आह, सोना!! पूरे 4580 मीट्रिक टन…कर्ज़ की अर्थ व्यवस्था
चीन के पास अमेरिकन ट्रेज़री के 768.6 बिलियन डॉलर के बॉन्ड हैं। मतलब चीन अगर कल सारे बॉन्ड काउंटर पर रख के कैश मांग दे तो शाम तक अमेरिका दिवालिया हो जाएगा। और अगर जापान के 1.1 ट्रिलियन डॉलर और मिला को तो दोपहर तक ही दिवालिया हो जाएगा.. बाकी 10 बड़े होल्डर का तो नंबर ही नहीं आएगा।
ये है दुनियां के सबसे महान देश अमेरिका की नो गोल्ड करंसी पॉलिसी की हकीकत।
जहां का फ्राइड चिकन (KFC) प्रसिद्ध है, उसी केंटुकी प्रदेश में एक मिलिट्री बेस है-‘फोर्ट नॉक्स’-
वहां रखा है अमेरिका का गोल्ड रिजर्व.
फोर्ट नॉक्स- जेम्स बांड की गोल्डफिंगर में आपने ये जगह देखी है.
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एक दौर था, जब देश की सरकार उतना ही नोट छाप सकती थी, जितना उनके पास सोना हो. इस दम पे वे कहती थी- ‘मैं धारक को इतना धन देने का वचन देता हूँ.”
नोट, तो बस वचन पत्र है. जनता वचन पत्र के लेनदेन से ही काम चलाती. गवर्मेंट उतने मूल्य का धन, गोल्ड रिजर्व में धरे रहती.
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1944 में अमेरिका ने एक कांफ्रेंस बुलाई. विश्वयुद्ध चल ही रहा था. ब्रेटनवुड्स नाम की जगह पर सारे मित्रराष्ट्र इकट्ठा हुए. एक नई आर्थिक प्रणाली बनाई.
याने सब देश अपना गोल्ड रखें, जरूरी नही. गोल्ड डिपॉजिट का झमेला USA देख लेगा, उत्ते डॉलर जारी करेगा. बाकी सब देश अपना व्यापार डॉलर में करें.
किसी देश को अपने पास रखे डॉलर के बदले गोल्ड चाहिए, तो अमेरिका दे देगा. बात जम गई. ब्रेटनवुड्स ने डॉलर को विश्व करेंसी बना दिया. व्यवस्था चल निकली.
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वियतनाम युद्ध आया. अमेरिकन इकॉनमी संकट में थी; लेकिन डॉलर स्थिर था.
साथी देशो को लगा कि मामला गड़बड़ है. USA जितना सोना रखा है, उससे ज्यादा डॉलर छापकर हमको उल्लू बना रहा है. उन्होंने डॉलर सोने में कन्वर्ट कराना शुरू किया. अमेरिका दबाव में आया.
तो तंग आकर 1971 में एक दिन प्रेजिडेंट निक्सन टीवी पे आये. बोले- ‘घण्टा, नई देते सोना. उखाड़ लो, जो उखाड़ना है.’
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नही, प्रेसिडेंट ने ऐसे शब्द नही कहे. उन्होंने कहा कि :वैश्विक आर्थिक परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए डॉलर को गोल्ड कन्वर्टिबलिटी से डिटैच किया जा रहा है.’
अमेरिकी अर्थव्यवस्था की पोल खुलने से बच गयी..USA गोल्ड रिजर्व का नियमित ऑडिट नही होता, करने वाली एजेंसी कोमा में चली गयी है.
ठीक वैसे ही जैसे मोदी सरकार में CAG कोमा में चली गयी है.
हाल में अमेरिकन प्रेजिडेंट एलन मस्क ने इस मुद्दे को उठाया है. वे और उनके चिलगोजे, गोल्ड की जगह बिटकॉइन जैसा कुछ लाना चाहते हैं.
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बहरहाल, मूल कथा यह है कि इस महान दिन के बाद से, सरकारो के पास, कोई बंधन नहीं कि कितना धन जारी करेंगे.
गोल्ड वैल्यु की सीमा हट गई. धीरे धीरे यह भी बेशर्मी से जाहिर कर दिया गया कि इतना सोना नही सरकार के पास.
फोर्ट नॉक्स में केवल 274 बिलियन डॉलर का सोना है.
लेकिन विश्व की अर्थव्यवस्था तो चलाना है न! नई विधा आयी. सरकार के पास गोल्ड नही, नो प्रॉब्लम!
वह बांड जारी करेगी. मने सौ डॉलर छापने के पहले वह उतने का बॉन्ड जारी करेगी. कोई उसे खरीद लेगा. जैसे कि चीन.
फिर सरकार उस डॉलर को मौजमस्ती, प्लेन खरीदने, युद्ध करने, और अपने यारो का कर्ज माफ करने में खर्च करेगी.
फिर और बांड जारी करेगी. और कर्जा लेगी. मौजमस्ती, प्लेन, युद्ध, 5 किलो राशन
और
यारो का कर्ज माफ…..!!!
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दुनिया के देशों ने इस विधि को कॉपी पेस्ट कर लिया. वो भी बिना क्रेडिट दिये.
अब हर देश जित्ता मर्जी बांड बनाता है. पैसा छापता है, खर्च करता है. वैश्विक अर्थव्यवस्था एक विशाल बुलबुला बनती जा रही है.
एक विशाल पोंजी स्कीम.
पुराने लोन के लिए नया लोन, नया बॉन्ड. उसके लिए फिर बड़ा लोन बड़ा बांड; और सब एक दूसरे के बांड खरीद रहे हैं.
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एक देश दूसरे के बांड खरीद रहा है. देश में रिजर्व बैंक के बांड आपका लोकल बैंक खरीद रहा है.
आपके जमा पैसे से कम से कम 30% गवर्मेंट सिक्युरिटी में
बैंको ने इन्वेस्ट किया है.
लाइसेंस चाहिए तो NBFC से लेकर DCCB, सबको सरकारी प्रतिभूति अनिवार्यतः खरीदना है.
इसकी आय से बैंक का खर्च नही निकलता. वह आपके कर्ज पर तमाम चार्ज, एटीएम चार्ज, ट्रांजेक्शन चार्ज, मेंटेनेंस चार्ज और बैंक के बारे में सोचने पर चार्ज काटकर SMS भेज देता है.
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हमारे देश का कर्ज 10 सालो में 6 गुना बढ़ चुका है. 54 लाख करोड़ से 300 लाख करोड़. 50 साल के लिए बांड जारी हो चुके हैं. मोदी जी के कर्ज की 2075 तक क़िस्त भरी जाएगी.
नतीजा- इन्फ्लेशन! याने सेवाओं और उत्पादन का मूल्य गिरना.
आपके पिता अकेले घर चलाते थे, 4 बच्चे पालते थे.
आज मां-बाप डबल इनकम में दो बच्चे न पाल सकते.
होमलोन, कार लोन, एजुकेशन लोन क्रेडिट कार्ड की किस्ते पटाने में जिंदगी जा रही है. कितना भी किफायत आप बरतें, सरकारे उसमे पलीता लगा देती हैं.
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बड़ी बड़ी बातें- 100 लाख करोड़ का इंफ्रास्ट्रक्चर, 20 लाख करोड़ का पैकेज, 15 लाख करोड़ का बेलआउट….जो सुनकर आपको विकसित देश का फील आता है, वह आपकी गरीबी की जड़ हैं.
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लेकिन आपको व्हाट्सप संदेश आता है–‘देश मे गरीबी का कारण बंगलादेशी घुसपैठिये है.”
अमेरिकन्स को भी तो आता है. उनकी गरीबी का कारण इंडियन घुसपैठिये हैं!