटनी विभाग में संपर्क कर सकता है।
इस पहल के माध्यम से, भारत सरकार का उद्देश्य लोगों को प्राकृतिक औषधीय पौधों जैसे अश्वगंधा को अपनी दैनिक जीवनशैली में शामिल करने के लिए ज्ञान और संसाधन प्रदान करना है। जैसे-जैसे यह परियोजना आगे बढ़ रही है, यह पारंपरिक हर्बल ज्ञान के समर्थन से एक स्वस्थ और अधिक सतत भविष्य की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम प्रतीत होती है। आपका सहयोग हमारे समाज के स्वास्थ्य और भलाई के लिए एक महत्वपूर्ण कदम होगा। आइए, हम सभी मिलकर इस प्रयास का हिस्सा बनें और एक स्वस्थ, खुशहाल और जागरूक समाज का निर्माण करें।
इस जागरूकता अभियान के अंतर्गत, 31 मार्च 2025 तक समाज के विभिन्न क्षेत्रों में 1 लाख अश्वगंधा पौधों का निःशुल्क वितरण करने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है। ये पौधे स्कूल के छात्रों, शैक्षिक कर्मचारियों और आम जनता को निःशुल्क वितरित किए जा रहे हैं। यह वितरण न केवल अश्वगंधा के स्वास्थ्य लाभों के बारे में जागरूकता बढ़ाने का उद्देश्य है, बल्कि यह सुनिश्चित करने का प्रयास भी है कि इस मूल्यवान पौधे को स्थानीय स्तर पर उगाया जाए और अधिक से अधिक लोगों तक इसके लाभ पहुंच सकें।
अश्वगंधा, जिसे आयुर्वेद में ‘सुपरफूड’ के रूप में जाना जाता है, न केवल हमारे पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों को पुनर्जीवित करने का प्रयास करता है, बल्कि यह स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी एक महत्वपूर्ण कदम है। यह पौधा न केवल शारीरिक स्वास्थ्य को बनाए रखने में सहायक है, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी अत्यंत लाभदायक है ।
इस कार्यक्रम के अंतर्गत दिनांक 19.02.2025 को निबंध एवं चित्रकला प्रतियोगिता वनस्पति विज्ञान विभाग, काशी हिंदू विश्वविद्यालय में भी आयोजित की गई, जिसमें छात्रों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। निबंध प्रतियोगिता में छात्रों ने अश्वगंधा के वैज्ञानिक और पारंपरिक उपयोगों पर प्रकाश डाला, जबकि चित्रकला प्रतियोगिता में उन्होंने इसकी उपयोगिता को रचनात्मक रूप से प्रस्तुत किया । दिनांक 28.02.2025 – कोम्पोसिट विद्यालय, छित्तुपुर में अश्वगंधा जागरूकता कार्यक्रम का भी आयोजन किया गया जिसका उद्देश्य छात्रों और स्थानीय समुदाय को इस औषधीय पौधे के लाभों के बारे में जागरूक करना था। दिनांक 03.03.2025 को काशी हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) के बॉटनी विभाग में एक भाषण प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया। इस प्रतियोगिता में विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों के छात्रों ने हिस्सा लिया और आश्वगंधा पौधे के औषधीय गुणों पर अपने विचार प्रस्तुत किए।
प्रतियोगिता में छात्रों ने आश्वगंधा के लाभों और उसके ऐतिहासिक उपयोग के बारे में गहन जानकारी दी। उन्होंने इस पौधे की आयुर्वेदिक चिकित्सा में महत्त्वपूर्ण भूमिका, इसके तनाव कम करने, इम्यूनिटी बढ़ाने, और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार के बारे में विस्तार से चर्चा की। छात्रों ने यह भी बताया कि कैसे आश्वगंधा को हाल के समय में वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी मान्यता मिल रही है और यह पौधा अब विश्वभर में एक मूल्यवान औषधि बन चुका है।प्रतियोगिता के दौरान विद्यार्थियों ने अपनी प्रस्तुति के माध्यम से यह संदेश दिया कि आश्वगंधा के नियमित सेवन से न केवल शारीरिक बल मिलता है, बल्कि यह मानसिक शांति और संतुलन बनाए रखने में भी सहायक है।